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UPPSC: लोक सेवा आयोग के खिलाफ मोर्चा, ई-मेल भेजकर न्याय मांग रहे प्रतियोगी छात्र

जीआइसी प्रधानाचार्य की भर्ती में गड़बड़ी को प्रतियोगी छात्रों ने मुद्दा बनाया है। इसी के आधार पर प्रतियोगियों ने उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग (यूपीपीएससी) के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। वे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ई-मेल से पत्र भेजकर न्याय दिलाने की मांग कर रहे हैं।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Tue, 20 Jul 2021 03:02 PM (IST)Updated: Tue, 20 Jul 2021 03:02 PM (IST)
UPPSC: लोक सेवा आयोग के खिलाफ मोर्चा, ई-मेल भेजकर न्याय मांग रहे प्रतियोगी छात्र
हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल करने की तैयारी में है प्रतियोगी छात्र

प्रयागराज, राज्य ब्यूरो। पीसीएस-2019 व 2020 की प्रारंभिक परीक्षा की मार्कशीट तथा स्केल्ड व नान स्केल्ड नंबर जारी न करने के साथ पीसीएस-2018 के तहत जीआइसी प्रधानाचार्य की भर्ती में गड़बड़ी को प्रतियोगी छात्रों ने मुद्दा बनाया है। इसी के आधार पर प्रतियोगियों ने उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग (यूपीपीएससी) के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। वे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ई-मेल से पत्र भेजकर न्याय दिलाने की मांग कर रहे हैं।

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ई-मेल भेजकर शुरू की न्याय की मांग

भ्रष्टाचार मुक्ति मोर्चा से जुड़े प्रतियोगियों ने मुख्यमंत्री तथा यूपीपीएससी के अध्यक्ष व सचिव सहित शासन के अन्य अधिकारियों को ई-मेल भेजकर न्याय की मांग शुरू कर दी है। वे शुक्रवार तक लगातार यह ई-मेल भेजेंगे। इसके साथ ही प्रधानाचार्य भर्ती में विज्ञापन के निर्देशों का पालन न करने पर अध्यक्ष व सचिव के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल करने की भी तैयारी है। प्रतियोगी छात्र यूपीपीएससी पर हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों की अनदेखी का आरोप लगा रहे हैं। मोर्चा के अध्यक्ष कौशल सिंह का कहना है कि पीसीएस-2018 में स्केलिंग के मुद्दे पर हाई कोर्ट में सुनवाई होनी है, उसमें आयोग की गड़बड़ी को सामने रखा जाएगा।

वहीं, मुख्यमंत्री को अलग-अलग मुद्दों पर पत्र भेजे जा रहे हैैं। इसमें यूपीपीएससी द्वारा पीसीएस-2018, 2019 व 2020 के समस्त अभ्यर्थियों का अंक पत्र जारी करने तथा स्केलिंग व माडरेशन की स्थिति स्पष्ट करने की मांग के साथ समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी-2016 में माइनस मार्किंग लागू करने को विज्ञापन का उल्लंघन बताया गया है। तर्क है कि विज्ञापन में माइनस मार्किंग का जिक्र नहीं था, फिर भी उसे लागू किया गया। इन मुद्दों पर सीएम से हस्तक्षेप करके अभ्यर्थियों को राहत दिलाने की मांग उठाई गई है।


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