कठघरे में परिषदीय स्कूलों से लेकर माध्यमिक कालेजों तक की शिक्षक भर्तियां
सूबे में परिषदीय स्कूलों से लेकर माध्यमिक कालेजों तक के लिए हुई भर्तियां इन दिनों कठघरे में हैं।
प्रयागराज, जेएनएन। सूबे में परिषदीय स्कूलों से लेकर माध्यमिक कालेजों तक के लिए हुई भर्तियां इन दिनों कठघरे में हैं। योगी सरकार से पहले यह भर्तियां एकेडमिक मेरिट के आधार पर होती थी, सरकार ने योग्य अभ्यर्थियों के चयन के लिए लिखित परीक्षा का प्रावधान कराया, लेकिन विभागीय अफसरों ने शासन की मंशा पर न केवल पानी फेरा, बल्कि भर्ती की जमकर किरकिरी करा दी।
योगी सरकार ने शिक्षक भर्ती के पहले लिखित परीक्षा का प्रावधान इसलिए किया था ताकि इससे योग्य अभ्यर्थी चयनित होंगे साथ ही हाईस्कूल व इंटर की परीक्षा में नकल पर अंकुश लगेगा। छात्र-छात्राएं अधिक अंक पाने की जगह योग्य बनने की ओर बढ़ेंगे। पहली भर्ती बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में 68500 सहायक अध्यापकों के लिए हुई। इसमें पेपर आउट तो नहीं हुआ लेकिन, मूल्यांकन में गड़बड़ी के गंभीर आरोप लगे। यही नहीं अभ्यर्थियों की कॉपियां तक बदल गईं। इस प्रकरण में सीबीआइ जांच शुरू होने जा रही है।
इसके बाद इन्हीं स्कूलों के लिए 69000 सहायक अध्यापक भर्ती की लिखित परीक्षा में पेपर आउट होने का आरोप एक पक्ष लगा रहा है, हालांकि परीक्षा संस्था इसका विरोध कर रही है। लंबे समय तक आंदोलन चला अब यह मामला कोर्ट में चल रहा है। इसी बीच कटऑफ विवाद के कारण अब तक इस भर्ती का परिणाम जारी नहीं हुआ है।
परिषदीय स्कूलों की दो भर्तियों में करीब सवा लाख से अधिक शिक्षकों का चयन होना था लेकिन, अब तक केवल 46000 से अधिक का ही चयन हो सका है। ऐसे ही राजकीय माध्यमिक कालेजों में 10768 पदों पर एलटी ग्रेड शिक्षक चयन का जिम्मा उप्र लोकसेवा आयोग को सौंपा गया था, ताकि बेहतर अभ्यर्थी चयनित हों, इसमें भी लिखित परीक्षा के बाद सीधे चयन होना था इसलिए परीक्षा संस्था के अफसरों ने ही मिलकर पेपर आउट को अंजाम दिया। अब परीक्षा नियंत्रक की गिरफ्तारी के बाद परीक्षा रद होने के आसार अधिक हैं, क्योंकि इसमें अभी तक किसी को नियुक्ति नहीं मिल सकी है।
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