विहिप के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय प्रयागराज में बोले- अभी एजेंडे में नहीं काशी और मथुरा
अयोध्या में ढांचा ध्वंस मामले से बरी होकर पहली बार श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव एवं विहिप के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रयागराज आए। शुक्रवार को प्रांत कार्यालय केसर भवन में पत्रकारों से बोले कि काशी और मथुरा अभी हमारे एजेंडे में नहीं है।
प्रयागराज, जेएनएन। अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर भगवान राम का भव्य मंदिर बनाने में करीब तीन साल का समय लगेगा। अभी काशी और मथुरा हमारे एजेंडे में नहीं है। जब तक एक काम पूरा नहीं होता दूसरा शुरू करना बुद्धिमानी नहीं है।
यह कहना है श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव एवं विहिप के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय का। ढांचा ध्वंस मामले में बरी होने के बाद पहली बार प्रयागराज आए विहिप के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने शुक्रवार को प्रांत कार्यालय केसर भवन में आयोजित पत्रकार वार्ता कर रहे थे।
बोले, अभी मैं संगठन में निर्णय लेने की भूमिका में नहीं हूं
चंपत राय बोले कि अभी मैं संगठन में निर्णय लेने की भूमिका में नहीं हूं। मुझे सिर्फ अयोध्या में मंदिर निर्माण संबंधी दायित्व दिया गया है। उसे ही पूरा करने में लगा हूं। 10 और 11 नवंबर को दिल्ली में होने वाली विहिप की बैठक के संदर्भ में कहा कि उसमें देशभर के करीब 300 संतों को आमंत्रित किया गया है। पांच अगस्त को अयोध्या में हुए शिला पूजन में सिर्फ 90 संतों को ही आमंत्रित किया गया था।
इसे लेकर कई संत नाराज भी थे। अब दिल्ली की बैठक में सभी को बुलाकर बातचीत की जाएगी और आगे की रणनीति बनाई जाएगी। खासकर मंदिर निर्माण में जन सहभागिता व धन जुटाने के लिए भी चर्चा होगी। संगठन ने देशभर के 11 करोड़ परिवारों से जुडऩे का लक्ष्य तय किया है। लोगों से आग्रह किया जाएगा कि वे यथाशक्ति आर्थिक सहयोग करें।
लव जेहाद और हाथरस के मुद्दे को टाल गए
विहिप के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय ने देश में बढ़ रहे लव जेहाद और हाथरस की घटनाओं पर किसी तरह की टिप्पणी से इनकार कर दिया। कहा अभी सिर्फ श्रीराम मंदिर की बात होगी। समाज में समरसता लाने जैसे मामले पर बोले कि संगठन छुआछूत जैसी कुरीतियों को खत्म करने के लिए कार्य कर रहा है। किसी को भी हेय मानना सामाजिक बीमारी है। इससे छुटकारा पाना होगा।
चंपत राय ने कहा कि सामाजिक चिंतन और महिलाओं के प्रति लोगों की सोच बदली है। दुष्कर्म जैसे मामले आपराधिक होते हैं। इसके लिए सरकार और कानून अपना काम कर रहे हैं। इसे सामाजिक समरसता जैसे मुद्दे से जोडऩा ठीक नहीं है।