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इलाहाबाद विश्वविद्यालय : राजनीति की 'पाठशाला' पर लग गया ताला Prayagraj News

इलाहाबाद विश्वविद्यालय का स्वर्णिम इतिहास रहा है। अापराधिक घटनाओं की वजह से छात्रसंघ चुनाव पर रोक लग गई। वहीं इस निर्णय से छात्रसंघ के पूर्व पदाधिकारियों में नाराजगी है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sun, 30 Jun 2019 05:59 PM (IST)Updated: Mon, 01 Jul 2019 10:01 AM (IST)
इलाहाबाद विश्वविद्यालय : राजनीति की 'पाठशाला' पर लग गया ताला Prayagraj News
इलाहाबाद विश्वविद्यालय : राजनीति की 'पाठशाला' पर लग गया ताला Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। देश के सियासी फलक पर एक नहीं अनेक नामचीन चेहरे देने वाले इलाहाबाद विश्वविद्यालय में राजनीति की 'पाठशाला' कहे जाने वाले छात्रसंघ चुनाव पर आखिरकार ताला लग गया है। वैसे ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। वर्ष 2004 में छात्रसंघ प्रत्याशी रहे कमलेश यादव की हत्या के बाद भी वर्ष 2011 तक इविवि में छात्रसंघ चुनाव कराया ही नहीं गया। बहरहाल छात्र परिषद के एलान से पूर्व पदाधिकारियों में नाराजगी है। वह इसे विवि प्रशासन की नाकामी बता रहे हैं। 

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एकेडमिक काउंसिल की बैठक में छात्र परिषद का निर्णय लिया था 

पांच दिसंबर 2011 को तत्कालीन कुलपति प्रो. एके सिंह की अध्यक्षता में हुई एकेडमिक काउंसिल की बैठक में भी छात्र परिषद लागू किए जाने का निर्णय लिया गया था। इस फैसले का छात्रों ने जबर्दस्त विरोध किया। उस दौरान केंद्र में कांग्र्रेस की अगुवाई वाली संप्रग की सरकार थी। राहुल गांधी को मामले में सीधे हस्तक्षेप करना पड़ा था। उन्होंने तत्कालीन कुलपति प्रो. एके सिंह को दिल्ली तलब कर लिया था। 

पीएम राजीव गांधी के हस्तक्षेप से बहाल हुआ था छात्रसंघ

काफी दबाव बनने के बाद 22 दिसंबर 2011 को छात्रसंघ बहाली की घोषणा कर दी गई। छात्रसंघ चुनाव होने लगे और अपराधिक घटनाएं भी बढ़ गईं। पीसीबी हॉस्टल में इसी साल 14 अप्रैल को छात्रनेता रोहित शुक्ला की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हाईकोर्ट ने जब इस मामले में सख्त रुख अपनाया तो मौका मिलते ही इविवि प्रशासन ने राजनीति की 'पाठशाला' पर ताला लगा दिया। सर्वसम्मति से कार्य परिषद की बैठक में अंतिम मुहर लग गई।

पूर्व अध्यक्षों में भी उबाल

इविवि प्रशासन ने अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए छात्र परिषद लागू करने की साजिश रची है। यह लोकतंत्र की हत्या है। इविवि के छात्रसंघ ने ही कईयों को सियासत सिखाई। इस लिए इस कदम का पुरजोर विरोध किया जाएगा। इस लड़ाई में पूर्व पदाधिकारी शामिल होंगे। 

- विनोद चंद्र दुबे, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष

इविवि प्रमुख देश के केंद्रों में एक है। यहां छात्रसंघ की जगह छात्र परिषद लागू करना गलत है। प्रत्यक्ष चुनाव में सभी की भागदारी होती है। अंग्रेजों के जमाने में 1942 में भी इसे बंद किया गया था। इसके बाद शुरू हुआ तो बीच में प्रयास किए गए। यह तानाशाही है। हम इसका विरोध करेंगे।

- श्याम कृष्ण पांडेय, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष

छात्रसंघ की जगह इविवि में छात्र परिषद लागू करना तानाशाही है। ये लोकतंत्र की हत्या है। राजनीति की नर्सरी को यूं ही नहीं सूखने देंगे। इसके विरोध में सभी पूर्व पदाधिकारी आंदोलन करेंगे। छात्रों को इंसाफ दिलाकर ही दम लेंगे। 

- ब्रिजेंद्र मिश्र, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष

इविवि के शिक्षकों की साजिश और कुलपति का तानाशाह रवैया कत्तई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मेरा मानना है कि तमाम छात्रनेताओं ने भी छात्रसंघ को बदनाम करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। सभी की साजिश से छात्र परिषद का फैसला लागू किया गया है।

- संजय तिवारी, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष

इविवि ने अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए ऐसी हरकत की है। यहां छात्रों का हक कुचला गया है। छात्र परिषद लागू करने के फैसले के खिलाफ उग्र आंदोलन होगा। इसमें पूर्व पदाधिकारी भी शामिल होंगे और हर हाल में छात्रसंघ बहाल कराया जाएगा। 

