बदलेगी व्यवस्था, काउंटर पर रिजर्वेशन बुक कराते ही मोबाइल पर आए जाएगा संदेश Prayagraj News
ट्रेनों में बर्थ रिजर्वेशन की व्यवस्था में बदलाव किया जाएगा। अब रिजर्वेशन के बाद मोबाइल पर संदेश आ जाएगा। अगर टिकट लेना हो तो 25 रुपये देकर ही मिलेगा।
प्रयागराज, जेएनएन। रेलवे स्टेशनों पर पीआरएस (पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम) काउंटर से रिर्जेवशन कराने पर लोगों को अभी तक टिकट मिलता है, लेकिन आने वाले दिनों में व्यवस्था बदलेगी। रिजर्वेशन कराने वाला व्यक्ति जब इसकी मांग करेगा तो ही मिलेगा। फार्म पर लिखे मोबाइल नंबर पर टिकट बुक होने का संदेश आ जाएगा। टिकट के लिए 25 रुपये देने होंगे।
पेपर लेस कार्य पर रेलवे दे रहा जोर, टिकट के लिए देना होगा 25 रुपये अतिरिक्त
रेलवे पेपर लेस काम करने पर जोर दे रहा है। इसलिए ट्रेनों में लगने वाले चार्ट की व्यवस्था को समाप्त करके डिजिटल बोर्ड लगा दिए गए हैं। अब पीआरएस काउंटर पर मिलने वाली टिकटिंग की व्यवस्था ऑनलाइन होने जा रही है। कोई भी व्यक्ति पीआरएस काउंटर पर रिजर्वेशन कराएगा तो उसे टिकट नहीं मिलेगा। रिजर्वेशन होने की सूचना आवेदन पत्र पर लिखे फोन नंबर पर आ जाएगी। टिकट लेने के लिए अलग से 25 रुपये देने होंगे।
बोले एनसीआर के सीपीआरओ
उत्तर मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी अजीत कुमार सिंह का कहना है कि यह व्यवस्था पायलट प्रोजेक्ट के रूप में अगले महीने से पश्चिम रेलवे में शुरू होगी। उसके बाद धीरे-धीरे अन्य रेलवे जोन में इस व्यवस्था को लागू किया जाएगा।
प्रयाग घाट से रेलवे ने चलाई दो मेला स्पेशल
माघ मेले के माघी पूर्णिमा स्नान पर्व पर उत्तर रेलवे ने प्रयागघाट स्टेशन से दो मेला स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया। उत्तर मध्य रेलवे को इलाहाबाद जंक्शन, इलाहाबाद छिवकी स्टेशन और पूर्वोत्तर रेलवे को इलाहाबाद सिटी स्टेशन से कोई मेला स्पेशल ट्रेन चलाने की जरूरत नहीं पड़ी। रेलवे ने पहले ही अनुमान लगा लिया था कि माघ पूर्णिमा पर बहुत ज्यादा भीड़ रेलवे स्टेशन पर नहीं आएगी। इसलिए इलाहाबाद जंक्शन पर सिविल लाइंस साइड से रास्ता भी बंद नहीं किया गया। माघी पूर्णिमा पर पूरे दिन सिविल लाइंस साइड से यात्री और श्रद्धालु प्रवेश करते रहे। उत्तर मध्य रेलवे ने इलाहाबाद जंक्शन और इलाहाबाद छिवकी स्टेशन से कुल छह मेला स्पेशल ट्रेनों को चलाने की तैयारी कर रखी थी। मगर एक बार भी ऐसी भीड़ नहीं हुई कि एनसीआर को स्पेशल ट्रेन चलाने के बारे में सोचना पड़ा।