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Teachers Recruitment: आनलाइन आवेदन नहीं लेने से प्रदेश के हजारों अभ्यर्थी फार्म भरने से रह गए वंचित

UP Junior Teacher Recruitment हाई कोर्ट ने परीक्षा नियामक प्राधिकारी को सात अक्टूबर तक आनलाइन अथवा आफलाइन आवेदन देने का निर्देश दिया। इसके बाद प्राधिकारी ने सात अक्टूबर को रात 12 बजे तक आफलाइन आवेदन लिया। प्रतियोगियों का कहना है कि वेबसाइट खोलकर आनलाइन आवेदन लिया जाय।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Mon, 11 Oct 2021 02:02 PM (IST)Updated: Mon, 11 Oct 2021 07:34 PM (IST)
Teachers Recruitment: आनलाइन आवेदन नहीं लेने से प्रदेश के हजारों अभ्यर्थी फार्म भरने से रह गए वंचित
प्रतियोगियों का कहना है कि परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने हाई कोर्ट के आदेशानुसार काम नहीं किया

प्रयागराज, राज्य ब्यूरो। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बीते दिनों जूनियर हाईस्कूल शिक्षक भर्ती के लिए स्नातक में 50 प्रतिशत से कम अंक पाने वाले प्रतियोगियों को भी शामिल करने का मौका देने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट ने परीक्षा नियामक प्राधिकारी को सात अक्टूबर तक आनलाइन अथवा आफलाइन आवेदन देने का निर्देश दिया। इसके बाद प्राधिकारी ने सात अक्टूबर को रात 12 बजे तक आफलाइन आवेदन लिया। प्रतियोगियों का आरोप है कि हाई कोर्ट ने पांच अक्टूबर को आदेश दिया। छह अक्टूबर को उसके अनुरूप कार्रवाई शुरू हुई, लेकिन अधिकतर प्रतियोगियों को इसकी सूचना नहीं मिली। इससे मेरठ, गाजियाबाद सहित दूर-दराज के हजारों अभ्यर्थी प्रयागराज पहुंचकर आवेदन नहीं कर सके। 

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हाई कोर्ट के आदेश पर सिर्फ खानापूर्ति

प्रतियोगियों का कहना है कि परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने हाई कोर्ट के आदेशानुसार काम नहीं किया, सिर्फ खानापूर्ति की है। प्रतियोगियों का कहना है कि वेबसाइट खोलकर आनलाइन आवेदन लिया जाय। इससे जो जहां है वहीं से आवेदन कर सकेगा। इसके विरोध में परीक्षा नियामक प्राधिकारी मुख्यालय पर रविवार को प्रतियोगियों का प्रदर्शन जारी रहा। प्रतियोगियों ने संगम तक मार्च निकालने की घोषणा की थी, लेकिन प्रदर्शन स्थल पर भारी संख्या में पुलिस की तैनाती कर दी गई। इस वजह से मार्च नहीं निकाला जा सका।

हजारों प्रतियोगियों के साथ हो रहा खिलवाड़ 

युवा मंच अध्यक्ष अनिल सिंह ने कहा कि कोर्ट के आदेश के बाद पीएनपी ने न तो मीडिया में कोई सूचना दिया, न ही वेबसाइट पर पुन: आवेदन करने की कोई जानकारी दी। हाई कोर्ट के आदेश का क्रियान्वयन आनलाइन आवेदन लेने से ही होता, पंरतु वैसा नहीं किया गया है। यह हजारों प्रतियोगियों के भविष्य से खिलवाड़ है, जिसे स्वीकार नहीं किया जाएगा।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर किया चिंतन

प्रयागराज : राष्ट्रीय शिक्षा नीति ग्रॉस इनरोलमेंट रेशियो की जगह इलिजिबल इनरोलमेंट रेशियो की चिंता करने वाली है। इसी नीति के कारण आठ भारतीय भाषाओं में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की अनुमति मिली। यह जानकारी गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिलासपुर, छत्तीसगढ़ के कुलपति प्रो. आलोक चक्रवाल ने दी। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना द्वारा आयोजित नई शिक्षा नीति : गुणवत्ता, समानता, पहुंच और सामर्थ्य विषयक वेबीनार में प्रो. आलोक ने कहा कि एसेसमेंट और इवेलुएशन प्रोसेस का पुनरीक्षण कार्य प्रगति पर है। एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट के निर्माण की घोषणा हो चुकी है। समग्रता और स्वतंत्रता इस शिक्षा नीति के महत्वपूर्ण संदर्भ हैं। मल्टीपल एंट्री एंड एग्जिट प्वाइंट्स इसकी महत्त्वपूर्ण विशेषताएं हैं। अनेक रेगुलेटरी बॉडीज के समन्वय की व्यवस्था भी शिक्षा नीति में शामिल है। बार काउंसिल और मेडिकल काउंसिल को छोड़कर बाकी सभी प्रकार की नियामक संस्थाएं एक ही छात के नीचे काम करेंगी। अब मॉडल एजुकेशन रिसर्च यूनिवर्सिटी की व्यवस्था होगी जिसकी सहायता से हम भी ज्ञान विज्ञान में विश्व में अपनी और सशक्त उपस्थिति दर्ज कर पाएंगे। इस मौके पर गुजरात विश्वविद्यालय, अहमदाबाद के पूर्वकुलपति प्रो. नरेश वेद, डॉ. उमेश प्रताप सिंह, डॉ. राजेश कुमार गर्ग, डॉ आदित्य मिश्र, डॉक्टर मंजू तिवारी ने विचार रखे।


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