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घरवाले खोज रहे थे और दिव्यांग बालक पहुंच गया प्रयागराज में गंगा घाट, डूबता देख मछुआरों ने बचाई जान

सोमवार की दोपहर वह घर से बाहर निकल गया। टहलते हुए छतनाग गंगा घाट पर पहुंच गया। वहां कुछ मछुआरे मछली पकड़ रहे थे। तभी शिवानंद गंगा के पानी मे उतर गया। वहां पानी ज्यादा गहरा थासो वह डूबने लगा। मछुआरे फौरन पानी में कूदे और उसे बाहर निकाल लिया।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Tue, 15 Jun 2021 12:41 PM (IST)Updated: Tue, 15 Jun 2021 12:41 PM (IST)
घरवाले खोज रहे थे और दिव्यांग बालक पहुंच गया प्रयागराज में गंगा घाट, डूबता देख मछुआरों ने बचाई जान
वह अपने बारे में कुछ बता नहीं पा रहा था इसलिए उसे पुलिस के हवाले कर दिया गया।

प्रयागराज, जेएनएन। झूंसी इलाके के छतनाग में घर से निकलने के बाद गंगा की तरफ पहुंचा दिव्यांग बालक गहरे जल में जाकर डूबने लगा। वहां मौजूद मछुआरों ने देखा तो फौरन उसे पानी से बाहर निकाला। वह अपने घर और परिवार के बारे में कुछ बता नहीं पा रहा था इसलिए उसे पुलिस के हवाले कर दिया गया। पुलिस उसके परिवार के बारे में पता लगाने में जुटी साथ ही फोटो भी वाटसएप पर डाल दी। फोटो इंटरनेट मीडिया पर वायरल होने के बाद जब छतनाग में लोगों ने देखा तो उसके परिवार को खबर दी और फिर वे बेटे को लेने थाने पहुंच गए।

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तमाम सावधानी के बाद भी निकल गया था घर से

झूंसी इलाके में छतनाग मोहल्ले में रहने वाली सरिता सिंह का 10 साल का बेटा शिवानंद सिंह जन्म से मूक बधिर है। वह कुछ बोल नहीं सकता इसलिए उसे परिवार के लोग अकेले घर के बाहर नहीं जाने देते क्योंकि कहीं वह गुम गया तो फिर अपना या परिवार के लोगों का नाम और पता नहीं बता पाएगा। मगर तमाम ध्यान रखने के बावजूद सोमवार की दोपहर वह घर से बाहर निकल गया। इधर उधर टहलते हुए छतनाग गंगा घाट पर पहुंच गया। वहां कुछ मछुआरे मछली पकड़ रहे थे। उनके देखते देखते शिवानंद गंगा के पानी मे उतर गया। वहां पानी ज्यादा गहरा था,सो वह डूबने लगा। शिवानंद को डूबते-उतराते देख मछुआरे फौरन पानी में कूदे और उसे बाहर निकाल लिया। वह कुछ बोल बता नहीं पा रहा था, इसलिए उसे झूंसी पुलिस को सौंप दिया गया। पुलिस ने उसकी फोटो वाट्स एप ग्रुप पर डाल दी। फोटो वायरल होने पर छतनाग के कुछ लोगों ने देखा तो वह शिवानंद को पहचान गए।  लोगों ने उसके घर में बताया तो मंगलवार को परिवार के लोग थाने पहुंचे। पुलिस ने शिवानंद को उसके नाना राघवेंद्र सिंह को सौंप दिया। नाना को देख शिवानंद रोने लगा तो उसे पुचकारा गया। 


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