Uttar Pradesh Hindi Institute: प्रयागराज के रचनाकारों का हिंदी संस्थान के पुरस्कार में दबदबा
डॉ. योगेंद्र कई साल से देश-विदेश में हिंदी का प्रचार-प्रसार करने में जुटे हैं। इनकी पुस्तक मीडिया और साहित्य वैश्वीकरण और हिंदी काफी चर्चित रही। हिंदुस्तानी एकेडमी के आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी सम्मान से सम्मानित डॉ. योगेंद्र कंप्यूटर में देवनागरी यूनीकोड कुंजी लागू कराने के लिए प्रयासरत हैं।
प्रयागराज, जेएनएन। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान ने वर्ष 2019 के सम्मान व पुरस्कारों की घोषणा कर दी है। इसमें प्रयागराज के रचनाकारों का दबदबा रहा। कई रचनाकारों को उनकी पुस्तक के लिए पुरस्कृत किया गया है। वहीं, हिंदी भाषा के प्रोत्साहन के लिए उत्कृष्ट कार्य करने वाले इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग के प्रोफेसर डॉ. योगेंद्र प्रताप सिंह को मदनमोहन मालवीय विश्वविद्यालयस्तरीय सम्मान के लिए चुना गया है।
इविवि में राजभाषा कार्यान्वयन समिति के संयोजक डॉ. योगेंद्र कई साल से देश-विदेश में हिंदी का प्रचार-प्रसार करने में जुटे हैं। इनकी पुस्तक मीडिया और साहित्य, वैश्वीकरण और हिंदी काफी चर्चित रही। हिंदुस्तानी एकेडमी के आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी सम्मान से सम्मानित डॉ. योगेंद्र कंप्यूटर में देवनागरी यूनीकोड कुंजी लागू कराने के लिए प्रयासरत हैं। कहते हैं कि इस सम्मान से उनकी जिम्मेदारी बढ़ गई है। वो बेहतर लेखन करने के साथ युवा रचनाकारों को प्रेरित करेंगे। कंप्यूटर में हिंदी की अपनी लिपि हो उसके लिए सरकार पर दबाव बनाएंगे।
इन्हें मिला सम्मान
उत्कृष्ट पुस्तक लिखने के लिए प्रयागराज के कई रचनाकार सम्मानित हुए हैं। इसमें रामलखन शुक्ल को उनकी पुस्तक 'दुर्योधन वध' के लिए जयशंकर प्रसाद पुरस्कार, डॉ. फाजिल अहसन हाशमी को उनकी पुस्तक 'कबीर साहब' के लिए सुब्रह्मण्यम भारती पुरस्कार, नित्या द्विवेदी को पं. सत्यनारायण शास्त्री पुरस्कार 'महिला स्वास्थ्य' पुस्तक के लिए दिया गया है। इनके अलावा अनूप बरनवाल को 'समान नागरिक संहिता' पुस्तक के लिए गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार, डॉ. आशा उपाध्याय को 'शब्द और संवाद' पुस्तक के लिए गुलाब राय पुरस्कार, डॉ. अरविंद कुमार राम को पुस्तक 'गोपीभाव की साधना और संत महाकवि सूरदास' के लिए नजीर अकबराबादी पुरस्कार, अरुण कुमार त्रिपाठी को पुस्तक 'नाथ सम्प्रदाय के सिद्ध योगी' के लिए नंदकिशोर देवराज पुरस्कार, वर्षा अग्रवाल को पुस्तक 'भारतीय गो संपदा' के लिए विद्यावती कोकिल पुरस्कार के लिए चुना गया है। रामलखन कहते हैं कि सम्मान से उन्हें आंतरिक ऊर्जा प्राप्ति की अनुभूति हो रही है। हिंदुस्तानी एकेडमी परिषद के सदस्य डॉ. फाजिल कहते हैं कि उनका बेहतर लेखन जारी रहेगा। इस सम्मान से उनका हौसला बढ़ा है। कुछ ऐसा ही भाव वर्षा अग्रवाल का है। कहती हैं कि भविष्य में नारी समस्या व उसके उत्थान विषय पर लेखन करेंगी, जिससे महिलाओं में आत्मनिर्भरता का भाव जागृत हो सके।