Water Harvesting: गिरते जलस्तर को बढ़ाने की जुगत, सोक पिट निर्माण के साथ इस पर है अधिक जोर
Water Harvesting प्रयागराज में नदियां होने के बावजूद पिछले 10 वर्षों में जलस्तर में काफी गिरावट हुई है। शहर ग्रामीण क्षेत्र कोई भी इससे अछूता नहीं है। पिछले कुछ सालों से तालाबों की खोदाई बड़े पैमाने पर कराई गई। अब गांव-गांव में जल संचयन की मुहिम बढ़ाई जा रही है।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। प्रयागराज में गिरते जलस्तर को सुधारने के लिए जुगत की जा रही है। जिले में तालाबों की खोदाई के अलावा अब सोक पिट के निर्माण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। गांवों में इधर-उधर गंदा पानी न फैले, इसके लिए अंडर ग्राउंड नालियां बनवाई जा रही हैं। उसे सोक पिट से जोड़ा जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि सोक पिट के माध्यम से जलस्तर बढ़ाने में सफलता मिलेगी। यह तो भविष्य ही बताएगा, मगर इतना तो तय है कि अगर लोग इस पहल से बड़े पैमाने में जुड़े तो जल संचयन को कोई रोक नहीं सकता है। क्योंकि कोई भी मुहिम तभी सफल होती है, जब जन जागरूकता बढ़ती है। इसके बिना अपने लक्ष्य को हासिल करना मुश्किल होता है।
10 वर्षों में जलस्तर में हुई गिरावट
प्रयागराज जिले में कई छोटी-बड़ी नदियों का प्रवाह होने के बाद भी पिछले 10 वर्षों में जलस्तर में काफी गिरावट हुई है। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र कोई भी इससे अछूता नहीं है। पिछले कुछ सालों से तालाबों की खोदाई बड़े पैमाने पर कराई गई। अब गांव-गांव में जल संचयन की मुहिम बढ़ाई जा रही है। गांवों में सोक पिट बनवाए जा रहे हैं। अंडर ग्राउंड नालियों के माध्यम से गंदे पानी को सोक पिट तक लाया जा रहा है। इससे गांव में साफ-सफाई भी बढ़ रही है। जलजनित बीमारियों के फैलने की संभावना कम हो रही है। जसरा ब्लाक के परसरा गांव में इसका आदर्श काम हो रहा है। अन्य ब्लाकों में भी इसे दिशा में लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
जानें, क्या कहते हैं जिला पंचायत राज अधिकारी
जिला पंचायत राज अधिकारी आलोक कुमार सिन्हा का कहना है कि गांवों में जल संचयन के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है। सोक पिट बनवाए जा रहे हैं। जिले में 13 सौ ज्यादा सोक पिट बन चुके हैं। क्लस्टर बनाकर भी सोक पिट बनवाए जा रहे हैं।