पति के निधन का गम और महामारी का शिकंजा भी नहीं डिगा सका हौसला, बेटे संग हराया कोरोना को
हौंसला बरकरार रहे तो घर में किसी अपने के निधन से गम होने के बावजूद कोई भी इस महामारी से मजबूती से लड़कर जीत सकता है। लूकरगंज की रहने वाली रीना खरे ने पति की मौत के बावजूद अपने साहस को बरकरार रखा औरउन्होंने कोरोना महामारी को हराया
प्रयागराज, जेएनएन। बुलंद इरादे, मजबूत इच्छा शक्ति और नियम, संयम से रहते हुए कोरोना को आसानी से मात दिया जा सकता है। हौंसला बरकरार रहे तो घर में किसी अपने के निधन से गम होने के बावजूद कोई भी इस महामारी से मजबूती से लड़कर जीत सकता है। लूकरगंज की रहने वाली रीना खरे ने पति की मौत के बावजूद अपने साहस को बरकरार रखा और न सिर्फ उन्होंने कोरोना महामारी को हराया, बल्कि उनके बेटे ने भी इस जानलेवा संक्रमण से निजात पाया।
12 अप्रैल को टेस्ट में बेटे समेत पॉजीटिव मिले थे पति-पत्नी
सृष्टि अपार्टमेंट लूकरगंज में रहने वाली रीना, उनके पति दिनेश कुमार खरे और बेटा संकल्प खरे 12 अप्रैल को एक साथ कोरोना संक्रमित हुए थे। तीनों लोगों का डा. आरएन पांडेय की देखरेख में इलाज शुरू हुआ। हालांकि, तीन रोज बाद ही पति की मौत 15 अप्रैल को हो गई थी। भारी गम होने के बावजूद रीना ने अपने हौंसले को कमजोर नहीं होने दिया। मां-बेटे ने डाॅक्टर के दिशा-निर्देशों का सख्ती से अमल करते हुए कोरोना को मात देने के लिए पूरा जोर लगाया। रीना बताती है कि उनका और बेटे का सिटी स्कैन भी हुआ था, जिसमें दोनों लोगों को करीब 40 फीसद कोरोना से इंफेक्टेट पाया गया था।
14 दिन बाद मां-बेटे ने हराया कोरोना को
मां-बेटे होम आइसोलेशन में रहते हुए गर्म पानी, काढ़ा, गिलोय, संयमित आहार लेने के साथ व्यायाम करते हुए कोरोना से डटकर लड़े। वह बताती हैं कि उन्हें बाईपास सर्जरी हुई है और डायबिटीज की भी बीमारी है। इसके बावजूद वह हिम्मत नहीं हारीं। 26 अप्रैल को जांच कराने पर मां-बेटे की रिपोर्ट नेगेटिव आई और अब दोनों लोग पूरी तरह से स्वस्थ हैं। पति किला में सीनियर ऑडिटर थे। अब पति की मौत का गम झेलते हुए वह बेटे के साथ नए जीवन में प्रवेश कर गई हैं।