- अनुग्रह नारायण सिंह, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष

ये छात्रसंघ की हत्या है। छात्रों की आवाज दबाने के लिए तानाशाही रवैया किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं है। ऐसे तो इविवि प्रशासन मनमानी करेगा। छात्रसंघ बहाल कराने के लिए पूर्व पदाधिकारी बैठक करेंगे। इसके बाद कुलपति से मुलाकात भी करेंगे।

- हेमंत सिंह टुन्नू, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष।

इविवि प्रशासन का यह फैसला सरासर गलत है। इविवि के पुराने छात्रसंघ पर कुठाराघात है। कुलपति कैसे यह फैसला ले सकते हैं? उनके खिलाफ तो खुद जांच चल रही है। छात्रसंघ बहाल कराने के लिए राष्ट्रपति, पीएमओ को पत्र लिखेंगे। इसके लिए कोर्ट भी जाएंगे।

- ऋचा सिंह, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष

अभाविप छात्र परिषद गठन के फैसले के खिलाफ प्रदेशव्यापी आंदोलन करेगी। छात्रसंघ को कुलपति को बहाल करना होगा, वह चाहे जैसे करें। छात्रों की लोकतांत्रिक आवाज दबाने में इविवि प्रशासन किसी भी तरह से  कामयाब नहीं हो सकेगा। इसके खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी।

- रोहित मिश्र, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष

इविवि में कब कौन रहा अध्यक्ष

एसबी तिवारी  1923

बीएन कौल   1923

सैयद नसीर हुसैन   1923

एसके हांडू  1924

वीके पांडेय  1924

वीडी मुखर्जी 1924

वीएन सेठ 1925

केपी माथुर 1925

टीएन आगा 1925

एमपी पारसाथी 1926

एसके नेहरू 1927

एसआर शुक्ला 1927

आर मोहर 1928

बी. प्रसाद 1928

एससी शुक्ला 1928

आरपी वर्मा 1929

वीआर किशोर 1929

आरएन तिवारी 1929

श्याम सुंदर लाल 1936

मुकुट बिहारी माथुर 1936

जीसी पाठक 1936

शिवराम सिंह 1936

मदन मोहन 1938

राजेंद्र प्रताप सिंह 1938

बीरेंद्र कुमार 1939

वीरेंद्र कुमार भटनागर 1939

राम नरेश शुक्ला 1940

डीएस कोठारी 1940

सुरेंद्र चंद्र पुरोहित 1941

कमलेश मल्ल 1941

प्रकाश चंद्र उपाध्याय 1945

यदुवीर सिंह 1946

जेहरून्न नवी 1946

नारायण दत्त तिवारी 1947

पंचानन मिश्र 1947

संत बख्श सिंह 1948

सुभाष चंद्र कश्यप 1948

राम अधार पांडेय 1949

नंदन गोपाल श्रीवास्तव 1949

आसीफ अंसारी 1950 

मुकुंद मुरारी लाल 1951

काशीनाथ मिश्र 1951

पदमाकर लाल श्रीवास्तव 1953

केदार नाथ सिंह 1953

ओपी मेहरोत्रा 1954

बृजेश सिंह 1955

विपिन चंद्र 1956

लखन सिंह 1957

सच्चितानंद मिश्र 1958

सुरेंद्र बहादुर सिंह 1958

प्रभाकर नाथ द्विवेदी 1959

अवध नारायण पांडेय 1960

नागेंद्र सिंह चौधरी 1961

राम प्रसाद सिंह 1962

श्याम कृष्ण पांडेय 1963

वीरभद्र प्रताप सिंह 1964

गोपाल मोहन तिवारी 1965

सतीश कुमार अग्रवाल 1966

विनोद चंद्र दुबे 1967

मोहन सिंह 1968

अशोक कुमार सारस्वत 1969

अरुण कुमार सिंह (मुन्ना) 1971

बृजेश कुमार 1973

जगदीश चंद्र दीक्षित 1974

अनुग्रह नारायण सिंह 1979

सुभाष चंद्र त्रिपाठी 1980

राकेश धर त्रिपाठी 1981

अखिलेंद्र प्रताप सिंह 1982

रामधीन सिंह 1983

कमलेश तिवारी 1984

शिव प्रकाश पांडेय 1985

कमल कृष्ण राय 1987

लक्ष्मीशंकर ओझा 1990

लाल बहादुर सिंह 1992

इंदु प्रकाश सिंह 1994

कृष्ण मूर्ति सिंह यादव 1997

शोभनाथ सिंह 1999

संजय तिवारी 2003

हेमंत कुमार 'टुन्नू' 2004

दिनेश सिंह यादव 2012

कुलदीप सिंह (केडी) 2013

भूपेंद्र सिंह यादव 2014

ऋचा सिंह 2015

रोहित कुमार मिश्रा 2016

अवनीश कुमार यादव 2017

उदय प्रकाश यादव 2018


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