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यूपी बाल विकास व पुष्टाहार विभाग कर्मचारियों ने निदेशक के आदेश को हाई कोर्ट में दी चुनौती

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बाल विकास व पुष्टाहार विभाग में कार्यरत संविदा और दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों ने सेवा विनियमितीकरण को लेकर जारी निदेशक के आदेश की चुनौती वाली याचिका पर तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Mon, 30 Nov 2020 09:21 PM (IST)Updated: Mon, 30 Nov 2020 09:21 PM (IST)
यूपी बाल विकास व पुष्टाहार विभाग कर्मचारियों ने निदेशक के आदेश को हाई कोर्ट में दी चुनौती
यूपी बाल विकास व पुष्टाहार विभाग कर्मचारियों ने निदेशक के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी है।

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बाल विकास व पुष्टाहार विभाग में कार्यरत संविदा और दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों ने सेवा विनियमितीकरण को लेकर जारी निदेशक के आदेश की चुनौती वाली याचिका पर तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। याचिका में विनियमितिकरण करने में भेदभाव का आरोप लगाते हुए समूह ग व घ पदों पर कार्यरत संविदा कर्मचारियों को विनियमित करने की मांग की है। 

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यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने राजेंद्र प्रसाद व 70 अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिया है। याचिका पर अब फरवरी 2021 में सुनवाई होगी। याचीगण के अधिवक्ता अनिल सिंह बिसेन का तर्क दिया कि सरकारी विभागों में समूह ग और घ के पदों पर संविदा पर कार्यरत हैं। उन्होंने विनियमितिकरण की मांग की थी जिसे निदेशक बाल विकास व पुष्टाहार ने 26 जुलाई 2019 के आदेश से यह कहते हुए रद कर दिया कि याचीगण लोकसेवा क्षेत्र से बाहर सरकारी विभागों में दैनिक मजदूर और संविदाकर्मी के तौर पर कार्य कर रहे हैं।

याचीगण के अधिवक्ता अनिल सिंह बिसेन का तर्क दिया कि नियमावली के तहत उनका विनियमितिकरण नहीं किया जा सकता है, जबकि निदेशक ने स्वयं एक संविदाकर्मी राजेश कुमार तिवारी को विनियमित किया है जो याचीगण के समान पद पर ही कार्यरत है।


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