प्रतापगढ़ में जीएसटी न जमा करने पर फर्म संचालकों पर कसा शिकंजा
खाते के संचालन को बहाल कराने के लिए वह बैंक व वाणिज्य कर विभाग का चक्कर लगा रहे हैं। हालांकि वाणिज्य कर विभाग ने यह निर्णय लिया है कि जब तक फर्म संचालक जीएसटी नहीं जमा करेंगे खाते का संचालन बहाल नहीं होने दिया जाएगा।
प्रयागराज,जेएनएन। यूपी के प्रतापगढ़ जिले में ग्राम पंचायतों में मनरेगा सहित अन्य मदों से हर साल करोड़ों रुपये का काम ग्राम पंचायतों में कराया गया। इसका सामग्री मद में फर्म को भुगतान किया गया, लेकिन फर्म संचालकों ने जीएसटी नहीं जमा किया। इस पर वाणिज्य कर विभाग ने ठोस कदम उठाते हुए 500 से अधिक फर्म के संचालन पर रोक लगा दी है। इससे संचालकों में खलबली मची हुई है।
खाते के संचालन को बहाल कराने के लिए वह बैंक व वाणिज्य कर विभाग का चक्कर लगा रहे हैं। हालांकि वाणिज्य कर विभाग ने यह निर्णय लिया है कि जब तक फर्म संचालक जीएसटी नहीं जमा करेंगे, खाते का संचालन बहाल नहीं होने दिया जाएगा।
जिल भर में 17 ब्लाक हैं। इसके अंतर्गत सदर, मानधाता, शिवगढ़, गौरा, आसपुर देवसरा, मंगरौरा, लक्ष्मणपुर सहित अन्य ब्लाक शामिल हैं। इसके अंतर्गत 1193 ग्राम पंचायत है। प्रत्येक ग्राम पंचायतों में हर साल मनरेगा, केंद्रीय मद से लाखों रुपये का विकास कार्य कराया गया। इसमें इंटरलॉङ्क्षकग, खड़ंजा सहित अन्य तरह के कार्य कराए गए। नियम है कि सामग्री उपलब्ध कराने वाली फर्म को भुगतान करने के दौरान जीएसटी की कटौती करने के बाद ही उसका भुगतान किया जाता है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यही वजह है कि वाणिज्य कर विभाग का लाखों रुपये जीएसटी बकाया है।
कई बार चेतावनी के बाद भी नहीं जमा किया टैक्स
कई बार सचेत करने के बाद जब फर्म ने टैक्स का पैसा नहीं जमा किया तो वाणिज्य कर व सक्षम अफसरों द्वारा जारी पत्र के आधार पर फर्म के संचालन पर रोक लगा दी गई। इससे अब फर्म संचालकों में खलबली मची हुई है। असिस्टेंट कमिश्नर (वाणिज्य कर) अरविदं कुमार पांडेय ने बताया कि सामग्री मद में हुए भुगतान हो रहा है, लेकिन फर्म संचालक टैक्स का पैसा नहीं जमा कर रहे हैं। फर्म के संचालन पर रोक लगने के लिए अफसरों व बैंक प्रबंधनों को पत्राचार किया गया है।
ब्लाक अफसरों की लापरवाही से दिक्कत
वैसे तो जब मनरेगा से सामग्री मद में बीडीओ व मनरेगा एकाउंटेंट के माध्यम से फर्म को भुगतान किया जाता है तो जीएसटी की कटौती के बाद ही भुगतान किया जाना चाहिए। यही अफसरों का निर्देश भी है, लेकिन ब्लाकों के बीडीओ ऐसा नहीं कर रहे हैं। इससे वाणिज्य कर विभाग की अच्छी खासी चपत लग रही है। इसका खामियाजा विभाग को भुगतना पड़ रहा है।