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यूपी चुनाव 2022: प्रयागराज में हंडिया विधानसभा सीट पर किसी पार्टी का वर्चस्‍व नहीं कायम हो सका

UP Chunav 2022 प्रयागराज की हंडिया विधानसभा सीट की चर्चा करते हैं। पिछले पांच बार के विधानसभा चुनावों के नतीजों पर नजर डालें तो मुकाबला बसपा सपा और भाजपा के बीच होता चला आया है। कांग्रेस ने भी दावा ठोंका है मगर मुख्य लड़ाई के लिए संघर्ष नहीं किया।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 15 Jan 2022 12:03 PM (IST)Updated: Sat, 15 Jan 2022 12:17 PM (IST)
यूपी चुनाव 2022: प्रयागराज में हंडिया विधानसभा सीट पर किसी पार्टी का वर्चस्‍व नहीं कायम हो सका
यूपी विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर यहां हंडिया विधानसभा सीट से संबंधित जानकारी आप भी लें।

प्रयागराज, [रमेश यादव]। यूपी विधानसभा 2022 का समर शुरू है। प्रयागराज की हंडिया विधानसभा की चर्चा हमेशा राजनैतिक गलियारों में होती रही है। क्षेत्र में कभी एक पार्टी का वर्चस्व कायम नहीं हो सका। हर पार्टी को यहां जीत मिली। मतदाताओं ने राजनीति चमकाने का सबको मौका दिया। किसी भी चुनाव में कोई प्रत्याशी यह दावा नहीं कर पाया है कि इस बार तो सेहरा उसके सिर पर सजेगा। कांटे की जंग में ही जीत-हार का फैसला हुआ है।

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2007 के चुनाव में बसपा के राकेशधर त्रिपाठी को मिली थी जीत

पिछले पांच बार के विधानसभा चुनावों के नतीजों पर नजर डालें तो मुकाबला बसपा, सपा और भाजपा के बीच होता चला आया है। कांग्रेस ने भी दावा ठोंका है, मगर मुख्य लड़ाई के लिए संघर्ष नहीं किया। 2007 के विधानसभा चुनाव के दौरान जब बसपा की लहर चली थी तो राकेशधर त्रिपाठी यहां से 62,151 वोट लेकर विधायक बने। उन्होंने रोमांचक मुकाबले में सपा प्रत्याशी महेश नारायण सिंह को पराजित किया। सपा प्रत्याशी को 60,809 वोट हासिल हुए थे। बाकी 12 प्रत्याशी चुनाव में कुछ खास नहीं कर पाए थे।

नंबर गेम

-57.07 प्रतिशत मतदान हुआ था 2012 के विधानसभा चुनाव में

-54.69 प्रतिशत मतदाता बने थे 2017 में भाग्य विधाता

-485 वोट 2017 में पड़े थे पोस्टल बैलेट के माध्यम से

2012 में समाजवादी पार्टी विजयी हुई थी

2012 के चुनाव में समाजवादी पार्टी ने एक बार फिर महेश नारायण सिंह को प्रत्याशी बना। इस बार वह पार्टी की कसौटी पर खरे उतरे। उन्होंने 88,475 वोट हासिल किए। उनके निकट प्रतिद्वंद्वी पीएमएसपी प्रत्याशी राकेशधर त्रिपाठी को 43,096 वोट ही मिल पाए थे। जीत-हार का अंतर दोगुने का था। तीसरे स्थान पर बसपा प्रत्याशी राममिलन यादव रहे थे। उन्हें 31,930 वोट मिले। कुल 14 प्रत्याशियों की दावेदारी थी। शेष ने कहने के लिए चुनाव लड़ा था।

2017 में हुई थी रोमांचक जंग

2012 के चुनाव में जहां समाजवादी पार्टी को एकतरफा जीत मिली थी, वहीं 2017 के चुनाव में रोमांचक मुकाबला हुआ। बसपा, अपना दल और सपा के प्रत्याशियों ने वोटरों को खूब रिझाया मगर बाजी बसपा प्रत्याशी हाकिम लाल बिंद मार ले गए। उन्हें 72,446 वोट मिले थे। अपना दल प्रत्याशी प्रमिला त्रिपाठी को 63,920 वोट और सपा प्रत्याशी निधि यादव को 55,403 वोट हासिल करने में सफलता मिली थी। इस बार कुल 10 प्रत्याशी ही चुनाव मैदान में उतरे थे। 2017 में पिछले वर्ष की तुलना में मतदान प्रतिशत कम रहा था। 2012 के चुनाव में 57.07 प्रतिशत मतदाताओं ने क्षेत्र के नए विधायक का चुनाव किया था। 2017 में मतदान प्रतिशत 54.69 ही रह गया। कुल वोटों की संख्या में बढ़ोतरी हुई थी। 2012 में 1,82,368 मतदाताओं ने मतदान किया था। 2017 में यह संख्या बढ़कर 2,02,123 पर पहुंच गई थी। इस बार कुल मतदान प्रतिशत कितना रहता है, कौन विधायक बनेगा। इसका पता 10 मार्च को चलेगा।


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