साहब, हम तो लावारिस हैं, आखिर कहां जाएं
इलाहाबाद : स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल के इस वॉर्ड में लावारिसों ने लंबे समय से डेरा डाल रखा है। अस्पता
इलाहाबाद : स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल के इस वॉर्ड में लावारिसों ने लंबे समय से डेरा डाल रखा है। अस्पताल में मिल रही सुविधाओं को छोड़कर यह यहां से जाना नहीं चाहते हैं। इसमें आठ लोग ऐसे भर्ती हैं जो पिछले दो साल से भर्ती हुए हैं। कुछ लोग अभी तक ऑपरेशन की आस में बैठे हैं तो कुछ लावारिस होने की बात कहते हैं।
एसआरएन अस्पताल की हकीकत देखिए, यहां एक तरफ टीबी एवं चेस्ट के मरीजों का इलाज वॉर्ड के बाहर खुले में किया जा रहा है। वहीं, दूसरी तरफ अस्थि वॉर्ड लावारिसों से भरा पड़ा है। इसमें 10 लोग भर्ती हैं जिसमें आठ ऐसे लोग हैं जो एक से दो साल से यहां भर्ती हैं। यह यहां से जाना ही नहीं चाहते हैं। ऐसा नहीं है कि अस्पताल प्रशासन इन सबसे बेखबर है, जिम्मेदारों को इस वॉर्ड के बारे में अच्छी तरह पता है लेकिन इन्हें निकालने के लिए कोई ठोस पहल नहीं की जा रही है। यदि इन्हें किसी अनाथालय में भेज दिया तो यहां अन्य मरीजों को भर्ती किया जा सकता है। अस्पताल प्रशासन इन लोगों को कहां भेजे, इसके लिए लाचार है। पूरन बहादुर, सुरेंद्र कुमार, गुलशन भाटिया आदि लंबे समय से भर्ती हैं। डॉक्टरों ने भी छोड़ा वॉर्ड में जाना
वर्षो से जमे लावारिस यहां से कब जाएंगे पता नहीं। फिलहाल डॉक्टरों ने इस वॉर्ड में जाने से कतराने लगे हैं। अब डॉक्टर और नर्स भी इस वॉर्ड में नहीं जाते हैं। यह लावारिस घर की तरह यहां आराम कर रहे हैं। सिगरेट, बीड़ी के साथ-साथ यहां दिनभर कहानी और हंसी-मजाक में काट लेते हैं। अस्थि वार्ड में अधिकांश लावारिस ही हैं। अब हमारे सामने समस्या यह है कि इन्हें कहां भेजें। जिला प्रशासन को इसके लिए एक पत्र भेजता हूं ताकि कहीं शिफ्ट किया जाए।'
डॉ. एके श्रीवास्तव, प्रमुख अधीक्षक
स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल