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UP Chunav 2022: इन नेताओं ने पुराने दलों से पकड़ी रफ्तार और नई पार्टियों में शामिल होकर भरी उड़ान

1962 के चुनाव में पीएसपी (प्रजा सोशलिस्ट पार्टी) की आंधी चली थी। प्रयागराज में मेजा करछना झूंसी सोरांव वेस्ट इलाहाबाद सिटी साउथ चायल विधानसभा पर इसका कब्जा रहा था। मेजा से सालिकराम जायसवाल व इलाहाबाद सिटी साउथ से छुन्नन गुरु जीते थे।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Mon, 24 Jan 2022 09:39 AM (IST)Updated: Mon, 24 Jan 2022 09:40 AM (IST)
UP Chunav 2022:  इन नेताओं ने पुराने दलों से पकड़ी रफ्तार और नई पार्टियों में शामिल होकर भरी उड़ान
राजनीतिक पटल पर चमके केसरीनाथ त्रिपाठी, कुंवर रेवती रमण सिंह, राकेशधर त्रिपाठी

प्रयागराज, जेएनएन। भाजपा, बसपा और सपा के आस्तिव में आने से पहले दूसरे दलों की तूती बोलती थी। चुनाव में जिस भी दल की आंधी चलती थी तो उसमें दिग्गज सुरआओं को भी हार का मुंह देखना पड़ता था। पुराने दलों से कई वीर योद्धा भी निकले, जिन्होंने राजनीति में बड़ा नाम कमाया। बाद में वह भाजपा, बसपा, सपा और कांग्रेस में बड़ा नाम बने। उन्होंने राजनीतिक परिदृश्य को बदला। अपनी अगली पीढ़ी को भी राजनीति के पथ पर अग्रसर किया है। प्रस्तुत है रिपोर्ट...

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आजादी के बाद पीएसपी (प्रजा सोशलिस्ट पार्टी), केएमपीपी (किसान मजूदर प्रजा पार्टी), एसएसपी (संघट सोशलिस्ट पार्टी), बीजेएस (भारतीय जन संघ), बीकेडी (भारतीय क्रांति दल), एनसीओ (इंडियन नेशनल कांग्रेस), जेएनपी (जनता पार्टी), एलकेडी (लोक दल), जेडी (जनता दल) व सीपीएम (कम्युनिस्ट पार्टी आफ इंडिया) का कालांतर में बोल-बोला रहा। इन पार्टियों ने प्रयागराज व आसपास के जिलों में राज किया। अब तो लड़ाई भाजपा, सपा, बसपा, कांग्रेस में होती है।

पीएसपी की चली आंधी

1962 के चुनाव में पीएसपी (प्रजा सोशलिस्ट पार्टी) की आंधी चली थी। प्रयागराज में मेजा, करछना, झूंसी, सोरांव वेस्ट, इलाहाबाद सिटी, साउथ, चायल विधानसभा पर इसका कब्जा रहा था। मेजा से सालिकराम जायसवाल व इलाहाबाद सिटी साउथ से छुन्नन गुरु जीते थे। चायल से चौधरी नौनिहाल सिंह विजयी हुए थे।

एसएसपी ने बनाई जगह

1967 के विधानसभा चुनाव में एसएसपी ने जगह बनाई थी। बहादुरपुर, सोरांव, इलाहाबाद साउथ पर इसके प्रत्याशी जीते थे।1969 के चुनाव में बहादुरपुर, हंडिया, प्रतापपुर और सिराथू में एसएसपी जीती थी।

बीकेडी का उदय

1974 के चुनाव में हंडिया, प्रतापपुर, सोरांव, इलाहाबाद साउथ सीट पर बीकेडी ने कब्जा जमाया। करछना से एनसीओ और इलाहाबाद पश्चिमी से बीजेएस की जीत हुई थी।

केसरीनाथ और रेवती रमण लड़े एक पार्टी से

1977 के चुनाव में करछना से रेवती रमण सिंह व झूंसी से केसरीनाथ त्रिपाठी जेएनपी के टिकट पर चुनाव लड़े और जीते भी। मेजा, बारा, हंडिया, प्रतापपुर, सोरांव, नवाबगंज, इलाहाबाद उत्तरी, इलाहाबाद दक्षिणी, इलाहाबाद पश्चिमी, चायल और मंझनपुर सीट पर जेएनपी के प्रत्याशी विजयी रहे। 1985 के चुनाव में राकेशधर त्रिपाठी हंडिया विधानसभा से जेएनपी से जीते।

जेडी ने बनाई पैठ

1989 और 1991 के चुनाव में जेडी का तूफान आया। 1989 में मेजा, बारा, झूंसी, करछना, हंडिया, प्रतापपुर, सोरांव, इलाहाबाद उत्तरी सीट इसके कब्जे में आ गई। 1991 में मेजा, करछना, हंडिया, प्रतापपुर, सोरांव और झूंसी में फिर जेडी का परचम हराया।

एलकेडी और सीपीएम की छाप

1985 के चुनाव में अनुग्रह नारायण सिंह एलकेडी के चुनाव चिन्ह पर पड़े और विजयी हुए। 1989 में जेडी से जीते।सीपीएम के टिकट पर राम कृपाल 1996 और 2002 में मेजा से विधायक हुए।


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