ससुर खदेरी नदी को पुनर्जीवित करने का भगीरथ प्रयास
ससुर खदेरी नदी को पुनजीर्वित करने के लिए प्रशासन की ओर से भगीरथ प्रयास किया जाएगा। इसके लिए कवायद शुरू कर दिया गया है।
By Edited By: Published: Sat, 06 Apr 2019 07:30 AM (IST)Updated: Sat, 06 Apr 2019 11:17 AM (IST)
प्रयागराज : प्रदेश के तीन जिलों के दोआबा क्षेत्र को कभी हरियाली प्रदान करने वाली ससुर खदेरी नदी मानव समाज की नाहक छेड़छाड़ का शिकार हो गई। सतीत्व के लिए चर्चित इस नदी की जलधारा का बहाव बदल कर पड़ोसी गावों के लोग रेत में खेती-किसानी करने लगे हैं। परिणामस्वरूप भारी भरकम नदी का असली रूप ही गायब हो गया है।
जिला प्रशासन ने शुरू की पहल
झील से उद्गमित इस नदी को पुनर्जीवित करने का इस साल भगीरथ प्रयास शुरू किया जाएगा। इसके लिए जिला प्रशासन ने पहल शुरू कर दिया है। नदी को गोद लेकर साफ-सफाई के साथ ही उसकी खोदाई भी कराई जाएगी। इसके लिए मनरेगा से बजट दिया जाएगा। इसके अलावा स्वयंसेवी संगठनों का भी सहयोग लिया जाएगा।
फतेहपुर से निकली है झील
फतेहपुर के हथगाव के सेमरामानपुर गांव के जगन्नाथ झील से नदी का उद्गम हुआ है। नदी कौशाबी के सिराथू, मंझनपुर, नेवादा और चायल ब्लॉक क्षेत्र के गावों से होकर प्रयागराज जिले में यमुना में मिलती है। पहले इसमें साल भर पानी रहता था। इससे खेतों से सिंचाई होती थी। यह नदी कभी बरसात में उग्र रूप धारण किया करती थी।
अब जलधारा सिमट कर नाले में तब्दील
लोगों में मान्यता है कि सतीत्व के लिए चर्चित इस नदी का जलस्तर तभी घटा करता था, जब पास-पड़ोस के गांवों की महिलाएं झुंड में आरती और पूजा-अर्चना कर मान मनौव्वल करती थीं। हालांकि अब हालात हैं कि भारी भरकम जलधारा सिमट कर नाले में बदल गई है।
दबंग किसानों ने नदी की जलधारा बदल दी
ग्रामीणों के मुताबिक, 'दो दशक पहले तक इस नदी की जलधारा बहुत चौड़ी थी और बरसात में आई बाढ़ से कई गांव प्रभावित हुआ करते थे, अब पड़ोसी गांव के दबंग किसानों ने नदी की जलधारा बदल दी है। तहलटी के टीलों को जेसीबी मशीन के जरिए रेत में मिलाकर खेती-किसानी कर रहे हैं। कुछ लोगों ने नदी को बराबर करके खेत बना लिए तो किसी ने घर। सिर्फ बारिश में ही नदी में कुछ पानी दिखता है।
पुनजीर्वित करने की सीडीओ ने की पहल
अब इस नदी को फिर से जिंदा करने की योजना पर सीडीओ अरविंद सिंह ने पहल शुरू कर दी है। यह है योजना प्रयागराज में जिन गांवों से नदी गुजरती है। वहां मनरेगा के तहत नदी की सफाई होगी। उसके क्षेत्र को चौड़ा और गहरा कराया जाएगा। साथ ही नदी के दोनों किनारों पर पौधरोपण कराया जाएगा। नदी पर एक से दो किमी के मध्य चेकडैम का निर्माण कर उसमें आने वाले बारिश के पानी को साल भर रोकने की कोशिश की जाएगी। इसके साथ ही गाव व कस्बे से निकलने वाला पानी इसमें बहाया जाएगा।
कार्ययोजना बना किसानों को जागरूक किया जाएगा
सीडीओ सीडीओ अरविंद सिंह ने कहा है कि नदी और सरोवर प्राकृतिक धरोहर हैं। इन्हें बचाने की जिम्मेदारी मानव समाज की है। नदी के अस्तित्व को बचाने के लिए एक कार्ययोजना बनाकर किसानों को जागरूक किया जाएगा। अतिक्रमण मुक्त कराकर श्रमदान के जरिए नदी की खोदाई कराई जाएगी। इसके लिए मनरेगा से भी बजट दिया जाएगा। नदी का प्रयोग जलसंचय के रूप होगा इससे किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिलेगा।
