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UPRTOU : मुविवि से छात्र जीवन को फिर से जिएंगे रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स Prayagraj News

UPRTOU नए सत्र में तमाम सेवानिवृत्त नौकरशाहों ने मुक्त विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया है। कुलपति प्रोफेसर कामेश्वर नाथ सिंह बताते हैैं कि पांच वर्ष पूर्व मेरठ में पीएसी से डीआईजी पद से सेवानिवृत्त कृपाशंकर सिंह एमबीए के छात्र हैैं।

By Rajneesh MishraEdited By: Published: Mon, 07 Dec 2020 07:00 AM (IST)Updated: Mon, 07 Dec 2020 07:00 AM (IST)
नए सत्र में तमाम सेवानिवृत्त नौकरशाहों ने मुक्त विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया है।

प्रयागराज,[गुरुदीप त्रिपाठी]। शिक्षे! तुम्हारा नाश हो, तुम नौकरी के हित बनी...। राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की उलाहना भरी यह पंक्ति यहां नई रोशनी दिखाती है। शायद यही वजह है कि उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय (यूपीआरटीओयू) में दर्जनभर से ज्यादा ऐसे लोगों ने अलग-अलग विषयों में दाखिला लिया है, जो अपने जीवन के 60 वसंत देख चुके हैं। इनमें कई रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स के अलावा चंडीगढ़ स्थित पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय (पीयू) के कुलपति भी हैं। ऐसे शिक्षार्थियों का लक्ष्य समाज को भी नई दिशा देने के साथ केवल ज्ञानार्जन है।

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नए सत्र में तमाम सेवानिवृत्त नौकरशाहों ने मुक्त विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया है। कुलपति प्रोफेसर कामेश्वर नाथ सिंह बताते हैैं कि पांच वर्ष पूर्व मेरठ में पीएसी से डीआईजी पद से सेवानिवृत्त कृपाशंकर सिंह एमबीए के छात्र हैैं। कौशांबी में एसपी रहते हुए कृपाशंकर सिंह ने पीएचडी में प्रवेश के लिए परीक्षा दी। इसमें सफल भी हुए लेकिन शासन से अनुमति नहीं मिलने के कारण उनकी तमन्ना अधूरी रह गई थी। प्रवेश लेने वालों में कौशांबी, अमरोहा, गाजीपुर, एटा, कुशीनगर और मैनपुरी के जिलाधिकारी रहे 2005 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी एम लोकेश, प्रयागराज और मुजफ्फरनगर में जिलाधिकारी के अलावा लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष रहे 1993 बैच के आइएएस राजीव अग्रवाल, प्रमुख सचिव रहे अनिल कुमार, सूचनाधिकारी रह चुके जेएन यादव भी हैं। चंडीगढ़ स्थित पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय (पीयू) के कुलपति प्रो. राजकुमार एमबीए की पढ़ाई कर रहे हैं। कुलपति का कहना है कि जुलाई 2020 से शुरू होने वाले सत्र में दाखिले के लिए आवेदन प्रक्रिया कोरोना वायरस संक्रमण के चलते 15 दिसंबर तक बढ़ा दी गई है।  

उम्र की बाधा नहीं, बस पढ़ाई की ललक होनी चाहिए

उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर कामेश्वर नाथ सिंह ने बताया कि दूरस्थ शिक्षा पद्धति के तहत मुविवि में दाखिला लेकर शिक्षार्थी घर बैठकर पढ़ाई कर सकते हैं।  उम्र की काई बाधा नहीं है। बस पढऩे की ललक होनी चाहिए। वैसे भी सीखना सतत प्रक्रिया है। व्यक्ति उम्र से नहीं सीखने की ललक छोड़ देने से बूढ़ा होता है। रिटायर्ड होने के बाद भी तमाम अफसर यहां से पढ़ाई कर रहे हैं, यह बात का द्योतक है।

एमबीए और योग पहली पसंद

मुविवि के प्रवेश प्रभारी डॉ. ज्ञान प्रकाश यादव के अनुसार रिटायर्ड अफसरों की पहली पसंद एमबीए और योग है। इसके अलावा लोक प्रशासन, लाइब्रेरी साइंस और पत्रकारिता के अलावा अन्य तमाम पाठ्यक्रमों में भी दाखिले लिए जा रहे हैं।


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