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यूपी सरकार में प्रयागराज की रही अहम भागीदारी, जानिए कितने मुख्यमंत्री और मंत्री रहे यहां से

यदि इतिहास के पन्नों को पलटें तो संगम नगरी की धरा खासी उपजाऊ नजर आती है। यहां वर्तमान में 12 विधानसभा सीटें हैं। इनसे प्रदेश को दो मुख्यमंत्री एक उप मुख्यमंत्री और 11 मंत्री मिले। इसी तरह रजवाड़ों की धरती प्रतापगढ़ भी लखनऊ में मजबूत दावेदारी रखती है।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Sat, 29 Jan 2022 07:30 AM (IST)Updated: Sat, 29 Jan 2022 07:30 AM (IST)
यूपी सरकार में प्रयागराज की रही अहम भागीदारी, जानिए कितने मुख्यमंत्री और मंत्री रहे यहां से
प्रयागराज से हेमवती नंदन और विश्वनाथ प्रताप सिंह विधायक चुने के बाद बने थे मुख्यमंत्री

प्रयागराज, जेएनएन। 18वीं विधानसभा के गठन के लिए सरगर्मी बढ़ रही है। कहां से कौन जीतेगा, कौन हारेगा। आगे चलकर किसे मंत्री पद मिलेगा। यह सब मतदाताओं के रुख पर निर्भर करेगा। अभी यदि इतिहास के पन्नों को पलटें तो संगम नगरी की धरा खासी उपजाऊ नजर आती है। यहां वर्तमान में 12 विधानसभा सीटें हैं। इनसे प्रदेश को दो मुख्यमंत्री, एक उप मुख्यमंत्री और 11 मंत्री मिले।

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इसी तरह रजवाड़ों की धरती प्रतापगढ़ भी लखनऊ में मजबूत दावेदारी रखती है। सात विधानसभा सीटों में से सिर्फ बाबागंज सीट ऐसी है जहां से अब तक कोई मंत्री नहीं बना। कौशांबी की चायल सीट भी कोई मंत्री देने में असफल साबित हुई है। प्रस्तुत है सभी 22 सीटों का लेखा जोखा रखती अमलेन्दु त्रिपाठी की रिपोर्ट।

बारा, सिराथू, मंझनपुर और सोरांव सीट से मिले मुख्यमंत्री

स्वतंत्रता के पहले और उसके बाद भी सत्ता के केंद्र में प्रयागराज (पूर्ववर्ती इलाहाबाद) रहा है। हेमवती नंदन बहुगुणा और पूर्व प्रधानमंत्री स्व. विश्वनाथ प्रताप सिंह इसी जिले की विधानसभा सीटों से विधायक बने और आगे चलकर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर भी पहुंचे। हेमवती नंदन बहुगुणा 1957 में मंझनपुर, 1962 में सिराथू विधानसभा, 1967 और 1974 में बारा सीट से विधायक चुने गए। 1973 से 1975 तक वह प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। सियासी सफर को आगे बढ़ाते हुए वह 1979 में केंद्र सरकार में वित्त राज्यमंत्री भी बने।

खास यह कि 1984 के संसदीय चुनाव में उन्हें इलाहाबाद सीट से अमिताभबच्चन ने मात भी दी थी। इसी क्रम में सोरांव विधानसभा सीट भी खास है। यहां से पूर्व प्रधानमंत्री स्व. विश्वनाथ प्रताप सिंह 1969 में विधायक चुने गए थे। आगे चलकर वह भी 1980 में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे। इस सीट से एक और उल्लेखनीय नाम पूर्व प्रधानमंत्री स्व. लाल बहादुर शास्त्री का जुड़ा है। 1951 में वह यहां से विधायक चुने गए और प्रदेश सरकार में गृह राज्य मंत्री बने। तब यह सीट सोरांव नार्थ कम फूलपुर के नाम से जानी जाती थी।

