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UP Election 2022: भाजपा ने पुराने चेहरों पर जताया ज्यादा भरोसा, प्रयागराज में दो महिला प्रत्‍याशी

UP Election 2022 यूपी विधान सभा चुनाव के तहत प्रयागराज में यमुनापार की मेजा सीट भी खास है। यहां की वर्तमान विधायक नीलम करवरिया को दूसरी बार मौका मिला है। वह इसी सीट से 2017 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने में सफल हुई थीं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 29 Jan 2022 07:55 AM (IST)Updated: Sat, 29 Jan 2022 07:55 AM (IST)
UP Election 2022: भाजपा ने पुराने चेहरों पर जताया ज्यादा भरोसा, प्रयागराज में दो महिला प्रत्‍याशी
UP Election 2022 प्रयागराज में 12 में से छह सीटों पर अभी भाजपा ने प्रत्याशियों के नामों का इंतजार है।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। उत्‍तर प्रदेश विधान सभा चुनाव 2022 के पांचवें चरण में होने वाले चुनाव के लिए भाजपा ने पत्ते खोलने शुरू कर दिए हैं। जारी लिस्‍ट के पहले चरण में प्रयागराज की सिर्फ छह सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की गई है। इनमें से चार सीटों के लिए पुराने चेहरों पर ही पार्टी ने भरोसा जताया है। दो सीटों पर महिला उम्मीदवारों को मौका मिला है। अभी जनपद की छह और सीटों पर प्रत्याशियों के नामों का इंतजार है। प्रतापगढ़ और कौशांबी से भी सभी सीटों की घोषणा नहीं हो सकी है।

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2007 में बसपा के टिकट पर जीते थे गुरु प्रसाद

फाफामऊ सीट पर वर्तमान विधायक विक्रमाजीत मौर्य जो उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के करीबी माने जाते हैं, वह अपना टिकट नहीं बचा सके। इस सीट पर पार्टी ने बसपा का साथ छोड़कर आए पूर्व विधायक गुरु प्रसाद मौर्य पर भरोसा जताया है। यह भी उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के निकटतम लोगों में शामिल हैं। इसी सीट पर वह 2007 में बसपा के टिकट पर चुनाव जीते थे। कहा जा रहा है कि जातीय समीकरण को संतुष्ट करते हुए वर्तमान विधायक के प्रति लोगों की नाराजगी को देखते हुए पार्टी ने यहां प्रत्याशी बदलने का फैसला लिया।

आरती कोल रह चुकी हैं जिला पंचायत सदस्य

कोरांव विधान सभा सीट पर वर्तमान विधायक राजमणि कोल को लेकर लोगों में नाराजगी की बात शीर्ष नेतृत्व तक पहुंची थी। वह पिछली बार के चुनाव में जिले में सबसे अधिक वोटों के अंतर से जीत दर्ज करने वाले प्रत्याशी बने थे। इस बार वह अपना टिकट नहीं बचा सके। पार्टी ने यहां से आरती कोल को मैदान में उतारा है। वह यमुनापार भाजपा की जिला मंत्री भी हैं। जिला पंचायत सदस्य रह चुकी हैं। इस बार भी उन्होंने जिला पंचायत का चुनाव लड़ा लेकिन हार का सामना करना पड़ा। परिवार की राजनीतिक पृष्ठभूमि है। पिता स्व. भाईलाल कोल दो बार विधायक व एक बार सांसद रह चुके हैं। पति खनन विभाग में कार्यरत हैं।

नीलम करवरिया को दूसरी बार मिला मौका

यमुनापार की मेजा सीट भी खास है। यहां की वर्तमान विधायक नीलम करवरिया को दूसरी बार मौका मिला है। वह इसी सीट से 2017 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने में सफल हुई थीं। इनके पति उदयभान करवरिया दो बार बारा विधान सभा सीट से जीत दर्ज कर चुके हैं। इस बार इन्हें टिकट मिलने की वजह क्षेत्र में जातीय समीकरण को माना जा रहा है।

