GST में कई विसंगतियां से परेशान हैं प्रयागराज के व्यापारी, उन्हें कंपोजीशन अपनाने में असुविधा हो रही
जीएसटी काउंसिल की बैठक में जीएसटीआर-3 बी में रिसैट की सुविधा की घोषणा की गई थी। हालांकि अभी तक पोर्टल पर ऐसी कोई सुविधा नहीं है। इससे व्यापारियों को काफी असुविधा उठानी पड़ रही है। इसी प्रकार रिटर्न सबमिट एवं फाइल करने की दो प्रक्रिया है।
प्रयागराज, जेएनएन। वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) में तमाम तरह की विसंगतियां हैं। इन विसंगतियों को दूर करने के लिए व्यापारी, प्रोफेशनल्स और अधिवक्ता लगातार जीएसटी काउंसिल से कर रहे हैं। इसके बाद भी विसंगतियां दूर नहीं हो रही हैं। इससे व्यापारियों के साथ ही प्रोफेशनल्स और अधिवक्ताओं को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
कंपोजीशन में पोर्टल की मर्जी चलती है
कहा जा रहा है कि जीएसटी पोर्टल में कंपोजीशन अपनाने में पोर्टल की मर्जी चलती है। किसी व्यापारी ने वर्ष 2017-18 में रजिस्ट्रेशन लिया हो। उसके द्वारा रजिस्ट्रेशन लेने में गलती से अंतरराज्य व्यापार सेलेक्ट हो गया और उसने दो वर्षों तक कोई अंतरराज्य व्यापार नहीं किया। केवल राज्य में ही माल की बिक्री की जा रही है और वह कंपोजिशन स्कीम अपनाना चाहता है तो ऐसे व्यापारी के लिए पोर्टल कंपोजीशन देने से मना कर देता है।
व्यापारियों को यह परेशानी झेलनी पड़ रही है
जीएसटी काउंसिल की बैठक में जीएसटीआर-3 बी में रिसैट की सुविधा की घोषणा की गई थी। हालांकि अभी तक पोर्टल पर ऐसी कोई सुविधा नहीं है। इससे व्यापारियों को काफी असुविधा उठानी पड़ रही है। इसी प्रकार रिटर्न सबमिट एवं फाइल करने की दो प्रक्रिया है। सबमिट करने के बाद डाटा में बदलाव नहीं किया जा सकता लेकिन जब तक ओटीपी नहीं ली जाती है, तब तक रिटर्न फाइल नहीं मानी जाती है। जो ओटीपी आती है, उस पर 10 मिनट का वैलिडेशन लिखा होता है। हालांकि एक मिनट बाद ही पोर्टल उसे इनवैलिड कर देता है। ओटीपी कभी मेल पर आने में ज्यादा समय लेता है और कभी मोबाइल में ओटीपी आने में समय लगता है। इससे व्यापारियों को परेशानी उठानी पड़ती है।