UP Bike Bot Scam : करोड़ों की ठगी करने वाली कंपनी के निदेशकों को हाई कोर्ट से नहीं मिली राहत
UP Bike Bot Scam बाइक बोट नामक योजना चलाकर लाखों लोगों से करोड़ों रुपये की ठगी करने वाली कंपनी के दो निदेशकों को हाई कोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया है।
प्रयागराज, जेएनएन। देश के विभिन्न शहरों में बाइक बोट नामक योजना चलाकर लाखों लोगों से करोड़ों रुपये की ठगी करने वाली कंपनी के दो निदेशकों को हाई कोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया है। हाई कोर्ट ने उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी है। कंपनी के उपनिदेशक विशाल कुमार ने जमानत अर्जी दाखिल की थी, जबकि एक अन्य सचिन भाटी ने अग्रिम जमानत के लिए अर्जी दी थी। न्यायमूर्ति ओम प्रकाश सप्तम ने इन अर्जियों में सुनवाई की।
अपर शासकीय अधिवक्ता सैय्यद अली मुर्तजा ने जमानत अर्जियों का विरोध करते हुए कहा कि विशाल कुमार ने बिना अधीनस्थ न्यायालय में अर्जी दाखिल किए सीधे हाई कोर्ट में जमानत के लिए आवेदन किया है। जो निर्धारित प्रक्रिया के विरुद्ध है। इसी प्रकार दूसरी अर्जी भी अधीनस्थ कोर्ट में दाखिल करने की छूट के साथ खारिज कर दी गई।
इन निदेशकों पर आरोप है कि उन्होंने बाइक बोट के नाम से एक निवेश योजना शुरू की जिसमें ग्राहकों को प्रलोभन दिया गया कि वह कंपनी में 60 हजार रुपये का निवेश करें। इस रकम से बाइक खरीदी जाएगी। बाइक कंपनी के पास ही रहेगी मगर निवेशक को हर माह दस हजार रुपये एक साल तक मिलेंगे। इस प्रकार सालभर में उसकी रकम दोगुनी हो जाएगी। योजना में देश भर से लगभग दो लाख लोगों ने पैसा लगाया। इस प्रकार से कंपनी ने करीब 1500 करोड़ रुपये का निवेशकों का ठग लिया। कंपनी के निदेशकों के खिलाफ 55 प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।
बता दें कि इस पूरे घपले का मास्टरमाइंड नोएडा का रहने वाला सुंदर भाटी नाम का शख्स है। मास्टरमाइंड सुंदर भाटी समेत 19 लोगों ने मिलकर लोगों के साथ यह घपलेबाजी की है। वर्ष 1998 में काशीपुर से कैमिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा कर चुके संजय ने जनवरी 2010 में गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड कंपनी खोली थी। वर्ष 2017 में बाइक बोट के नाम से स्कीम शुरू की। इसमें एक बाइक पर 62100 रुपये निवेश करने पर एक साल में 1 लाख 17 हजार 180 रुपये मासिक किस्तों में लौटाए जाने की योजना थी। बाइक बोट स्कीम लॉन्च होने के कुछ ही दिनों में यूपी के अलग-अलग जिलों से होती हुई राजस्थान, गुड़गांव, रोहतक, पानीपत, पंजाब, मध्य प्रदेश, इंदौर, महाराष्ट्र और उत्तराखंड तक फैल गई। इस कंपनी में 2 लाख 25 हजार से अधिक निवेशक फंसे हुए हैं। अब तक 1500 करोड़ रुपये से अधिक का फ्राड सामने आ चुका है।