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UP PCS 2020 प्रारंभिक परीक्षा के संशोधित परिणाम को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती, कल होगी सुनवाई

यूपीपीएससी की पीसीएस-2020 की प्रारंभिक परीक्षा के संशोधित परिणाम को इलाहाबद हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। आरोप है कि आयोग ने संशोधित परिणाम जारी करके पूर्व में चयनित 1015 अभ्यर्थियों को चयन सूची से बाहर कर दिया। इसका कोई कारण भी नहीं बताया गया।

By Umesh Kumar TiwariEdited By: Published: Thu, 21 Jan 2021 08:31 PM (IST)Updated: Thu, 21 Jan 2021 08:32 PM (IST)
UP PCS 2020 प्रारंभिक परीक्षा के संशोधित परिणाम को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती, कल होगी सुनवाई
यूपीपीएससी की पीसीएस-2020 की प्रारंभिक परीक्षा के संशोधित परिणाम को इलाहाबद हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है।

प्रयागराज, जेएनएन। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की पीसीएस-2020 की प्रारंभिक परीक्षा के संशोधित परिणाम को इलाहाबद हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। आरोप है कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने संशोधित परिणाम जारी करके पूर्व में चयनित 1015 अभ्यर्थियों को चयन सूची से बाहर कर दिया। इसका कोई कारण भी नहीं बताया गया है और न ही अभ्यर्थियों को सुनवाई का मौका दिया गया।

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महेश सिंह व अन्य ने इसे लेकर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। याचिका पर न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल की एकलपीठ ने सुनवाई की। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के अधिवक्ता के अनुरोध पर हाई कोर्ट ने मामले को सुनवाई के लिए शुक्रवार को सुबह 10 बजे प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।

याचियों के अधिवक्ता अतुल कुमार शाही का कहना था कि याचीगण पीसीएस-2020 प्रारंभिक परीक्षा में बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) पद के लिए चयनित हुए थे। आयोग ने 24 नवंबर 2020 को प्रारंभिक परीक्षा का संशोधित परिणाम जारी किया। लेकिन, इस बार नई चयन सूची में सिर्फ सीडीपीओ पर चयनित 1575 अभ्यर्थियों के नाम थे, परंतु संशोधित सूची में पूर्व में चयनित याचीगण सहित सभी 1015 अभ्यर्थियों को बाहर कर दिया गया।

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने सिर्फ रोल नंबर जारी किए हैं। कटेगरी और प्राप्तांक का कोई ब्योरा नहीं दिया है। इससे संशोधित परिणाम की पारदर्शिता संदेह में है। अधिवक्ता का कहना था कि याचियों को चयन सूची से बाहर करने से पूर्व उनका पक्ष नहीं जाना गया और न ही सुनवाई का कोई मौका दिया। यह नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के विरुद्ध है। कोर्ट ने इस मामले में लोक सेवा आयोग से जवाब मांगा था। आयोग के अधिवक्ता ने समय की मांग की, जिस पर कोर्ट ने प्रकरण 22 जनवरी को सुबह दस बजे सुनवाई के लिए प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।


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