....यूं ही नहीं राष्ट्रीय फलक पर चमका है प्रतापगढ़ का शहाबपुर आदर्श गांव,मिले चुके हैं 06 राष्ट्रीय पुरस्कार, पीएम मोदी ने की है तारीफ
प्रतापगढ़ जिले के शहाबपुर गांव को सफलता का यह श्रेय 2018 से 2020 के बीच काम करने वाले निवर्तमान ग्राम प्रधान राजेश सिंह प्रभाकर के खाते में जाता है। वर्ष 2018 में नवरत्न प्रधान पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार इस गांव को मिला। इसके बाद तो पुरस्कारों की झड़ी लग गई।
प्रयागराज, जेएनएन। यूपी के प्रतापगढ़ जिले में कुंडा विकास खंड क्षेत्र का शहाबपुर गांव यूं ही नहीं राष्ट्रीय फलक पर चमक उठा। यह सब योजनाओं को शत-प्रतिशत लागू कर उसे परिणाम तक पहुंचाने की लंबी कवायद का परिणाम है। पिछड़े जिले से कई बार प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार पाने का सिलसिला शुरू हुआ तो बीते शनिवार को इस गांव का नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जुबां पर भी आ गया। यह गांव एक बार फिर राष्ट्रीय स्तर पर छा गया। इसके साथ ही साथ उन तमाम बड़े जिलों को भी आइना दिखा गया, जहां पर मंडलायुक्त से लेकर तमाम आला अधिकारी दिन-रात विकास पर मंथन करते रहते हैं, फिर भी उनके जिले से एक गांव भी शहाबपुर की तरह राष्ट्रीय फलक पर नाम रोशन ना कर पाया। सफलता के तमाम कीर्तिमान गढऩे वाले इस गांव के लोग गर्व से फूले नहीं समाते। पुरस्कार की होड़ में शामिल होने वाले गांवों का कई स्तर पर सरकारी एजेंसियां कई बिंदुओं पर उनके विकास पर नंबर देती हैं। इसमें शिक्षा-दीक्षा से लेकर रोजगार तक की दिशा में किए गए गांव स्तर पर कार्य को पैमाने की कसौटी पर कसा जाता है। यही वजह है कि निवर्तमान ग्राम प्रधान राजेश सिंह प्रभाकर ने सरकारी योजनाओं से रोजगार से लेकर अन्य सभी बिंदुओं पर ईमानदारी से काम करना शुरू किया। उसका परिणाम पूरे देश के सामने है।
...ये है पुरस्कार का सफरनामा
शहाबपुर गांव में हुए विकास कार्यों का निरीक्षण करने के लिए प्रदेश की कई टीमें आईं और यहां का विकास कार्य देख चकित रह गईं। यही वजह है कि उन्हें अपनी कलम से कई काम के लिए शत-प्रतिशत नंबर देने के लिए मजबूर होना पड़ा। उसका परिणाम रहा कि पिछले चार सालों में शहाबपुर गांव की झोली में छह गौरवशाली पुरस्कार गिर चुके हैं। सफलता का यह श्रेय 2018 से लेकर 2020 के बीच काम करने वाले निर्वमान प्रधान राजेश सिंह प्रभाकर के खाते में जाता है। गौरवशाली पुरस्कार प्राप्त करने के रिकार्ड एक नजर डालते हैं। वर्ष 2018 में नवरत्न प्रधान पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार इस गांव को मिला। इसके तहत 50 हजार रुपये भी मिले थे। वर्ष 2018 में ही केंद्रीय स्वास्थ्य एवं बाल विकास मंत्रीद्वारा स्वच्छता अवार्ड मिला। वर्ष 2019 में पंडित दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। इसके तहत भारत सरकार से 80 हजार रुपये मिले थे। इसी वर्ष भारत सरकार द्वारा इस गांव को गंगा स्वच्छता अवार्ड से भी पुरस्कृत किया गया। वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वर्ष 2020 में ई गवर्नेंस राम मनोहर लोहिया पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार से नवाजा। इस पुरस्कार के तहत दो लाख रुपये भी मिले थे। वर्ष 2020 में ही पंडित दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला और 80 हजार रूपये की धनराशि की सौगात भी। वहीं इस गांव के नाम तीन दिन पहले उस समय नया गौरव जुड़ गयास जब भारत सरकार ने इस गांव को भारत सरकार द्वारा सर्वोच्च पुरस्कार नानाजी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्राम पुरस्कार से नवाज दिया। प्रत्येक प्रदेश में मात्र एक ग्राम पंचायत को यह गौरव प्राप्त होता है। इस पुरस्कार के साथ ही गांव के विकास के लिए दस लाख रूपये मिले।
कोरोना संकट में हर बेरोजगार को रोजगार
