कोरोना बंदी की वजह से प्रयागराज लौटने को पैसे नहीं थे तो प्रवासी कामगार ने बेच दी बेटे की साइकिल
काम बंद होने पर मालिक ने दो टूक कह दिया कि घर चले जाओ हालात सुधरेंगे तो बुलाया जाएगा। अ जेब में किराये भर को भी पैसे नहीं थे और घर भी पहुंचना था। ऐसे में जन्मदिन पर बेटे परवेज को जो साइकिल उपहार स्वरूप दी थी उसे बेचना पड़ा।
प्रयागराज, जेएनएन। गांव में कमाई का स्रोत नहीं मिलने पर ज्यादातर लोग आजीविका और बेहतर भविष्य के लिए अपने परिवार के साथ महानगरों का रुख करते हैं। लेकिन, महामारी के दौर में वहां संकट आया तो लोगों को अब अपना गांव याद आ रहा है। वापस लौटने के लिए किराया नहीं था इसलिए एक कामगार ने बेटे को गिफ्ट दी साइकिल बेचकर पैसों का इंतजाम किया।
जौनपुर के श्रमिक को दिल्ली में हिसाब किए बगैर मालिक ने कहा जाओ घर
दिल्ली और मुंबई में लाकडाउन की अवधि बढ़ाने से प्रवासी कामगारों में खलबली है। कामकाज बंद हो गए हैं। ऐसे में लोग हर कीमत पर घर पहुंचना चाह रहे हैं। ऐसे में उधार लेने और गहने गिरवी रखने से लेकर बच्चे को गिफ्ट में दिए गए सामान तक बेचने की नौबत आ गई है। ऐसी कई दुखद कहानियां और दुखी करने वाले किस्से हैं। अब जौनपुर के बेलाल की ही दास्तां सुनिए। वह दिल्ली की फैक्ट्री में सिलाई का काम करते थे। काम बंद होने पर मालिक ने हिसाब नहीं किया औऱ दो टूक कह दिया कि घर चले जाओ, हालात सुधरेंगे तो वापस बुलाया जाएगा। अब बेलाल की जेब में किराये भर को भी पैसे नहीं थे और घर भी पहुंचना था। ऐसे में जन्मदिन पर बेटे परवेज को जो साइकिल उपहार स्वरूप दी थी, उसे बेचना पड़ा। 1500 रुपये मिले तो किसी तरह प्रयागराज पहुंचे और जौनपुर के लिए बस पकडऩे को इंतजार कर रहे थे। उन्होंने बताया कि दिल्ली में लॉकडाउन में बाद काम बंद हो गया। पिछले साल भी परेशानी झेलनी पड़ी थी। पैदल, ट्रक व बस में सफर कर घर पहुंचे थे। इस बार भी संकट आ गया। जेब में रुपये न होने से ज्यादा दिक्कत हुई। कहा कि अब आजीविका के लिए गांव में ही कुछ करना होगा।