कुंभ मेलाः मानसिक शांति के लिए रास आ रही भारत के अध्यात्म की दुनिया
कुंभ में इस बार विश्वस्तरीय पार्किंग की सुविधा श्रद्धालुओं को मिलेगी। इसको देखते देश विदेश के लोगों के लिए संगम तट बड़ा आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है।
प्रयागराज (जेएनएन)। कुंभ में इस बार विश्वस्तरीय पार्किंग की सुविधा श्रद्धालुओं को मिलेगी। इसको देखते देश विदेश के लोगों के लिए संगम तट बड़ा आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है। इसी क्रम में मॉडलिंग का पेशा, दिन रात कैमरे की चमक-दमक, शोरशराबा और बेहिसाब दौलत के साथ मानसिक अशांति भरे उबाऊ और थकाऊ जिंदगी ने नीदरलैंड की राजधानी एम्सटर्डम की मॉडल वैंलेटाइन को अध्यात्म की ओर खींचा लिया। उन्हें भारतीय सनातन संस्कृति रास आई और इस बार वह कुंभ में किन्नर अखाड़े के शिविर में नजर आएंगी । प्रयाग कुंभ में वह दूसरे विदेशी किन्नरों को साथ लाकर सनातन धर्म से जोड़ेंगी।
अब मानसिक शांति चाहिए
वैलेंटाइन अंतरराष्ट्रीय मॉडलिंग एजेंसी आइएमजी के साथ काम कर चुकी हैं। वह जन्मजात किन्नर नही हैं, वह पुरुष थीं। इनका असली नाम डी हिंग है, उन्होंने 10 साल तक किन्नरों पर बनी डाक्यूमेंट्री में काम किया है। फिर लिंग परिवर्तन कराकर मॉडलिंग की दुनिया में आ गईं। कहती हैं कि पैसा कमा लिया, शोहरत की भी कमी नही है। अब मानसिक शांति चाहिए। यह न पैसे से मिल सकती है, न शोहरत से। मानसिक शांति तो अध्यात्म से मिलती है। भारत से बेहतर इसके लिए कोई दूसरा देश नही है। किन्नर अखाड़े से जुड़ीं वैलेंटाइन उज्जैन, नासिक व हरिद्वार जैसे शहरों में सनातन संस्कृति का वैभव देख चुकी हैं। जागरण को उन्होंने बताया कि वह बचपन से भारतीय संतों का त्याग, उनकी साधना को टीवी पर देखती रही हैं। वैलेंटाइन के मुताबिक समाचार पत्रों, मैगजीनों के जरिए कुंभ का वैभव एवं संतों के त्याग को जानने-समझने का मौका मिला है। इससे उनके अंदर भी सनातन धर्म से जुड़कर काम करने की प्रेरणा जगी। उन्होंने कहा कि प्रयाग आकर उन्हें काफी संतुष्टि मिली है। माथे पर टीका लगाकर पूजन करने से आंतरिक शांति की अनुभूति हुई।
कुंभ में विश्वस्तरीय पार्किंग की सुविधा
कुंभ में विश्वस्तरीय पार्किंग की सुविधा भी श्रद्धालुओं को मिलेगी। कुल 120 पॉर्किंग स्थलों में लगभग साढ़े पांच लाख वाहन खड़े किए जा सकेंगे। इन पॉर्किंग स्थलों का लेआउट प्लान लगभग तैयार हो गया है। कुंभ 2019 को दिव्य स्वरूप देने के लिए तैयार योजनाओं पर तेजी से अमल शुरू हो गया है। अनुमान है कि दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक समागम में लगभग 15 करोड़ श्रद्धालु आएंगे। उनकी आवाजाही में सहूलियत हो, इसलिए मेला प्रशासन ने मेला क्षेत्र से पांच से 10 किमी के दायरे में पार्किंग स्थल बनाने का निर्णय लिया है। कुंभ मेलाधिकारी विजय किरन आनंद के मुताबिक ऐसी योजना बनाई जा रही है कि श्रद्धालुओं को मेला क्षेत्र में पहुंचने के लिए कम से कम पैदल चलना पड़े। पार्किंग स्थलों से ही शटल बस, ई रिक्शा व सीएनजी टेंपों चलाए जाएंगे।
पार्किंग स्थलों से चलेंगी शटल बसें
श्रद्धालुओं को मेला में पहुंचाने के लिए शटल बसों के साथ ही ई-रिक्शा व सीएनजी चलित टेंपों भी होंगे। मुख्यमंत्री ने भी पिछले दौरे में निर्देश दिया था कि श्रद्धालुओं को मेला क्षेत्र में कम से कम पैदल चलना पड़े, ऐसी व्यवस्था की जाय। एक हजार शटल बसों को चलाने की जिम्मेदारी उप्र राज्य सड़क परिवहन निगम के इलाहाबाद परिक्षेत्र के क्षेत्रीय प्रबंधक को सौंपी गई है।प्राधिकरण कर रहा रूट निर्धारण: पार्किंग स्थलों से मेला क्षेत्र में श्रद्धालुओं को पहुंचाने के लिए किन-किन रूट का इस्तेमाल होगा और कहां-कहां स्टापेज बनेंगे, श्रद्धालुओं से शुल्क लेना है या नहीं लेना है, इसका निर्धारण प्रयागराज मेला प्राधिकरण करेगा। संकेत है कि शटल बसों की सुविधा निश्शुल्क दी जा सकती है लेकिन अंतिम फैसला प्राधिकरण को ही लेना है।
रूटवाइज पार्किंग स्थल तय
प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने रूटवाइज पार्किंग स्थल तय किया है। शहर के सभी प्रवेश द्वार पर पार्किंग स्थल बनाए जा रहे हैं। इलाहाबाद-जौनपुर-वाराणसी की ओर से आने वाले वाहनों के लिए झूंसी में कई पार्किंग स्थल होंगे। मीरजापुर, झांसी, बांदा, चित्रकूट व मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र से आने वाले वाहन नैनी व अरैल क्षेत्र में पार्किंग होगी। प्रयागराज-लखनऊ राजमार्ग पर में फाफामऊ तो प्रयागराज-कानपुर राजमार्ग पर मुंडेरा में पार्किंग की व्यवस्था हो रही है। प्रत्येक पार्किंग स्थलों के साथ एक पुलिस चौकी भी स्थापित की जाएगी। यहां तैनात पुलिसकर्मी श्रद्धालुओं की सुरक्षा के साथ उन्हें आवश्यक सूचनाएं भी देंगे।