प्रवीण पटेल 2007 में भी चुने गए थे विधायक

गंगापार की फूलपुर विधानसभा सीट पर वर्तमान विधायक प्रवीण कुमार पटेल भी लगातार दूसरी बार भाजपा के टिकट पर उतरेंगे। इन्हें भी पिता महेंद्र प्रताप सिंह की सियासी जमीन का लाभ मिल सकता है। क्षेत्र के जातीय समीकरण को साधने में भी मदद मिल सकती है। इससे पहले वह 2007 में बसपा के टिकट पर पहली बार विधायक बने थे। 2000 में छत्रपति शिवाजी महाराज विश्वविद्यालय से एमए की पढ़ाई पूरी की थी।

सिद्धार्थनाथ सिंह का 1997 में शुरू हुआ था सियासी सफर

सिद्धार्थनाथ सिंह का जन्म दिल्ली में हुआ। स्नातक की पढ़ाई दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कालेज से हुई। राजनीतिक सफर की शुरुआत 1997 से हुई। इसी साल बीजेपी के सक्रिय सदस्य बने। भाजपा युवा मोर्चा में राष्ट्रीय कार्यसमित सदस्य रहे। पहली बार 2017 में भाजपा के टिकट पर शहर पश्चिमी सीट से मैदान में उतरे और सपा प्रत्याशी डा. ऋचा सिंह को हराया। यह सीट कभी माफिया अतीक अहमद का गढ़ मानी जाती थी। इस बार फिर पार्टी ने भरोसा जताते हुए उन्हें टिकट दिया है।

नंदी 2007 में बसपा के टिकट पर पहली बार जीते थे

शहर दक्षिणी से नंद गोपाल गुप्त नंदी फिर ताल ठोंकेगे। 2007 में वह यहां से बसपा के टिकट पर पहली बार चुनाव लड़े और जीते थे। उन्होंने भाजपा के पं. केशरीनाथ त्रिपाठी को मात दी थी। उसके बाद 2012 में इसी सीट पर सपा उम्मीदवार परवेज अहमद टंकी को हराया था। 2017 में भी विजयश्री मिली। 2014 में कांग्रेस के टिकट पर इलाहाबाद लोकसभा सीट से भाग्य आजमा चुके हैं। तब भाजपा के प्रत्याशी श्यामाचरण गुप्त से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।

मोती सिंह पट्टी से छठीं बार बने प्रत्याशी

पट्टी से कैबिनेट मंत्री राजेंद्र प्रताप सिंह मोती सिंह को टिकट मिलना लगभग तय माना जा रहा था। वह 1996 से लगातार भाजपा से पट्टी सीट से चुनाव लड़ते आ रहे हैं। वर्ष 2012 में उन्हें दस्यु सरगना रहे ददुआ के भतीजे व सपा प्रत्याशी राम सिंह पटेल से हार का सामना करना पड़ा था। भाजपा ने पट्टी सीट से उन्हें छठीं बार प्रत्याशी बनाया है।

प्रमोद यादव के गढ़ में नागेश प्रताप सिंह उतरेंगे

कांग्रेस के गढ़ रामपुर खास से भाजपा ने नागेश प्रताप सिंह उर्फ छोटे सरकार को प्रत्याशी बनाया है। छोटे सरकार वर्ष 2014 के उप चुनाव में पहली बार भाजपा से चुनाव लड़े थे। वह भाजपा के टिकट से तीसरी बार चुनाव लडऩे जा रहे हैं। पिछले चुनाव में छोटे सरकार को कांग्रेस प्रत्याशी आराधना मिश्रा मोना से 16,745 मतों से शिकस्त मिली थी।

राजा भैया के मुकाबले सिंधुजा मिश्रा

जिले की चर्चित सीट कुंडा से जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया के सामने भाजपा ने सहकारी बैंक की पूर्व अध्यक्ष सिंधुजा मिश्रा को चुनाव मैदान में उतारा है। इस सीट से सिंधुजा मिश्रा के पति शिव प्रकाश सेनानी वर्ष 2007 व 2012 में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे।

केशव पासी 2002 में सपा के टिकट पर लड़े थे

बाबागंज सीट से पिछली बार प्रत्याशी रहे पवन गौतम का टिकट काटकर भाजपा ने केशव पासी को मैदान में उतारा है। पवन गौतम स्वामी प्रसाद मौर्य के करीबी माने जाते हैं, इसलिए इनका टिकट कटना तय माना जा रहा था। केशव पासी वर्ष 2002 में सपा के टिकट पर इस सीट से चुनाव लड़े थे और उन्हें निर्दल प्रत्याशी रामनाथ सरोज से कारारी हार का सामना करना पड़ा था।


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