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Akhara Parishad: दो खेमे में बंटे अखाड़ा परिषद के महात्मा, गृहमंत्री और मुख्यमंत्रियों से साध रहे संपर्क

महंत नरेंद्र गिरि की 20 सितंबर को श्री मठ बाघम्बरी गद्दी में संदिग्ध हालात में मृत्यु के बाद अखाड़ा परिषद अध्यक्ष पद पर 13 अखाड़ों में तकरार की स्थिति बनी। नए अध्यक्ष का चयन करने के लिए 25 अक्टूबर को निरंजनी अखाड़ा के मुख्यालय में बैठक आहूत की गई थी

By Ankur TripathiEdited By: Published: Fri, 05 Nov 2021 12:49 PM (IST)Updated: Fri, 05 Nov 2021 12:49 PM (IST)
Akhara Parishad: दो खेमे में बंटे अखाड़ा परिषद के महात्मा, गृहमंत्री और मुख्यमंत्रियों से साध रहे संपर्क
अखाड़ा परिषद के साधु नेताओं को अपने पक्ष में खड़ा कर दिखाना चाहते हैं स्वीकार्यता

शरद द्विवेदी, प्रयागराज। संतों की सबसे बड़ी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद में एकता होने की संभावना नजर नहीं आ रही है। दो गुट में बंटे परिषद के महात्मा न पद छोडऩे को तैयार हैं, न ही समझौता को प्रयत्नशील हैं। बल्कि दोनों गुट प्रभाव बढ़ाने में जुटे हैं। खुद की स्वीकार्यता बढ़ाने के लिए संत्ता के करीब दिखाने का प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आदि से संपर्क साध रहे हैं। उन्हें अपने आश्रम में बुलाकर खुद के पदाधिकारी होने का प्रमाण प्रस्तुत करना चाहते हैं। यह बात और है कि अभी उसमें सफलता नहीं मिल पायी है।

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महंत नरेंद्र गिरि की मृत्यु के बाद बनी तकरार की स्थिति

महंत नरेंद्र गिरि की 20 सितंबर को श्री मठ बाघम्बरी गद्दी में संदिग्ध हालात में मृत्यु के बाद अखाड़ा परिषद अध्यक्ष पद को लेकर 13 अखाड़ों में तकरार की स्थिति बनी। नए अध्यक्ष का चयन करने के लिए 25 अक्टूबर को यहां दारागंज स्थित श्री निरंजनी अखाड़ा के मुख्यालय में बैठक आहूत की गई थी। इससे पहले 20 अक्टूबर को हरिद्वार के कनखल स्थित श्रीमहानिर्वाणी अखाड़ा में सात अखाड़ों ने बैठक कर नई कार्यकारिणी गठित कर ली। श्रीमहानिर्वाणी अखाड़ा के सचिव श्रीमहंत रङ्क्षवद्र पुरी अध्यक्ष, निर्मोही अनी अखाड़ा के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्र दास को महामंत्री चुन लिया। पूर्व घोषणा के अनुरूप प्रयागराज में हुई बैठक में श्री निरंजनी अखाड़ा के अध्यक्ष/सचिव श्रीमहंत रङ्क्षवद्र पुरी अध्यक्ष चुने गए। उन्हें आठ अखाड़ों का समर्थन मिला। इसके बाद दोनों गुटों में खींचतान बढ़ गई है। एक-दूसरे के महात्माओं को तोडऩे के लिए संपर्क स्थापित कर रहे हैं। इधर, 30 अक्टूबर को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के हरिद्वार स्थित जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि के आश्रम जाने के बाद मामले में नया मोड़ आ गया है। अब दूसरे पक्ष के लोग भी अमित शाह व मुख्यमंत्रियों के संपर्क साधने में जुटे हैं। श्रीमहंत राजेंद्र दास कहते हैैं कि हमारा चुनाव सही है। राजनीतिक व सामाजिक रूप से हमें मान्यता मिली है। हर प्रदेश के मुख्यमंत्री हमारे साथ हैं। उचित समय आने पर सबको दिखा दिया जाएगा। दूसरे पक्ष के लोग फर्जी तरीके से नेताओं को अपने पक्ष में खड़ा कर रहे हैं। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रङ्क्षवद्र पुरी (श्रीनिरंजनी अखाड़ा) का कहना है कि हमारा चुनाव बहुमत से हुआ है। शासन-प्रशासन बहुमत को मान्यता देता है। अब हमारा लक्ष्य प्रयागराज में 2025 में लगने वाले महाकुंभ को सकुशल व भव्य कराना है। इसके लिए प्रस्ताव बनाकर जल्द केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह व यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की जाएगी।

फूट से बिगड़े हालात

प्रयागराज : अखाड़ा परिषद से कुल 13 अखाड़े जुड़े हैं। निर्मोही अनी व निर्मल अखाड़ा के महात्माओं के बंटने से स्थिति बिगड़ गई है। 25 अक्टूबर को श्री निरंजनी अखाड़ा दारागंज में आयोजित बैठक में जूना, अग्नि, आह्वान, निरंजनी, नया उदासीन, आनंद व निर्मल अखाड़ा के महात्मा मौजूद थे, जबकि निर्मोही अनी अखाड़ा के श्रीमहंत दामोदर दास ने समर्थन पत्र भेजा था। ऐसी स्थिति में श्रीनिरंजनी अखाड़ा के श्रीमहंत रविंद्र पुरी को आठ अखाड़ों का समर्थन मिला। वहीं, 20 अक्टूबर को कनखल स्थित श्रीमहानिर्वाणी अखाड़ा परिसर में हुई बैठक में श्रीमहानिर्वाणी, अटल, निर्मल, बड़ा उदासीन, निर्माेही अनी, निर्वाणी अनी व दिगंबर अनी के महात्मा मौजूद रहे।


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