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प्रयागराज की शिक्षिका ने तो मिसाल कायम किया, Corona संक्रमण काल में वह किया जो दूसरों के लिए बना प्रेरणा

शिक्षिका वंदना सिंह ने 70 परिवारों को कोरोना संक्रमण काल में गोद लिया। उन्‍होंने तीन महीने तक उनके भोजन की व्यवस्था संभाली। इतना ही नहीं पांच हजार से अधिक मास्क सैनिटाइजर खाने के पैकेट भी लोगों को बांटे। सामाजिक योगदान के लिए उन्हें संस्थाओं की ओर से पुरस्कृत किया गया।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Tue, 09 Mar 2021 08:04 AM (IST)Updated: Tue, 09 Mar 2021 08:04 AM (IST)
प्रयागराज की शिक्षिका ने तो मिसाल कायम किया, Corona संक्रमण काल में वह किया जो दूसरों के लिए बना प्रेरणा
प्रयागराज की वंदना सिंह ने तो मिसाल कायम करते हुए कोरोनाकाल में 70 परिवारों को गोद लिया।

प्रयागराज, जेएनएन। कोरोना वायरस महामारी के दौर में पूरे देश में लॉकडाउन था। प्रवासी घर लौटने के लिए जीतोड़ मेहनत कर रहे थे। लोगों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो चुका था। कुछ ऐसे परिवार भी थे जिनके पास दो वक्त की रोटी नहीं थी। उन्हें सहारा देने के लिए आगे आईं चंद्रशेखर आजाद इंटर कॉलेज की अंग्रेजी की प्रवक्ता वंदना सिंह।

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शिक्षिका वंदना सिंह ने 70 परिवारों को कोरोना संक्रमण काल में गोद लिया। उन्‍होंने तीन महीने तक उनके भोजन की व्यवस्था संभाली। इतना ही नहीं पांच हजार से अधिक मास्क, सैनिटाइजर, खाने के पैकेट भी लोगों को बांटे। इस सामाजिक योगदान के लिए उन्हें विभिन्न संस्थाओं की ओर से पुरस्कृत भी किया गया।

ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की भी छेड़ी है मुहिम

नैनी में रहने वाली वंदना बच्चों को पढ़ाने के साथ ही अपने सामाजिक सरोकारों को पूरा करने के लिए पहल संस्था बना रखी है। इसके जरिए वह जरूरतमंदों को हर साल गर्म कपड़े, कंबल, गरीब बच्चों की पढ़ाई लिखाई के लिए संसाधन भी मुहैया कराती रहती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सिलाई, कढ़ाई का प्रशिक्षण भी देती हैं। अपना रोजगार शुरू करने के लिए भी प्रेरित करती हैं। शहर में स्थित प्राथमिक विद्यालय रसूलाबाद और मम्फोर्डगंज में भी संसाधन मुहैया कराए हैं। वहां डेस्क, बेंच आदि का इंतजाम कराया।

अनुसूचित बस्‍ती में स्‍वास्‍थ्‍य शिविर भी लगाती हैं वंदना

वंदना कहती हैं कि जगह जगह स्वास्थ्य परीक्षण शिविर भी लगवाने का प्रयास होता है। इनमें लोगों की जांच कर मुफ्त में दवाएं भी दिलाते हैं। इस कार्य में कुछ डॉक्टरों की भी मदद ली जाती है। ऐसे शिविर आम तौर पर अनुसूचित बस्तियों में लगाए जाते हैं। बालिकाओं को शिक्षा से जोडऩे का भी प्रयास होता है। शिविर में आने वाले लोगों से आग्रह होता है कि वह बेटियों को स्कूल जरूर भेजें। यदि संसाधनों की कमी आड़े आती है तो उसमें हर संभव मदद की कोशिश की जाती है।

वंदना पांच विषयों से हैं परास्नातक

वंदना को पढ़ाई से विशेष लगवा है। यही वह है कि उन्होंने पांच विषयों अंग्रेजी, समाजशास्त्र, शिक्षाशास्त्र, दर्शनशास्त्र से एमए किया है। इसके अतिरिक्त एमबीए और बीएड की भी डिग्री है। विद्यार्थियों को पढ़ाने के साथ ही स्वयं भी साहित्यिक पुस्तकों को पढऩे में खास रुचि रखती हैं।


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