मंत्री देने वाली विधानसभा सीट

इलाहाबाद शहर उत्तरी विधानसभा सीट से नरेंद्र सिंह गौर 1991, 1993, 1996 और 2002 में विधायक बने और प्रदेश सरकार में उच्च शिक्षामंत्री रहे। इसी सीट पर राजेंद्र कुमारी वाजपेयी भी 1962, 1967,1969, 1974 में विधायक रहीं। वह मंत्री बनने के साथ पांडिचेरी की राज्यपाल भी बनीं। शहर दक्षिणी सीट से नंद गोपाल गुप्त नंदी 2007 और 2017 में विधायक बने और प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री की भी कुर्सी मिली। पं. केशरीनाथ त्रिपाठी इसी सीट से 1989, 1991, 9193, 1996 और 2002 में विधायक चुने गए। प्रदेश सरकार में मंत्री बनने के साथ वह विधानसभा अध्यक्ष और कई प्रदेशों के राज्यपाल भी बनें। इस सीट से 1974 और 1977 में सत्यप्रकाश मालवीय विधायक चुने गए। आगे चलकर वह भी केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री बने।

शहर पश्चिमी सीट से 2017 में विधायक चुने जाने के बाद सिद्धार्थनाथ सिंह को भी कैबिनेट मंत्री का दायित्व मिला। हंडिया विधानसभा सीट से राकेशधर त्रिपाठी 1985, 1989, 1996 और 2007 में विधायक चुने गए। बीजेपी सरकार में उच्च शिक्षामंत्री बनने का अवसर मिला। यहीं से 1980 में राजेंद्र त्रिपाठी भी विधायक बने, उन्हें भी गृह राज्यमंत्री बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। करछना सीट से 2004 और 2017 में उज्ज्वल रमण सिंह विधायक चुने गए। उन्हें दर्जा राज्यमंत्री बनने का अवसर मिला। उनके पिता रेवती रमण सिंह भी इसी सीट पर 1974, 1977, 1985, 1989, 1991, 1996 और 2002 में विधायक रहे। सपा सरकार में परिवहन मंत्री भी बने।

प्रतापपुर विधानसभा सीट से श्याम सूरत उपाध्याय 1969, 1980, 1985 और 2002 विधायक बने और ग्राम विकास मंत्री बनने का अवसर मिला। कौशांबी की मंझनपुर सीट पर चार जीत हासिल करने वाले इंद्रजीत सरोज भी मंत्री बनने में सफल हुए।

प्रतापगढ़ से मिले छह मंत्री

प्रतापगढ़ की कुंडा सीट से छह बार विधायक चुने गए रघुराज प्रताप सिंह को कल्याण सिंह, राम प्रकाश गुप्ता, राजनाथ सिंह, मुलायम सिंह यादव, अखिलेश प्रताप सिंह की सरकार में मंत्री बनने का मौका मिला। पट्टी विधानसभा सीट से विधायक बनने वाले राजेंद्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह को भी प्रदेश सरकार में दो बार मंत्री बनने का अवसर मिला। रानीगंज विधानसभा सीट पूर्ववर्ती बीरापुर सीट व पट्टी से विधायक रहे शिवाकांत ओझा को भी प्रदेश सरकार में मंत्री बनने का अवसर मिला। गड़वारा से विधायक रहे राजाराम पांडेय भी प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके हैं। रामपुर खास सीट से विधायक रहने वाले प्रमोद तिवारी भी प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके हैं। सदर सीट से जीत दर्ज करने वाले बृजेश शर्मा भी परिवहन मंत्री का दायित्व निभा चुके हैं।

सिराथू सीट ने दिया उप मुख्यमंत्री

कौशांबी की सिराथू सीट से विधायक बनने वाले केशव प्रसाद मौर्य प्रदेश सरकार में उप मुख्यमंत्री का ओहदा प्राप्त कर चुके हैं। यहां की चायल सीट से अब तक कोई मंत्री नहीं बना है। प्रयागराज की मेजा, काेरांव, फाफामऊ और फूलपुर सीट से जीत दर्ज करने वाले विधायक भी कभी प्रदेश सरकार में मंत्री नहीं बन सके। इसी तरह प्रतापगढ़ की बाबागंज विधानसभा सीट से भी जीतने वालों को मंत्री बनने का अवसर कभी नहीं मिला।


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