लंबी आयु और महामारी से निदान को आयुर्वेद अपनाएं
आयुर्वेद विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धतियों में एक है। आधुनिक चिकित्सा में भी पहला स्थान सुरक्षित रखा है। आयुर्वेद का उद्देश्य स्वस्थ्य प्राणी के स्वास्थ्य की रक्षा करना और रोगी के रोग को दूर करना है।
फूलपुर : आयुर्वेद विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धतियों में एक है। आधुनिक चिकित्सा में भी पहला स्थान सुरक्षित रखा है। आयुर्वेद का उद्देश्य स्वस्थ्य प्राणी के स्वास्थ्य की रक्षा करना और रोगी के रोग को दूर करना है।
आयुर्वेद का अर्थ जीवन से संबंधित ज्ञान है, जीवन का दर्शन है। आयुर्वेद अपने में वह विज्ञान है जो शरीर को निरोग रखने एवं रोग हो जाने पर उससे मुक्ति दिलाकर लंबी आयु दिलाने का ज्ञान है। आयु की पूर्णता के लिए आवश्यक ज्ञान को सिखाता है। शास्त्रों के अनुसार आयुर्वेद के आदि आचार्य की मान्यता मे अश्वनी कुमार माने जाते हैं। इनसे इन्द्र भगवान ने सीखा और इन्द्र ने धन्वंतरि महराज को सिखाया। काशी के राजा दिवोदास धन्वंतरि के अवतार माने गए। धर्म शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मा ने आयुर्वेद को आठ भागों में बांटकर प्रत्येक भाग का नाम तन्त्र रखा। इससे संपूर्ण जगत की संपूर्ण चिकित्सा होती आ रही है। आयुर्वेद का अवतरण तीस से पचास हजार वर्ष पहले अर्थात श्रृष्टि के साथ साथ माना जा सकता है। उक्त बातें आयुर्वेदाचार्य डा. दिवाकर द्विवेदी ने कहा। उन्होंने कहा कि करोना जैसी वैश्विक महामारी र्म जहां अन्य पद्धतियों में दूर-दूर तक दवा की खोज में गोते लगाए जा रहे थे, वहीं आयुर्वेद ने सोठ, गिलोय, पीपली, चिरायता, अजवायन और अदरक से करोना को भगाने में ही नहीं अपितु पास भी ना फटकने देने में कारगर साबित हुआ। आयुर्वेद का काढ़ा पीकर करोना जंग आयुर्वेद ने जीता, इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है।
आइए विश्व आयुर्वेद दिवस पर संकल्प लें कि जन्म लेइ जिस गांव में वसई जवन से देश, तहकी औषधि अन्न जल सेवन करई हमेश।