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Weather News Prayagraj: कोहरे में लिपटी रही प्रयागराज की सुबह, बादलों में छिपा रहा सूरज

शनिवार को तो पारा गिरा रहा जबकि इससे पहले शुक्रवार को न्यूनतम तापमान 15.0 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान 27.0 डिग्री सेल्सियस रहा। कोहरे का ज्यादा असर ग्रामीण इलाकों में देखने को मिला। नए यमुना पुल और शास्त्री पुल पर भी कोहरे से यातायात प्रभावित रहा।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Sat, 20 Nov 2021 09:30 AM (IST)Updated: Sat, 20 Nov 2021 09:30 AM (IST)
Weather News Prayagraj: कोहरे में लिपटी रही प्रयागराज की सुबह, बादलों में छिपा रहा सूरज
इधर कई रोज से भोर में कोहरे की चादर प्रयागराज में छा रही है

प्रयागराज, जेएनएन। दीपावली के बाद मौसम ने तेजी से करवट ली है। ठंड तो ज्यादा नहीं है लेकिन अब कोहरा छाने लगा है। इधर कई रोज से भोर में कोहरे की चादर प्रयागराज में छा रही है। शुक्रवार को इंदिरा मैराथन के दौरान तो वातावरण साफ रहा लेकिन दूसरे ही रोज शनिवार की सुबह कोहरे से भरी रही। नौ बजे तक कोहरे के साथ बादलों का डेरा रहा जिससे सूरज को बाहर निकलने का अवसर नहीं मिल सका। हालांकि नौ बजे के बाद सूरज देव दिखे और फिर कोहरा भी छंटने लगा। कहा जा रहा है कि ऐसे में अब ठंड और तेजी से आएगी। दिन में तो फिलहाल धूप की वजह से उतनी ठंड नहीं रहती लेकिन शाम के बाद मौसम सर्द रहता है।

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गर्म कपड़ों की बिक्री में तेजी

शनिवार की सुबह तो पारा गिरा रहा जबकि इससे पहले शुक्रवार को न्यूनतम तापमान 14.0 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान 28.0 डिग्री सेल्सियस रहा। कोहरे का ज्यादा असर ग्रामीण इलाकों में देखने को मिला। नए यमुना पुल और शास्त्री पुल पर भी कोहरे से यातायात प्रभावित रहा। लोगों को धीमी गति से गाड़ियां चलानी पड़ीं। तापमान में गिरावट के साथ अब लोगों को गर्म कपड़ों का सहारा लेना पड़ रहा है। अब लोगों को इनर और स्वेटर पहनकर निकलना पड़ रहा है। ऐसे में ठंड से बचाव वाले कपड़ों और खानपान की बिक्री में तेजी आ रही है। शादी का मौसम है। पिछले दो-तीन दिन तो लोग हल्के कपड़ों में शादी समारोहों में जाते रहे हैं लेकिन शनिवार का मौसम ऐसा बना है कि अब लोगों को कोट और ब्लेजर तथा महिलाओं को शाल का सहारा लेना पड़ेगा।

मुसीबत बेघर लोगों की

ठंड का मौसम ज्यादातर लोगों को भाता है। लोग गर्म कपड़े पहनकर खानपान का आनंद लेते हैं। लेकिन यह मौसम उन लोगों के लिए मुश्किल भरा है जिनका कोई घऱ-ठिकाना नहीं है। बेघर यानी सड़क और फुटपाथ पर रहकर रोज कमाने-खाने वाले प्रवासी लोगों के लिए ठंड की रात काटनी मुश्किल होगी। तमाम रिक्शा चालक और श्रमिक सड़क किनारे ही रात गुजारते हैं। इनके लिए प्रशासन को अब रैन बसेरा का इंतजाम करना होगा।


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