ताकि भूखी ना सोए कोई मां, टिफिन में दो रोटी एक्सट्रा लाते हैं Prayagraj में इस स्कूल के बच्चे
स्कूल के सभी बच्चे अपने लंच बॉक्स में अपने खाने के साथ दो रोटी या पराठा अतिरिक्त लाते हैं जिसे एक बड़े बर्तन में कलेक्ट किया जाता है। जिसे अचार अथवा सब्जी के साथ चिल्ड्रेन अस्पताल में भर्ती बच्चों की माताओं व अन्य तीमारदारों को दिया जाता है।
प्रयागराज, जेएनएन। आमतौर पर यह देखा जाता है कि समाज में तमाम लोग अपना ही पेट भरना जानते हैं, दूसरे की चिंता तब तक वह नहीं करते जब तक कि कोई स्वार्थ न हो लेकिन शिवकुटी स्थित श्रीमहाप्रभु स्कूल एंड कालेज में पढ़ने वाले तमाम नौनिहाल परमार्थ का काम कर रहे हैं वह भी नि:स्वार्थ भाव से। दरअसल वे अपने स्कूल के लंच बाक्स में दो रोटी एक्स्ट्रा लाते हैं जिसे चिल्ड्रेन अस्पताल में भर्ती बच्चों की माताओं को दिया जाता है ताकि कोई भी मां भूखी ना सोए और पोषित रहकर अस्पताल में भर्ती अपने बच्चे को भी अच्छे से फीड करा सके जिससे बच्चा शीघ्र स्वस्थ होकर अपने घर जा सके। इस विचार को जब स्कूल की प्रिंसिपल ने बच्चों से साझा किया तो वे सहर्ष तैयार हो गए। पैरेंट्स भी खुशी से आगे आए।
प्रधानाचार्य ने दिया विजन, बच्चों ने पूरा करने का लिया संकल्प
श्रीनारायण आश्रम शिवकुटी में स्थित अंग्रेजी माध्यम के श्रीमहाप्रभु स्कूल एंड कॉलेज की प्रिंसिपल रबिंदर बिरदी कहती हैं कि इस विजन के पीछे हमारा तीन उद्देश्य था। एक तो घरों में अन्न की बर्बादी रोकना, दूसरे बच्चों को रोटी की वैल्यू बताना और तीसरा किसी की मदद करना। यह बात जब हमने बच्चों से शेयर की तो उनका अच्छा रेस्पांस मिला और सभी के पैरेंट्स भी तैयार हो गए। 2019 में यह संकल्प यात्रा शुरू हुई। कोविड-19 के संक्रमण के चलते कुछ माह से बंद है। जैसे ही स्कूल पूर्ण रूप से खुलने लगेगा सहयोग भाव की हमारी यात्रा फिर से शुरू हो जाएगी।
अचार या सब्जी के साथ किया जाता है वितरित
स्कूल के सभी बच्चे अपने लंच बॉक्स में अपने खाने के साथ दो रोटी या पराठा अतिरिक्त लाते हैं जिसे एक बड़े बर्तन में कलेक्ट किया जाता है। जिसे अचार अथवा सब्जी के साथ चिल्ड्रेन अस्पताल में भर्ती बच्चों की माताओं व अन्य तीमारदारों को दिया जाता है। प्रिंसिपल के मुताबिक इस उद्देश्य की पूर्ति में बच्चों और उनके पैरेंट्स का काफी सहयोग मिलता है। कई बच्चे तो ज्यादा रोटी के साथ ही सब्जी आदि भी लाने लगे तो उन्हें मना कर दिया गया कि किसी पर बोझ ना पड़े और सहयोग भाव की यह यात्रा निरंतर जारी रहे। अचार व सब्जी आदि का प्रबंध स्कूल की ओर किया जाता है।
मां सुपोषित होगी तो उनका बच्चा भी जल्द होगा स्वस्थ
श्रीमहाप्रभु स्कूल के बच्चों के इस प्रयास को अस्पताल के स्टॉफ और भर्ती बच्चों की माताओं व तीमारदारों की खूब प्रशंसा भी मिली है। दरअसल सरोजिनी नायडू चिल्ड्रेन अस्पताल में जिले के दूर-दराज के क्षेत्रों के साथ ही दूसरे जिलों के भी तमाम बच्चे भर्ती होते हैं। प्रिंसिपल बिरदी के मुताबिक अक्सर देखा जाता है कि जब कोई छोटा बच्चा बीमार होकर अस्पताल में भर्ती होता है तो तीमारदारी की दृष्टि से एक तरह उसकी मां भी भर्ती हो जाती है। बच्चा छोटा है तो उसे फीड भी कराना होता है। कई परिवार आर्थिक कारणों से किसी तरह इलाज का ही खर्च उठा पाते हैं, अपने खानपान पर ध्यान नहीं दे पाते हैं। ऐसे में यदि मां को भोजन मिलेगा, व सुपोषित रहेगी तो बच्चा भी जल्द स्वस्थ होगा। इसी भाव को लेकर यह टास्क लिया गया। बताया कि कई तीमारदारों से बात हुई तो कहा कि रोज के खाने में ही पचास से सौ रुपये लग जाते हैं ऐसे में बच्चे के इलाज में मुश्किल आती है। ऐसे में हमारी छोटी सी मदद से ऐसे लोगों को कुछ राहत जरूर मिलेगी।
बच्चों को भी अन्न व रोटी के महत्व का हुआ ज्ञान
दूसरों की मदद करने के इस संकल्प से स्कूल के बच्चों को भी अन्न और रोटी की वैल्यू के साथ उसके महत्व का पता चला। तमाम बच्चों ने अन्न की बर्बादी न करने का संकल्प लिया है। थाली में उतना ही खाना लेते हैं जितना खा सकते हैं। अभिभावकों का भी काफी सपोर्ट इस संकल्प को मिल रहा है। कई अभिभावकों ने कहा कि पहली रोटी गाय को देने की संस्कृति रही है, शहरीकरण के साथ संस्कृति में क्षरण आया जिसके चलते अनुपालन नहीं हो पाता। दूसरों की सहायता के बहाने इस संस्कृति का भी पालन हो रहा है। अच्छा है कि घर की पहली रोटी किसी इंसान का पेट भर रही है।
खाने की गुणवत्ता व सफाई पर पूरा दिया जाता है ध्यान
कलेक्ट किए गए खाने को स्कूल के शिक्षक व स्टॉफ (कई बार कुछ बच्चे भी होते हैं) लेकर अस्पताल जाता है और अपने हाथों से माताओं व अन्य तीमारदारों को देता है। इस दौरान साफ सफाई का पूर्णत: ध्यान रखा जाता है। प्रिंसिपल रबिंदर बिरदी ने बताया कि खाद्य विभाग की टीम भी स्कूल की ओर से अस्पताल में दिए जाने वाले खाने की जांच कर संतुष्ट हो चुकी है।