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UP Election 2022: विक्रमाजीत मौर्य व राजमणि कोल का पत्‍ता हुआ साफ, भाजपा से कटा टिकट

UP Election 2022 प्रयागराज की फाफामऊ विधान सभा सीट पर पार्टी ने बसपा का साथ छोड़कर आए पूर्व विधायक गुरु प्रसाद मौर्य पर भरोसा जताया है। यह भी केशव मौर्य के निकटतम लोगों में शामिल हैं। इसी सीट पर वह 2007 में बसपा के टिकट पर चुनाव जीते थे।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Fri, 28 Jan 2022 03:40 PM (IST)Updated: Fri, 28 Jan 2022 04:16 PM (IST)
UP Election 2022: विक्रमाजीत मौर्य व राजमणि कोल का पत्‍ता हुआ साफ, भाजपा से कटा टिकट
UP Election 2022 भारतीय जनता पार्टी ने प्रयागराज की छह सीटों पर प्रत्‍याशी घोषित किए, इनमें दो नए चेहरे हैं।

प्रयागराज, [अमलेंदु त्रिपाठी]। लंबे मंथन के बाद आखिर भाजपा ने अपने पत्‍ते खोले। पहले चरण में प्रयागराज की सिर्फ छह सीटों पर उम्‍मीदवारों की घोषणा हुई। उत्‍तर प्रदेश विधान सभा चुनाव 2022 में भाजपा ने चार सीटों पर वर्तमान विधायकों पर भरोसा जताया, वहीं दो सीटों पर नए चेहरे उतारे हैं। चौंकाने वाली बात यह है क‍ि फाफामऊ सीट पर वर्तमान विधायक विक्रमाजीत मौर्य जो उप मुख्‍यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के करीबी माने जाते हैं, वह अपनी सीट नहीं बचा सके।

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फाफामऊ सीट पर बसपा छोड़कर आए गुरु प्रसाद मौर्य को टिकट

फाफामऊ विधान सभा सीट पर पार्टी ने बसपा का साथ छोड़कर आए पूर्व विधायक गुरु प्रसाद मौर्य पर भरोसा जताया है। यह भी उप मुख्‍यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के निकटतम लोगों में शामिल हैं। इसी सीट पर वह 2007 में बसपा के टिकट पर चुनाव जीते थे। जातीय समीकरण को संतुष्‍ट करते हुए वर्तमान विधायक के प्रति लोगों की नाराजगी को देखते हुए पार्टी ने यहां प्रत्‍याशी बदलने का फैसला लिया।

कोरांव सीट से वर्तमान विधायक राजमणि कोल को नहीं मिला टिकट

कोरांव विधान सभा सीट पर वर्तमान विधायक राजमणि कोल को लेकर लोगों में नाराजगी की बात शीर्ष नेतृत्‍व तक पहुंची थी। जबकि वह पिछली बार के चुनाव में जिले में सबसे अधिक वोटों के अंतर से जीत दर्ज करने वाले प्रत्‍याशी थे। इस बार वह अपना टिकट नहीं बचा सके। पार्टी ने यहां से आरती कोल को मैदान में उतारा है। वह यमुनापार भाजपा की जिला मंत्री भी हैं। जिला पंचायत सदस्‍य भी रह चुकी हैं। इस बार भी उन्‍होंने जिला पंचायत का चुनाव लड़ा लेकिन हार का सामना करना पड़ा। इनकी राजनीतिक पृष्‍ठभूमि है। उम्‍मीद जताई जा रही है कि पिता की सियासी जमीन का लाभ मिलेगा।

मेजा सीट पर नीलम करवरिया दूसरी बार चुनाव मैदान में

यमुनापार की मेजा सीट भी खास होगी। नीलम करवरिया दूसरी बार अपना भाग्‍य आजमाएंगी। 2017 के चुनाव में वह पहली बार सियासत में उतरीं और जीत दर्ज करने में सफल भी हुईं। हालांकि इनके पति उदयभान करवरिया दो बार बारा विधान सभा सीट से जीत दर्ज कर चुके हैं। इस बार इन्‍हें टिकट मिलने की वजह क्षेत्र में जातीय समीकरण को माना जा रहा है।

फूलपुर सीट पर वर्तमान विधायक प्रवीण पटेल को मिला टिकट

गंगापार की फूलपुर सीट पर वर्तमान विधायक प्रवीण कुमार पटेल भी लगातार दूसरी बार भाजपा के टिकट पर उतरेंगे। इन्‍हें भी पिता महेंद्र प्रताप सिंह की सियासी जमीन का लाभ मिलने की बात कही जा रही है। जातीय समीकरण भी इनके पक्ष में बैठता है।

शहर पश्चिमी सीट पर सिद्धार्थ नाथ सिंह दोबारा मैदान में

शहर पश्चिमी सीट पर सिद्धार्थ नाथ सिंह भी दोबारा मैदान में आ रहे हैं। यह सीट कभी माफिया अतीक अहमद का गढ़ मानी जाती थी। पिछले दिनों इसी विधान सभा क्षेत्र में सबसे अधिक जमीनें माफिया से मुक्‍त कराई गई थी।

शहर दक्षिणी सीट पर नंदी को फिर मिला टिकट

शहर दक्षिणी की बात करें तो नंद गोपाल गुप्‍त नंदी पर भी भाजपा ने फिर दांव लगाया है। यदि वह जीतने में सफल होंगे तो यह उनका तीसरा कार्यकाल यहां से होगा। 2007 में बसपा से उन्‍होंने भाजपा के पंडित केशरी नाथ त्रिपाठी को मात दी थी। उसके बाद 2017 में इसी सीट पर सपा उम्‍मीदवार परवेज अहमद टंकी को हराया था।


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