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प्रतापगढ़ में वक्त के संग चला बिग बी का गांव, जली उम्मीद की 'बाती ', पढ़े पूरी खबर

डिमांड बढ़ती देख घर में रोजगार के अभाव में खाली बैठे पुरुष भी इस काम में हाथ बंटाने लगे। नीलम बताती है कि रुई की बाती के व्यवसाय से आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है। हम लोग इस कारोबार से खुश हैं।

By Rajneesh MishraEdited By: Published: Thu, 27 May 2021 07:00 AM (IST)Updated: Thu, 27 May 2021 07:00 AM (IST)
प्रतापगढ़ में वक्त के संग चला बिग बी का गांव, जली उम्मीद की 'बाती ', पढ़े पूरी खबर
प्रतापगढ़ में रानीगंज क्षेत्र के बाबू पट्टी गांव में रुई की बाती बनाती समूह की महिलाएं।

प्रयागराज, जेएनएन।  कोरोना संक्रमण काल में जहां बड़ी-बड़ी औद्योगिक इकाइयों के चलने पर संकट खड़ा हो गया, वहीं यूपी के प्रतापगढ़ जिले में बिग बी के पैतृक गांव बाबू पट्टी में ट्राइसाइकिल और आंवले के कारोबार से जुड़ी महिलाओं का काम भी लडख़ड़ा गया। इससे पहले कि इन महिलाओं को मजबूरी की काली छाया हाथ पर हाथ धरकर बैठने को विवश करती कि उन्होंने रुई की बाती का काम पकड़ लिया। कोरोना काल में यज्ञ-पूजन और आरती के बढ़े पारंपरिक आयोजनों के कारण रुई की बाती की डिमांड ने उनके उम्मीदों का घर रोशन कर दिया।

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मांग बढ़ी तो पुरूष भी बंटाने लगे हाथ  

यह गांव मेगा स्टार अमिताभ बच्चन का पैतृक गांव है। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से जूझते इस गांव की भी अपनी विवशता है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) से जुड़ी इस गांव की कुछ महिलाएं यूं तो वर्ष 2019 से ट्राई साइकिल और आंवले का मुरब्बा तैयार कर परिवार का आर्थिक ढांचा मजबूत करने में जुटी हुई थीं। लेकिन, कोरोना काल में जब यह व्यवसाय दम तोडऩे लगा तो इन महिलाओं ने बाजार की मांग को देख नया करने की ठानी। अमिता, अनीता, मालती, दुर्गावती, ज्योति, गीता व सावित्री ने रुई की बाती बनाकर बेचने का काम शुरू कर दिया। कोरोना काल में उनकी मेहनत रंग लाई और गांव के आसपास के बाजार रानीगंज, चिरकुट्टी, पिरथीगंज, जामताली सहित अन्य प्रमुख बाजारों में इसकी बिक्री शुरू कर दी। डिमांड बढ़ती देख घर में रोजगार के अभाव में खाली बैठे पुरुष भी इस काम में हाथ बंटाने लगे। वह कहते हैैं कि बचत छोटी ही सही, लेकिन इस संकट काल में यह बहुत बड़ी उम्मीद है।  

टीम ने दी थी ट्रेनिंग

एनआरएलएम ने समूह की महिलाओं को रुई बनाने की ट्रेनिंग दी थी। रुई बनाने और बेचने का प्रशिक्षण दिया गया था। नीलम बताती है कि रुई की बाती के व्यवसाय से आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है।  हम लोग इस कारोबार से खुश हैं। अमिता का कहना है कि इस नए कारोबार ने आर्थिक तंगी खत्म कर दी है। अब जहां सब कुछ ठप है, वहां अच्छी खासी आमदनी होने लगी है।

बड़े पैमाने पर कारेाबार कर रही हैं महिलाएं

ब्लाक मिशन प्रबंधक (गौरा) विपिन कुमार मिश्रा ने बताया कि स्वयं सहायता समूह से जुड़कर महिलाएं रुई की बाती बनाने का बड़े पैमाने पर कारोबार कर रही हैं। गांव में खाली बैठी महिलाओं को रोजगार भी मिल रहा है। रुई बाती की अधिक डिमांड भी है।


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