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प्रयागराज के माघ मेला में इस बार बहुत याद आएंगे गंगा भक्त प्रो.दीनानाथ शुक्ल, गंगा की निर्मलता के लिए रहे अर्पित

पिछले 40 साल से गंगा-यमुना को प्रदूषण से मुक्त करने का अभियान चलाने वाले प्रो.दीनानाथ शुक्ल की इस बार माघ मेला मेला में कमी लोगों को बहुत खलेगी। परेड मैदान में प्रो.शुक्ल द्वारा लगाई जाने वाली गंगा व यमुना जल प्रदूषण निवारण प्रदर्शनी मेघा मेला की पर्याय बन गई थी।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Fri, 15 Jan 2021 04:00 PM (IST)Updated: Fri, 15 Jan 2021 04:00 PM (IST)
प्रयागराज के माघ मेला में इस बार बहुत याद आएंगे गंगा भक्त प्रो.दीनानाथ शुक्ल, गंगा की निर्मलता के लिए रहे अर्पित
चारों सीमाओं में प्रो.शुक्ल के नाम से गंगा को प्रदूषण से मुक्त करने के स्लोगन दीवारों पर लिखे रहते थे।

प्रयागराज, जेएनएन। पिछले 40 साल से गंगा-यमुना को  प्रदूषण से मुक्त करने का अभियान चलाने वाले गंगा भक्त प्रो.दीनानाथ शुक्ल की इस बार प्रयागराज के माघ मेला मेला में कमी लोगों को बहुत खलेगी। परेड मैदान में प्रो.शुक्ल द्वारा लगाई जाने वाली गंगा व यमुना जल प्रदूषण निवारण प्रदर्शनी मेघा मेला की पर्याय बन गई थी। हर साल मेला में आने वाले लाखों श्रद्धालु इस प्रदर्शनी से रूबरू होते थे। प्रयागराज की चारों सीमाओं में प्रो.शुक्ल के नाम से गंगा को प्रदूषण से मुक्त करने के स्लोगन दीवारों पर लिखे रहते थे। हालांकि प्रो.शुक्ल के गोकुलवासी होने के बाद भी उनका आंदोलन मेले में जारी रहेगा।

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पिछले साल हो गया था निधन  

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष रहे प्रो.दीनानाथ शुक्ल का पिछले 12 सितंबर 2020 को निधन हो गया था। प्रो.शुक्ल गंगा को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए छात्र जीवन से ही संघर्षरत थे। वे गंगा के प्रति पूरी तरीके से समर्पित थे। इसी उद्देश्य को लेकर वे माघ मेला से लकर हर कुंभ में परेड मैदान में गंगा प्रदर्शनी लगाते थे। इस प्रदर्शनी में गंगा की हो रही दुर्दशा एवं उसका निदान कैसे हो सकता है इसको बताया जाता था। उनका संकल्प था कि जब तक गंगा प्रदूषण से मुक्त नहीं हो जाएंगी वे संगम में स्नान नहीं करेंगे।  इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व प्राक्टर प्रो.माताम्बर तिवारी बताते हैं कि प्रो.शुक्ल की गंगा के प्रति आगाध श्रद्धा थी। गंगा में प्रदूषण  को लकर वे बेहद चिंतित रहते थे। छात्र जीवन में उन्होंने गंगा को प्रदूषण से मुक्त कराने का संकल्प ले रखा था। 1981 से इस दिशा में आंदोलनरत थे। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग में अध्यापन कार्य शुरू करने पर उन्होंने गंगा जल पर कई शोध कराए। राष्ट्रीय स्तर पर लगातार जागरूकता अभियान चलाया।

नमामि गंगे मिशन के सदस्य थे

प्रो.दीनानाथ शुक्ल नमामि गंगे मिशन के सदस्य थे। उन्हें जलशक्ति मंत्रालय का सदस्य भी नामित किया गया था। प्रो.तिवारी बताते हैं कि पिछले 40 वर्षों से प्रो.शुक्ल माघ मेला और कुंभ में गंगा व यमुना जल प्रदूषण निवारण प्रदर्शनी के माध्यम से देश विदेश से आने वालों को संत महात्माओं समेत आम जन को जागरूक कर रहे थे। गंगा के प्रति उनका इतना प्रेम था कि हरिद्वार, नासिक एवं उज्जैन के कुंभ में भी लोगों को गंगा की निर्मलता के प्रति सचेत करते थे।  

गंगा की मुक्ति के लिए लिखी दर्जनों पुस्तक

प्रो.दीनानाथ शुक्ल ने गंगा को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए सैकड़ों किताबें लिखी। कविताओं की रचना की। धार्मिक पुस्तकों को लिखा। इनमें गंगा महापुराण, गंगा मईया, गीतगंगा, अक्षयवट, गंगा दर्शन गंगा तर्पण आदि शामिल हैं। गंगा पर अमृत धारा नामक एक महाउपन्यास लिखा। 40 से अधिक छात्रों को पीएचडी कराई। इनमें एक दर्जन से अधिक छात्रों ने गंगा पर शोध किया।

दीवारों पर स्लोगन लिखकर जागरूकता फैलाई

प्रो.शुक्ल ने दीवारों पर स्लोगन लिखाए। गंगा दर्शन ही गंगा स्नान है। गंगा में पाप धोंए न कि गंदगी। ऐसे नारे उन्होंने जन जन तक पहुंचाने के लिए विभिन्न शहरों की प्रमुख दीवारों का सहारा लिया। उनके इस स्लोगन का लोगों पर बहुत असर था। प्रो.तिवारी बताते हैं कि प्रो.शुक्ल का पूरा जीवन ही गंगा के प्रति समर्पित था। उनकी माघ मेला में पिछले चालीस से लगाई जाने वाली प्रदर्शनी में कई लाखों की भागीदार रही। हालांकि प्रो.तिवारी के अनुसार प्रो.शुक्ल दावा करते थे कि करीब 20 करोड़ लोग उनकी प्रदर्शनी को देख चुके हैं। उनके इस अभियान में प्रदर्शनी के अलावा विचार गोष्ठियां, संत सम्मेलन, निबंध, चित्रकला, वाद-विवाद, गायन, कवि सम्मेलन तथा रैलियां शामिल थीं।


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