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देश भर के संतों की नजर आज संगमनगरी के फैसले पर

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की बैठक सोमवार होगी जिसमें शक्ति प्रदर्शन की आशंका जताई जा रही है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 Oct 2021 12:05 AM (IST)Updated: Mon, 25 Oct 2021 12:05 AM (IST)
देश भर के संतों की नजर आज संगमनगरी के फैसले पर
देश भर के संतों की नजर आज संगमनगरी के फैसले पर

जागरण संवाददाता, प्रयागराज: संतों की सबसे बड़ी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के इतिहास में सोमवार को यहा नया अध्याय जुड़ेगा। महंत नरेंद्र गिरि के ब्रह्मलीन होने के बाद जहा यह संस्था दो फाड़ हो चुकी है वहीं अखाड़ों में अंदरूनी वैमनस्यता भी उभरी है। संगमनगरी में होने वाली बैठक में संख्या बल यह साफ कर देगी कि कौन धड़ा ताकतवर है? देशभर के संतों की नजर संगमनगरी में होने वाले फैसले पर टिकी रहेगी। फिलहाल सिर्फ अध्यक्ष पद का चुनाव होगा। कार्यकारिणी के अन्य पदाधिकारियों का चयन करने के लिए तीन महीने बाद पुन: बैठक बुलाई जाएगी।

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अखाड़ा परिषद महामंत्री महंत हरि गिरि ने 25 अक्टूबर को दारागंज स्थित श्रीनिरंजनी अखाड़ा आश्रम में बैठक आहूत की है। इससे पहले 21 अक्टूबर को हरिद्वार के कनखल स्थित श्रीमहानिर्वाणी अखाड़ा परिसर में महानिर्वाणी तथा अटल, निर्मोही अनी, निर्वाणी अनी, दिगंबर अनी, बड़ा अखाड़ा उदासीन व निर्मल अखाड़ा ने नई कार्यकारिणी गठित कर ली थी। महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रवींद्र पुरी अध्यक्ष व निर्मोही अनी अखाड़ा के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्र दास महामंत्री चुने गए। दूसरे गुट ने इसे मान्यता देने से इन्कार कर दिया है। जिसके साथ अखाड़ों की संख्या अधिक होगी, उसका बहुमत माना जाएगा। अखाड़ों में बिखराव भी है। इसकी शुरुआत निर्मल अखाड़ा से हुई है। रेशम सिंह ने कोर्ट के आदेश का हवाला देकर खुद को निर्मल अखाड़ा का अध्यक्ष बताते हुए सोमवार की बैठक में शामिल होने की घोषणा की है। चर्चा है कि बड़ा उदासीन सहित वैष्णव संप्रदाय के अखाड़ों के नाराज महात्मा महंत हरि गिरि को समर्थन दे रहे हैं। पहुंचने में असमर्थ कुछ महात्माओं ने लिखित रूप से समर्थन पत्र भेजा है। नरेंद्र गिरि श्रीनिरंजनी अखाड़ा के सचिव थे। परंपरा के अनुसार जिस अखाड़े के महात्मा पद पर रहते हुए ब्रह्मलीन होते हैं, उसी अखाड़े का दूसरा महात्मा उक्त पद पर आसीन होता है। ऐसी स्थिति में श्रीनिरंजनी अखाड़ा के सचिव श्रीमहंत रवींद्र पुरी के अध्यक्ष बनने की प्रबल संभावना है। अखाड़ा परिषद में कुल 26 सदस्य

कुल 13 अखाड़ों में आपसी सामंजस्य स्थापित करने के लिए 1954 में गठित अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद में हर अखाड़े से दो-दो सदस्य अर्थात कुल 26 सदस्य होते हैं। हर अखाड़ा अपने सचिव व श्रीमहंत को परिषद के लिए नामित करता है। चुनाव हाथ उठवाकर करवाया जाता है, जिसके पक्ष में ज्यादा हाथ उठते हैं, वह मनोनीत हो जाता है। 2014 में बढ़ गए सदस्य

वर्ष 2014 में अखाड़ा परिषद में 28 सदस्य हो गए थे। अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि व महासचिव महंत हरि गिरि अतिरिक्त सदस्य थे, क्योंकि उनके अखाड़े से दो-दो सदस्य पहले से नामित थे, लेकिन परिषद का महत्वपूर्ण पद होने के कारण उनको लेकर कोई आपत्ति नहीं थी।

अभी कौन है किसके साथ

शैव (संन्यासी) परंपरा वाले सात अखाड़े हैं। यह हैं जूना, महानिर्वाणी, निरंजनी, अग्नि, आह्वान, अटल व आनंद। उदासीन परंपरा में तीन अखाड़े हैं- निर्मल, बड़ा उदासीन व नया उदासीन अखाड़ा। वैष्णव संप्रदाय में निर्मोही अनी, निर्वाणी अनी व दिगंबर अनी अखाड़ा हैं। अभी महानिर्वाणी, अटल, निर्मल, निर्मोही अनी, दिगंबर अनी व निर्वाणी अनी, बड़ा उदासीन अखाड़ा एक तरफ हैं तो जूना, निरंजनी, अग्नि, आह्वान, आनंद, नया उदासीन दूसरी तरफ।


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