पुरस्कार के लिए हर स्तर पर जांच करने वाली सरकारी एजेंसियां उस समय प्रभावित हुईं, जब देखा अन्य विकास कार्य के साथ ही साथ इस गांव में बेरोजगारों को रोजगार से जोडऩे के लिए सरकारी योजनाओं के साथ ही ग्राम प्रधान ने व्यक्तिगत स्तर से मदद की है। कोरोना काल में मुंबई, दिल्ली और चंडीगढ़ से लौटे दर्जनों लोगों को दुकान खोलने के लिए मदद दी गई। उन्हें तरह-तरह से रोजगार से जोड़ा गया।
पक्की सड़क और स्वच्छ भारत की तस्वीर
शहाबपुर गांव में 99 प्रतिशत घरों तक पक्के मार्ग हैं। प्रत्येक घर से 150 मीटर के अंदर काली सड़क, कुल 1344 की आबादी पर 42 स्थानों पर सोलर स्ट्रीट लाइट, प्रत्येक चार घर पर ठोस कचरा प्रबंधन के लिए सार्वजनिक कूड़ेदान बने हैं। साफ-सुथरे गांव को देख स्वच्छ भारत की परिकल्पना साकार होती देखी जा सकती है।
शहरों की तरह पार्क और ओपन जिम
आंगनबाड़ी भवन का सुसज्जित बनाया गया है। बच्चों के खेलने के लिए प्रत्येक मजरे में पार्क का निर्माण किया गया है। गांव में युवाओं के लिए ओपन जिम, यहां सारी सुविधाएं निश्शुल्क हैं। प्रमुख खेल मैदान में एक साथ 40 बच्चों के झूले के लिए झूला पार्क है। यहां बच्चे प्रतिदिन खेलने आते हैं।
जच्चा-बच्चा मृत्यु दर जीरो करने की कोशिश
वर्षा जल संचयन के क्षेत्र में वृहद कार्य इस गांव में देखने को मिलता है। शत-प्रतिशत टीकाकरण, जच्चा-बच्चा मृत्यु दर जीरो करने के लिए लगभग हर दरवाजे पोषण वाटिका निर्माण किया गया है। इसी तरह निराश्रित परिवारों की महिलाओं को प्रत्येक माह निश्शुल्क पैड वितरण वसुंधरा संस्था के सहयोग से किया जाता है। यह संस्था निवर्तमान ग्राम प्रधान राजेश सिंह प्रभाकर की है।
यहां के किसान करते हैं जैविक खेती
इस गांव के बहुत से किसान जैविक खेती करते हैं। बड़े स्तर पर वर्मी कंपोस्ट यूनिट भी है। यही वजह है कि यहां के किसानों ने देसी तरीके से अन्न उपजाते हैं, जिसमें खाद का प्रयोग नाममात्र को किया जाता है।
वातानुकूलित पंचायत भवन
गांव का आलीशान वातानुकूलित पंचायत कार्यालय देखते ही बनता है। इसमें लोगों के बैठने की आधुनिक सुविधा है। सभी प्रकार की सूचनाओं का प्रसारण यहीं से किया जाता है। दो अलग-अलग स्थानों पर महिला एवं पुरुष सार्वजनिक शौचालय हैं।
चार साल से कोई गंभीर अपराध नहीं
जहां यह जिला आपराधिक घटनाओं से थरथराता रहता है। वहीं शहाबपुर गांव में पिछले चार सालों से कोई गंभीर अपराध नहीं हुआ। पंच परमेश्वर की अवधारणा के तहत गांव के मामले गांव में ही निपटा दिए जाते हैं। यहां पर चार वर्षों में थाने पर गंभीर अपराध दर्ज ही नहीं हुए।
बोले ग्रामीण, हमें गर्व है, हम रच रहे नया इतिहास
विकास के क्षेत्र में अपने गांव का नाम होते देख गांव-गांव का बच्चा गर्व से फूला नहीं समाता। ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें तो अब हर दिन नया इतिहास रचना है और देश भर में अपने गांव का नाम ऊंचा रखना है। गांव के अर्पित त्रिपाठी बताते हैं कि हमारे गांव का प्राथमिक विद्यालय आसपास के क्षेत्र में अव्वल नंबर पर है। यहां पर अन्य गांव के बच्चे भी पढऩे के लिए आते हैं। एक प्रधान होने के नाते प्रभाकर सिंह ने उत्तर प्रदेश ही नहीं पूरे देश में गांव का डंका बजाया है। हम सभी उनके प्रयास के आगे नतमस्तक हैं। वहीं आलोक सिंह कहते है कि ग्राम प्रधान राजेश सिंह प्रभाकर ने विकास के लिए ना जाने कितनी मेहनत की, हम गांव वाले उनके काम से काफी प्रभावित हैं। दूसरे महानगरों में रहने वाले गांव वालों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा, जब शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके गांव शहाबपुर के नाम राष्ट्रीय पुरस्कार की घोषणा की। गांव के ही अखिलेश यादव बताते है कि हमारे गांव ने जितनी तरक्की की है, शायद ही कोई गांव कर पाया हो। आज ग्राम प्रधान प्रभाकर सिंह की बदौलत हमारे गांव का नाम उत्तर प्रदेश के कोने-कोने में प्रसिद्ध है। जितेंद्र शुक्ल का कहना है कि शहाबपुर में शिक्षा का स्तर काफी ऊंचाई तक गया अब और क्या चाहिए। जिस गांव में शहर की तरह सुविधा आबाद हो, राष्ट्रीय स्तर पर नाम हो रहा है, प्रधानमंत्री मोदी ने भी तीन दिन पहले गांव का नाम लिया, जिससे हमारा गौरव बढ़ा, सचुमुच गांव ने नया इतिहास रचा है।