Ramadan 2021: प्रयागराज में मौलाना नादिर हुसैन ने कहा - दूसरे अशरे में गुनाहों से तौबा करने का मिलता है मौका
रमजान मुबारक अल्लाहताला की रहमतों बक्शीश का बेहतरीन महीना है। दूसरा अशरा मगफिरत का है जो जिंदगी के लिए कारआमद है। जिसकी वहज से बंदे को कब्र में राहत मिलेगी। माह ए रमजान का ये अशरा इतना पाकीजा और बाबरकत है जिसमें तौबा अस्तबाफार है।
प्रयागराज,जेएनएन। रमजान के महीने की इबादत का विशेष महत्व है। अल्लाह की इबादत करने के साथ गरीबों की मदद करते हुए नेकी के रास्ते पर चलने वाले रोजेदारों की हर मुराद पूरी होती है। रमजान के महीने को तीन अशरा में बांटा गया है। रहमत का पहला अशरा गुजर गया है। दूसरा मगफिरत का अशरा चल रहा है। रमजान शरीफ को दूसरा असरा नेमतों का मुतहम्मिल है। इसमें इबादत के जरिए अल्लाताला से अपने गुनाहों की माफी का इंतजार रहता है। खतिब हटिया मस्जिद के मौलाना नादिर हुसैन बताते हैं कि रमजान में बंदा शौक से इस दूसरे अशरे का इस्तकबाल करता है।
रमजान मुबारक अल्लाहताला की रहमतों, बक्शीश का बेहतरीन महीना है
रमजान मुबारक अल्लाहताला की रहमतों, बक्शीश का बेहतरीन महीना है। दूसरा अशरा मगफिरत का है, जो जिंदगी के लिए कारआमद है। जिसकी वहज से बंदे को कब्र में राहत मिलेगी। माह ए रमजान का ये अशरा इतना पाकीजा और बाबरकत है, जिसमें तौबा अस्तबाफार है। इसके जरिए इस महीने के अहम तरीन मकसद को हासिल कर सकता है।
मौलाना नादिर बताते हैं कि अल्लाह तौबा करने वाले अपने बंदों से बहुत खुश होता है। ऐसे बंदों पर अल्लाह की रहमत नाजिल होती है। लिहाजा रोजेदार को चाहिए कि इस अशरे में हर वो काम करें। जिसके जरिए अल्लाह उसके रसूल की रजाजोई हासिल हो सके। ऐसे में रमजान शरीफ के इस महीने में रोजेदार को इबादत के साथ ही अपने गुनाहों से भी तौबा करनी चाहिए। इससे अल्लाह उनसे प्रसन्न होकर हर मुराद पूरी करते हैं।