हत्या के बाद शेरडीह गांव में तनाव, पुलिस और पीएसी तैनात
ैनी सेंट्रल जेल के गेट पर हुए गैंगवार में दो लोगों की हत्या के बाद शेरडीह गांव में आगजनी और बवाल हुआ था। गुस्साए ग्रामीणों ने पुलिस पर पथराव करते हुए हमला कर दिया था और दारोगा की सरकारी पिस्टल छीन ली थी।
प्रयागराज : वीरेंद्र की हत्या के बाद शेरडीह गांव में एक बार फिर तनाव व्याप्त हो गया। बवाल की आशंका पर एहतियातन पुलिस और पीएसी तैनात कर दी गई है। देर रात पुलिस ने कई जगह दबिश देकर कुछ संदिग्धों को उठाकर पूछताछ कर रही है।
नैनी सेंट्रल जेल के गेट पर हुए गैंगवार में दो लोगों की हत्या के बाद शेरडीह गांव में आगजनी और बवाल हुआ था। गुस्साए ग्रामीणों ने पुलिस पर पथराव करते हुए हमला कर दिया था और दारोगा की सरकारी पिस्टल छीन ली थी। हमले में आइपीएस गणेश साहा समेत कई पुलिस कर्मी जख्मी हुए थे। पुलिस पर हमला करने के मामले में वीरेंद्र उर्फ करिया पर भी मुकदमा दर्ज हुआ था।
एसपी गंगापार सुनील सिंह के मुताबिक, दोहरे हत्याकांड में जब मुन्ना बजरंगी के करीबी शूटरों को पकड़कर पूछताछ हुई थी, तब शूटरों ने वीरेंद्र उर्फ करिया का नाम बताया था। इसके बाद वीरेंद्र ने कोर्ट में सरेंडर किया और जेल चला गया था। करिया दोहरे हत्याकांड और पुलिस पर हमले का आरोपित था। करिया की हत्या से गांव में तनाव व्याप्त है। दूसरे आरोपितों पर भी हुआ था हमला :
दोहरे हत्याकांड में आरोपित रहे बहरिया के पूर्व ब्लाक प्रमुख रंजीत यादव उर्फ टाइगर निवासी शेरडीह पर छह अगस्त की शाम बाइक सवार युवकों ने गोली चलायी थी। इसके करीब दो माह बाद उसी हत्याकांड के आरोपित जीतेंद्र यादव उर्फ कल्लू के बेटे विशाल पर अंदावा में हमला हुआ था। दोनों ही मामलों में मुकदमा हुआ था। इसके बाद रविवार को तीसरे आरोपित वीरेंद्र उर्फ करिया पर गोलियां बरसाई गई, जिससे उसकी मौत हो गई। सूचना देने के डेढ़ घंटे बाद पहुंची पुलिस
वीरेंद्र को गोली मारे जाने की सूचना पड़ोसियों ने तत्काल पुलिस को दी थी। लेकिन पुलिस वक्त पर नहीं पहुंची। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि डायल 100 और झूंसी थाने की पुलिस सूचना के करीब डेढ़ घंटे बाद पहुंची। ग्रामीणों ने पुलिस पर गश्त नहीं करने का भी आरोप लगाया। गर्भवती पत्नी हुई बेसुध, बिलखते रहे भाई :
वीरेंद्र की हत्या की खबर मिलते ही गर्भवती पत्नी नीलम बेसुध होकर जमीन पर गिर पड़ी। वह अपने दोनों बच्चों का सिर पकड़कर रोती रही। वहीं, स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल में मौजूद भाई अनिल और विजय भी बिखलते रहे। पुलिस चौकी के बाहर बेसुध पिता बचई लाल बार-बार लोगों से यही पूछते रहे कि उनके बेटे का सही इलाज चल रहा है कि नहीं। जब वहां कुछ लोग रोने लगे तो बचई ने उन्हें डांटा और कहा कि वीरेंद्र मरा नहीं है क्यों परेशान हो रहे है। बचई ने यह भी बताया कि वीरेंद्र बाइक से बच्चों को घुमाने के बाद घर लौटा और जैसे ही वह बाहर गया, गोली मार दी गई।