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लैब टेक्नीशियन भर्ती में यूपी सरकार को बड़ी राहत, इलाहाबाद हाई कोर्ट का भर्ती प्रतिक्रिया में हस्तक्षेप से इनकार

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की लैब तकनीशियन भर्ती 2016 की वैधानिकता के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Wed, 09 Sep 2020 09:35 PM (IST)Updated: Wed, 09 Sep 2020 09:41 PM (IST)
लैब टेक्नीशियन भर्ती में यूपी सरकार को बड़ी राहत, इलाहाबाद हाई कोर्ट का भर्ती प्रतिक्रिया में हस्तक्षेप से इनकार
लैब टेक्नीशियन भर्ती में यूपी सरकार को बड़ी राहत, इलाहाबाद हाई कोर्ट का भर्ती प्रतिक्रिया में हस्तक्षेप से इनकार

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लैब तकनीशियन भर्ती मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की लैब तकनीशियन भर्ती 2016 की वैधानिकता के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। हाई कोर्ट ने कहा कि चयन प्रक्रिया में कोई अवैधानिकता नहीं है। कोर्ट के आदेशानुसार नियमों का पालन करते हुए चयन किया गया है। दर्जनों याचिकाएं कोर्ट ने खारिज कर दी हैं।

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यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने नमित पांडेय व अन्य याचिकाओं पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता सीमांत सिंह, विपक्षी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता आरके ओझा, एमए सिद्दीकी व आयोग के अधिवक्ता केएस कुशवाहा ने बहस की। कोर्ट ने बिंदुवार उठाये गए सभी मुद्दों पर विचार करते हुए फैसला दिया है। अंतरिम आदेश से पहले ही कोर्ट ने चयनित अभ्यर्थियों की कोविड-19 के प्रकोप के कारण नियुक्ति पर लगी रोक को खत्म करते हुए सरकार को अस्पतालों में तैनाती की छूट दे दी थी।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि लैब तकनीशियन भर्ती के लिए 20 दिसंबर 2003 के शासनादेश व नियम अनुसार इंटरमीडिएट पास राज्य मेडिकल फैकल्टी में पंजीकृत लैब तकनीशियन डिप्लोमा धारकों को ही योग्य करार दिया गया है। विज्ञापन शर्तों में पंजीकृत होने की शर्त नहीं थी। ऐसे चयनित अभ्यर्थियों को पंजीकृत होने का मौका दिया। साक्षात्कार में एक पद पर तीन को बुलाने के लिए कटऑफ मार्क में ढील दी, इसलिए यह कहना सही नहीं है कि बीच में नियम बदले गये।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि याचियों ने चयन में दुर्भावना व पक्षपात का आरोप नहीं लगाया है। चयन में अवैधानिकता का साक्ष्य नहीं दे सके। कहा कि केवल सामान्य और निराधार आरोपों पर चयन प्रक्रिया रद नहीं की जा सकती।


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