'विवि से जुड़कर लोग समाज हित में सोचें '
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के सेवानिवृत्त आचार्य प्रो.
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के सेवानिवृत्त आचार्य प्रो. आरसी त्रिपाठी ने शिक्षा की गुणवत्ता के लिए शिक्षण और व्यवसायिक संस्थानों में फर्क करने की बात कहीं। वह मंगलवार को इलाहाबाद विश्वविद्यालय के विज्ञान संकाय के प्रेक्षागृह में आयोजित 'उच्च शिक्षा की चुनौतियां' शीर्षक परिचर्चा में बतौर मुख्य अतिथि विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा आज देश की उच्च शिक्षण संस्थाओं की प्रयोगशालाओं में इतना शोध नहीं हो रहा है जितना प्रचारित किया जा रहा है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि गली मोहल्लों में छपने वाले रिसर्च पेपर टॉप इंपैक्ट फैक्टर होने का दावा कर रहे हैं। शिक्षण एवं शिक्षा के उत्थान के लिए यह स्थिति चिंताजनक है।
वीरबहादुर सिंह पूर्वाचल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. पीयूष रंजन अग्रवाल ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद उच्च शिक्षा के विकास में दो चरण महत्वपूर्ण हैं। पहला चरण 1947 से 1992 तक है, इसमें अधिकतर समृद्ध एवं संपन्न लोग उच्चशिक्षा तक पहुंचा करते थे, परंतु 1993 के बाद से मिडिल क्लास की शिक्षा की प्रति अपेक्षा बढ़ी। शिक्षण संस्थानों का दायरा बढ़ा। उच्च शिक्षा को समाज के साथ जोड़कर देखा जाने लगा। बनारस ¨हदू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. जीसी त्रिपाठी ने कहा कि उच्चशिक्षा का उद्देश्य देश में पढ़े-लिखे लोगों की फौज तैयार करना नहीं है। विश्वविद्यालय से जुड़कर लोग समाज हित में सोचे, हमारा यही उद्देश्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि बीएचयू में कुलपति रहते मैने सौ गावों को गोद लिया था। विश्वविद्यालय ने इन गांवों के शैक्षिक विकास में समग्र भूमिका निभाई। ट्रिपल आइटी इलाहाबाद के पूर्व निदेशक एवं भोपाल स्थित बरकत उल्ला विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा. एमडी तिवारी ने विश्वविद्यालयों के ऑटोनॉमी की स्थिति पर विचार रखे। कार्यक्रम में इविवि छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष रोहित सिंह, कर्मचारी नेता संतोष सहाय और छात्रा प्रियंका सिंह ने संबोधित किया। संचालन प्रो. एसके शर्मा ने किया। प्रो. आरएस पांडेय ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय अध्यापक संघ के पूर्व अध्यक्ष प्रो. राम किशोर शास्त्री, प्रो. पूनम मित्तल, प्रो. एआर सिद्दीकी, प्रो. आरके शर्मा, प्रो. केएस पांडेय और डा. रमा सिंह सहित बड़ी संख्या में शिक्षक-शिक्षिकाएं मौजूद रहे।