Guru Govind Singh Jayanti 2021: प्रयागराज में भी पड़े थे गुरु तेग बहादुर सिंह के चरण, यहीं मां के गर्भ में आए थे 10वें गुरु
Guru Govind Singh Jayanti 2021 गुरु तेग बहादुर छह माह तक प्रयागराज में रुके थे। जहां वे परिवार और शिष्यों के साथ ठहरे थे वह स्थल वर्तमान में शहर के अहियापुर में गुरुद्वारा पक्की संगत है। गुरु गोविंद सिंह यहीं पर प्रकाश (मां के गर्भ) में आए थे
प्रयागराज, जेएनएन। तीर्थराज प्रयाग पवित्र नदियों के संगम के साथ महर्षि भारद्वाज, दुर्वासा और अत्रि ऋषि की तपोस्थली रही है किंतु बहुत कम लोग ही जानते हैं कि यह पुण्य, पावन धरा सिखों के नौवें गुरु श्रीगुरु तेग बहादुर और खालसा पंथ के संस्थापक दसवें गुरु गोविंद सिंह से भी जुड़ी रही है। गुरु तेग बहादुर अपने परिवार के साथ यहां पर कुछ महीनों तक ठहरे थे। गुरु गोविंद सिंह यहीं पर प्रकाश (मां के गर्भ) में आए थे, कुछ माह बाद पटना (वर्तमान बिहार प्रदेश की राजधानी) में जन्म हुआ था। प्रयागराज में जहां गुरु परिवार ठहरा हुआ था वह जगह अब मालवीय नगर (अहियापुर) में गुरुद्वारा पक्की संगत के नाम से जाना जाता है। आज बुधवार 20 जनवरी को गुरु गोविंद सिंह का प्रकाश पर्व मनाया जा रहा है। इस मौके पर गुरुद्वारा पक्की संगत सहित अन्य गुरुद्वारों में शबद-कीर्तन आदि विविध आयोजन होंगे।
परिवार संग प्रयागराज में ठहरे थे गुरु तेगबहादुर
तकरीबन 354 वर्ष पूर्व विक्रमी संवत 1723 अर्थात 1666 ई. में सिखों के नौवें गुरु तेगबहादुर का प्रयागराज में आगमन हुआ था। वह धर्म प्रचार के अलावा लोगों को मुगल शासकों के अत्याचार के खिलाफ एकजुट करने के उद्देश्य से परिवार व महात्माओं के साथ पंजाब से देशाटन को निकले थे। उनका जत्था रोपड़, पटियाला, पिहोवा, कैथल, रोहतक, आगरा, मथुरा, कड़ा धाम होते हुए मकर संक्रांति के दिन प्रयागराज पहुंचा था। गुरु जी के साथ में उनकी मां नानकी, पत्नी गुजरी, भाई कृपालचंद, सेवक मतिदास, दयाल, गुरुबक्श, बाबा गुरुदित्ता आदि भी थे। मान्यता है कि गुरुतेग बहादुर छह माह तक प्रयागराज में रुके थे। इस दौरान संगम में स्नान के साथ धर्म चर्चा की। जहां पर वे परिवार और शिष्यों के साथ ठहरे थे वह स्थल वर्तमान में शहर के मालवीय नगर (अहियापुर) इलाके में गुरुद्वारा पक्की संगत के नाम से प्रसिद्ध है। गुरुद्वारा के महंत बाबा ज्ञान सिंह बताते हैं कि गुरु तेगबहादुर ने यहां पर गुरुग्रंथ साहिब अखंड पाठ परायण की परंपरा प्रारंभ की थी।
पंजाब जाते समय प्रयागराज आए थे गुरु गोविंद सिंह
श्रीगुरु सिंह सभा खुुल्दाबाद प्रयागराज के अध्यक्ष सरदार जोगिंदर सिंह बताते हैं कि तीर्थराज प्रयाग से सिख गुरुओं का जुड़ाव रहा है। पहले गुरु नानकदेव जी भी संगम पर लगने वाले माघ मेले 1508 ई. में आए थे। गुरु तेगबहादुर व दसवें गुरु गोविंद सिंह जी के कदम भी इस पावन धरती पर पड़े हैं। उनके अनुसार प्रयाग में श्रीगुरुतेग बहादुर के प्रवासकाल में माता गुजरीदेवी के गर्भ में एक तेजस्वी बालक प्रकाश में आया जो कि बाद में पटना में प्रकाशित होकर नौ साल की उम्र में गुरु गोविंद सिंह के रुप में सिख पंथ के दसवें गुरु के रूप में प्रतिष्ठित हुआ। ऐसी मान्यता है कि गुरु गोविंद सिंह बाल अवस्था में पटना से पंजाब जाते समय प्रयागराज आए थे और यहां पांच दिनों तक ठहरे भी थे।
अपनी जीवनी में गुरु गोविंद सिंह ने किया है संगम नगरी का जिक्र
सरदार जोगिंदर सिंह के मुताबिक गुरु गोविंद सिंह जी ने अपनी जीवनी में भी तीर्थराज प्रयाग में मां के गर्भ में आने का जिक्र किया है। पुस्तक दशंत ग्रंथ में गुरु गोविंद सिंह ने विचित्र नाटक पाठ में अपनी जीवनी लिखी है जिसमें 'जब ही जात त्रिवेणी भए, पुण्य-दान कर दीन बिताए। वहिं प्रकाश हमार भयो, पटना शहर विखै भव लायो' पंक्तियों के माध्यम से खुद के प्रयागराज में मां के गर्भ में आने की बात कही है।
गुरुद्वारा पक्की संगत में मौजूद है गुरु की चौकी और शंख
गुरु गोविंद सिंह के पिता नौंवे गुरु श्रीगुरु तेगबहादुर जिस चौकी पर बैठ कर धर्म चर्चा करते थे उसका पाया आज भी गुरुद्वारा पक्की संगत में रखा है। गुरु जी का शंख, कृपाण भी यहां पर मौजूद है। गुरुद्वारा में ऐतिहासिक कुंंआ भी अभी मौजूद है जिसके पानी का इस्तेमाल गुरु जी और उनके साथ के लोग पीने, स्नान करने और भोजन आदि तैयार करने में करते थे।