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प्रथम राष्‍ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद के जरिए सियासी लकीर खींच गए मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ, जानें कैसे

उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय का नाम डा. राजेंद्र प्रसाद के नाम पर किए जाने का सुझाव हर किसी को चौंका गया। माना जा रहा है कि प्रदेश में 19 लाख कायस्थ वोटों को साधने की कोशिश की गई है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sun, 12 Sep 2021 01:17 PM (IST)Updated: Sun, 12 Sep 2021 01:17 PM (IST)
प्रथम राष्‍ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद के जरिए सियासी लकीर खींच गए मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ, जानें कैसे
राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय का नाम सीएम योगी ने प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद के नाम पर करने का सुझाव दिया।

प्रयागराज, [शरद द्विवेदी]। उत्तर प्रदेश में 2022 होने जा रहे विधानसभा चुनाव के बीच राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के शिलान्यास समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बड़ी सियासी फील्डिंग सजा गए। प्रदेश के इकलौते राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय का नाम प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद के नाम पर करने के उनके सुझाव को बड़े सियासी दांव के रूप में देखा जा रहा है। चुनाव में निशाना कितना सटीक बैठेगा, यह तो चुनाव परिणाम बताएंगे, लेकिन योगी कायस्थ वोट पर बड़ी डोर डाल गए।

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उप्र में 19 लाख कायस्‍थ वोटों को साधने की कोशिश माना जा रहा

प्रदेश में चुनावी तैयारियों के बीच राजनीतिक दलों में ब्राह्मïण वोटों को लेकर खींचतान चल रही है। बसपा ब्राह्मïण सम्मेलन कर रही है तो सपा परशुराम का मंदिर बनवाने के नाम पर ब्राह्मण वोटों पर नजर लगाए है। कांग्रेस के राहुल गांधी भी मंदिर परिक्रमा कर रहे हैैं। राजनीतिक गलियारे में माना जाता है कि ब्राह्मण वोट भाजपा के खाते में पड़ता है। ऐसे में योगी आदित्यनाथ द्वारा राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय का नाम डा. राजेंद्र प्रसाद के नाम पर किए जाने का सुझाव हर किसी को चौंका गया। माना जा रहा है कि प्रदेश में 19 लाख कायस्थ वोटों को साधने की कोशिश की गई है।

डा. राजेंद्र प्रसाद का प्रयागराज से जुड़ाव रहा है

डा. राजेंद्र प्रसाद का जन्म तो बिहार के सारण जिले में हुआ था, लेकिन जुड़ाव प्रयागराज से भी रहा। आजादी से पहले यहां आनंद भवन में होने वाली कांग्रेस की बैठकों में उनका आना-जाना रहा। वे प्रयागराज में स्थित हिंदी साहित्य सम्मेलन के सभापति रहे। इसमें सियासी पक्ष यह है कि वह कायस्थों की एशिया की सबसे बड़ी संस्था केपी ट्रस्ट के सदस्य भी रहे, जिसका मुख्यालय प्रयागराज में है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने उन्हें 'डाक्टर आफ ला' की उपाधि से सम्मानित किया। उन्होंने राष्ट्रपति के रूप में प्रयागराज में कल्पवास भी किया है। इसके बावजूद उनके नाम पर प्रयागराज में न कोई स्मारक है, न चर्चित स्थल। उन्हें राजनीतिक रूप में ज्यादा तवज्जो नहीं मिली।

प्रयागराज के झलवा में होगी विधि विश्‍वविद्यालय की स्‍थापना

प्रयागराज में कायस्थों की लगभग चार लाख और उत्तर प्रदेश में लगभग 19 लाख संख्या को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी ने उन्हें याद कर बड़ी लकीर खींच दी है। इसमें एक और खास बात यह है कि इस राष्‍ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की स्थापना शहर पश्चिमी विधानसभा क्षेत्र में स्थित झलवा में होगी, जहां से विधायक प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह हैं। सिद्धार्थनाथ पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के नाती हैं और कायस्थ समाज से आते हैं। ऐसे में इसे योगी का सटीक दांव माना जा रहा है।


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