गंगा समग्र के केंद्रीय महामंत्री डॉ. आशीष गौतम बोले, हम सब को जन-जन के भीतर के भगवान को जगाना होगा Prayagraj News
मंच का संचालन करते हुए कहा कि नर्मदा समग्र के माध्यम से नर्मदा नदी पर किए कार्य और उसमें मिली सफलता के बाद गंगा समग्र की योजना बनी। इस कार्य के लिए विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष रहे स्व. अशोक सिंहल व पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती भी प्रेरणा स्रोत हैं।
प्रयागराज,जेएनएन। गंगोत्री से गंगासागर तक गंगा के दोनों तटों पर पांच किलोमीटर तक के गावों व शहरों में नित्य नैमित्तिक कार्यक्रम चलाने होंगे। हम सब को जन-जन के भीतर के भगवान को जगाना होगा। ऐसा करके ही लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। सरकार पर निर्भरता भी खत्म करनी होगी। यह विचार गंगा समग्र के केंद्रीय महामंत्री डॉ. आशीष गौतम ने शनिवार को प्रथम कार्यकर्ता संगम में व्यक्त किए।
केंद्रीय संगठन मंत्री ने कचरा प्रबंधन व कचरा परिशोधन का तरीका समझाया
मंच का संचालन करते हुए उन्होंने कहा कि नर्मदा समग्र के माध्यम से नर्मदा नदी पर किए कार्य और उसमें मिली सफलता के बाद गंगा समग्र की योजना बनी। इस कार्य के लिए विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष रहे स्व. अशोक सिंहल व पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती भी प्रेरणा स्रोत हैं। मंच से संघ प्रमुख के समक्ष संगठन के अब तक किए गए कार्यों का विवरण भी रखा गया। इस दौरान गंगा समग्र के केंद्रीय अध्यक्ष वीरेंद्र जायसवाल भी मौजूद रहे। पहला सत्र प्रात: 9:00 बजे शुरू हुआ। इसमें गंगा समग्र के केंद्रीय संगठन मंत्री मिथिलेश नारायण ने कचरा प्रबंधन व कचरा परिशोधन का तरीका समझाया। दिल्ली से आई संगठन की प्रांत संयोजिका नंदिनी पाठक ने भी तकनीकी पहलू पर विचार रखे। कार्यक्रम में संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल, पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती, राष्ट्रीय संगठन मंत्री मिथिलेश, क्षेत्र प्रचारक अनिल, प्रांत प्रचारक रमेश, कोषाध्यक्ष ललित आदि मौजूद रहे।
छह लाख कार्यकर्ता उठ खड़े हुए
गंगा समग्र के केंद्रीय महामंत्री ने बताया कि दिल्ली में बड़ा सम्मेलन हुआ था। इसमें योजना बनाकर सभी सांसदों को गंगाजल वितरित किया गया। आज गंगोत्री से गंगासागर तक गंगा की निर्मलता के लिए छह लाख कार्यकर्ता उठ खड़े हुए हैं। इसी क्रम में गंगा तटों पर एक लाख से ज्यादा पौधे लगाए गए। इनमें से लगभग 7000 सुरक्षित हैं।
पदाधिकारियों ने प्रस्तुत किया कार्य का विवरण
कार्यकर्ता संगम में आए पदाधिकारियों ने अपने प्रांत के कार्यों का विवरण बिंदुवार प्रस्तुत किया। उत्तराखंड के जगदीश प्रसाद तिवारी, मेरठ के पवन, ब्रज के डॉ. राधाकृष्ण दीक्षित, कानपुर के राघवेंद्र सिंह, अवध से अमिताभ, गोरक्ष प्रांत से गिरीश नारायण, उत्तर बिहार से श्रीराम तिवारी, दक्षिण बिहार के शंभूनाथ पांडेय, उत्तर बंगाल के अजीत, दक्षिण बंगाल के प्रांत संयोजक तथा दिल्ली प्रांत की संयोजिका नंदिता पाठक ने गंगा की स्वच्छता को लेकर निर्धारित छह आयामों के किए गए कार्यों को बताया।
233 घाट तीर्थ पुरोहितों से युक्त
डॉ. राधाकृष्ण दीक्षित ने गंगा घाटों पर बैठने वाले तीर्थ पुरोहितों का विवरण रखा। कहा कि 233 गंगा घाट तीर्थ पुरोहितों से युक्त हैं। इनमें से 160 घाटों पर संपर्क किया जा चुका है। संगठन का प्रयास है कि सभी तीर्थ पुरोहितों को प्रशिक्षण दिया जाए। उन्हें शुद्ध मंत्रों का उच्चारण, पारंपरिक वस्त्र धारण करने के लिए भी प्रेरित करेंगे। व्यवहार में भी सुधार का प्रयास होगा। इसकी वजह यह कि हिंदू संस्कृति को बचाने में तीर्थ पुरोहितों का महत्वपूर्ण योगदान है। देशभर के लोगों की वंशावलियां भी इन्हीं के पास सुरक्षित हैं। यह वंशावलियां सामाजिक इतिहास या अभिलेख हैं। इन्हें बचाना महत्वपूर्ण है। संस्कृत विद्यालयों की कमी और जहां विद्यालय हैं, वहां शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए भी कुछ कदम उठाए जाने हैं। समितियों का गठन कर यह कार्य तेज गति से किया जाएगा।