छत से टपकता है पानी, फर्श पर लगता है करंट, हाल प्रयागराज में नगरीय पीएचसी कीडगंज का
अस्पताल में एक साल से कोई लैब टेक्नीशियन नहीं है जबकि बीमारियों का पता लगाने के लिए जांच जरूरी है। एक फार्मासिस्ट है जो हीमोग्लोबिन की जांच कर लेता है। अन्य किसी की बीमारी का पता लगाना हो तो मरीज को तत्काल दूसरे अस्पताल के लिए रेफर किया जाता है।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। यह मौसम बीमारियों का है और अस्पतालों को स्वच्छ, जांच की सुविधा तथा दवा से लैस रखना सरकार की प्राथमिकता है। लेकिन कीडगंज का नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र इस मौसम में भी 'सील गया है। कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता 'नंदी द्वारा गोद लिए गए इस अस्पताल में हर कदम पर परेशानियां हैं जबकि बारिश के दिन मरीज आ जाएं तो उन्हें छत से टपकते पानी के बीच बैठना पड़ता है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से यह एक अस्पताल ही नहीं संभल पा रहा है। जानिए नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कीडगंज के हालात दैनिक जागरण की इस पड़ताल से।
यहां जांच ही नहीं होती
अस्पताल में एक साल से कोई लैब टेक्नीशियन नहीं है जबकि बीमारियों का पता लगाने के लिए जांच जरूरी है। एक फार्मासिस्ट है जो हीमोग्लोबिन की जांच कर लेता है। अन्य किसी की बीमारी का पता लगाना हो तो मरीज को तत्काल दूसरे अस्पताल के लिए रेफर कर दिया जाता है। आकस्मिक स्थिति में आपरेशन की इस अस्पताल में कोई सुविधा नहीं, न ही किसी को जरूरत पडऩे पर आक्सीजन देने की व्यवस्था है। आक्सीजन की बात तो दूर, मरीज को एक घंटे बेड पर लिटाना तक मुश्किल है क्योंकि बेड पर सीलिंग से हर वक्त पानी टपकता रहता है।
फर्श से लेकर छत तक सीलन
अस्पताल में सीलन इस कदर है जिससे वहां के स्टाफ ही परेशान हैं। ओपीडी कक्ष में फर्श सूख ही नहीं पाती, दीवारें और सीलिंग भी इतनी भीगी हैं जिसे देखकर चिकित्सा स्टाफ में मन में हमेशा डर समाया रहता है कि कहीं प्लास्टर न उखड़कर गिर जाए। आलमारी, दवाओं, चिकित्सा उपकरण, पर्दे और कुर्सी मेज तक भीग जाते हैं। ओपीडी के ऊपरी तल में फर्श पर भी स्टाफ को करंट लगता है। पानी उबालने वाले उपकरण और वैक्सीन रखने वाले फ्रीजर में भी अक्सर करंट के झटके लगते हैं।
कैबिनेट मंत्री के घर के पड़ोस में ऐसा हाल
कीडगंज के कोटे वाला यह अस्पताल बहादुरगंज में रेडक्रास के भवन में संचालित है। इसमें चिकित्सा स्टाफ एक अदद कमरे को मोहताज है, डाक्टर से लेकर वार्ड आया तक की लालसा है कि कम से कम एक कमरा ही मिल जाए जहां रात में भी रुका जा सके। लेकिन परिसर के सभी रिहायशी कमरों में एक पूर्व विधायक द्वारा ठहराए गए लोगों का वर्षों से कब्जा है। इस कब्जे को हटाने के लिए पिछले दिनों कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने मौके पर जाकर निर्देश दिया था लेकिन, सोमवार को भी स्थिति जस की तस रही।
जैसे तैसे चल पाती है ओपीडी
अस्पताल की ओपीडी बमुश्किल चल पाती है। प्रभारी चिकित्साधिकरी डा. श्रेया पांडेय ने दावा किया कि सोमवार को उन्होंने 40 मरीजों को देखा। जबकि यह अस्पताल शहर और बहादुरगंज बाजार के बीच में है। इसके दायरे में मुट्ठीगंज, तुलारामबाग, बैरहना, रामबाग का कुछ हिस्सा, मधवापुर तक हैं लेकिन इतना विशाल क्षेत्र इस अस्पताल के लिए बेमायने है।
समस्या गंभीर है
अस्पताल में केवल लैब टेक्नीशियन नहीं है बाकी सभी सुविधाएं हैं। मरीजों का प्राथमिक उपचार होता है, गंभीर केस ही रेफर किए जाते हैं। अस्पताल में छतों से पानी टपकता है और ऊपरी तल, खासकर प्रापर्टी कक्ष में तो इतना पानी टपकता है कि मरीज भर्ती नहीं कर पाते। भवन रेडक्रास का है इसलिए हमारे उच्चाधिकारियों को भी समस्या के निदान में अड़चन है।
डा. श्रेया पांडेय, प्रभारी चिकित्साधिकारी