खास बातें
-40 किमी के क्षेत्र में बहती है ससुर खदेरी नदी
-08 किमी प्रयागराज जिले में है नदी का बहाव
-12 गांव प्रयागराज के है जहां सिंचाई व जलस्त्रोत की स्थिति सुधरेगी
जिला प्रशासन ने शुरू की पहल
झील से उद्गमित इस नदी को पुनर्जीवित करने का इस साल भगीरथ प्रयास शुरू किया जाएगा। इसके लिए जिला प्रशासन ने पहल शुरू कर दिया है। नदी को गोद लेकर साफ-सफाई के साथ ही उसकी खोदाई भी कराई जाएगी। इसके लिए मनरेगा से बजट दिया जाएगा। इसके अलावा स्वयंसेवी संगठनों का भी सहयोग लिया जाएगा।
फतेहपुर से निकली है झील
फतेहपुर के हथगाव के सेमरामानपुर गांव के जगन्नाथ झील से नदी का उद्गम हुआ है। नदी कौशाबी के सिराथू, मंझनपुर, नेवादा और चायल ब्लॉक क्षेत्र के गावों से होकर प्रयागराज जिले में यमुना में मिलती है। पहले इसमें साल भर पानी रहता था। इससे खेतों से सिंचाई होती थी। यह नदी कभी बरसात में उग्र रूप धारण किया करती थी।
अब जलधारा सिमट कर नाले में तब्दील
लोगों में मान्यता है कि सतीत्व के लिए चर्चित इस नदी का जलस्तर तभी घटा करता था, जब पास-पड़ोस के गांवों की महिलाएं झुंड में आरती और पूजा-अर्चना कर मान मनौव्वल करती थीं। हालांकि अब हालात हैं कि भारी भरकम जलधारा सिमट कर नाले में बदल गई है।
दबंग किसानों ने नदी की जलधारा बदल दी
ग्रामीणों के मुताबिक, 'दो दशक पहले तक इस नदी की जलधारा बहुत चौड़ी थी और बरसात में आई बाढ़ से कई गांव प्रभावित हुआ करते थे, अब पड़ोसी गांव के दबंग किसानों ने नदी की जलधारा बदल दी है। तहलटी के टीलों को जेसीबी मशीन के जरिए रेत में मिलाकर खेती-किसानी कर रहे हैं। कुछ लोगों ने नदी को बराबर करके खेत बना लिए तो किसी ने घर। सिर्फ बारिश में ही नदी में कुछ पानी दिखता है।
पुनजीर्वित करने की सीडीओ ने की पहल
अब इस नदी को फिर से जिंदा करने की योजना पर सीडीओ अरविंद सिंह ने पहल शुरू कर दी है। यह है योजना प्रयागराज में जिन गांवों से नदी गुजरती है। वहां मनरेगा के तहत नदी की सफाई होगी। उसके क्षेत्र को चौड़ा और गहरा कराया जाएगा। साथ ही नदी के दोनों किनारों पर पौधरोपण कराया जाएगा। नदी पर एक से दो किमी के मध्य चेकडैम का निर्माण कर उसमें आने वाले बारिश के पानी को साल भर रोकने की कोशिश की जाएगी। इसके साथ ही गाव व कस्बे से निकलने वाला पानी इसमें बहाया जाएगा।
कार्ययोजना बना किसानों को जागरूक किया जाएगा
सीडीओ सीडीओ अरविंद सिंह ने कहा है कि नदी और सरोवर प्राकृतिक धरोहर हैं। इन्हें बचाने की जिम्मेदारी मानव समाज की है। नदी के अस्तित्व को बचाने के लिए एक कार्ययोजना बनाकर किसानों को जागरूक किया जाएगा। अतिक्रमण मुक्त कराकर श्रमदान के जरिए नदी की खोदाई कराई जाएगी। इसके लिए मनरेगा से भी बजट दिया जाएगा। नदी का प्रयोग जलसंचय के रूप होगा इससे किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिलेगा।
खास बातें
-40 किमी के क्षेत्र में बहती है ससुर खदेरी नदी
-08 किमी प्रयागराज जिले में है नदी का बहाव
-12 गांव प्रयागराज के है जहां सिंचाई व जलस्त्रोत की स्थिति सुधरेगी
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