कमाल की है टेंप्रेचर गन, पांच मिनट में पता चल जाएगा ट्रेन फिट है या अनफिट, यात्री रहेंगे सुरक्षित
अगर ट्रेन के एक्सेल का तापमान निर्धारित मानक से अधिक है तो तत्काल रोलिंग स्टाफ अलर्ट जारी करेगा। आवश्यकता पड़ने पर कोच को काट कर अलग किया जाएगा। सुरक्षा संरक्षा की दिशा में यह पहल एनसीआर में प्रायोगिक तौर पर सफल रही है। अब इस्तेमाल पूरे जोन में हो रहा।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। भीषण गर्मी के बीच पहिए और एक्सेल का तापमान बढ़ जाने से ट्रेन के पटरी से उतरने व आग लगने का खतरा होता है। इससे ट्रेन में बैठे यात्रियों को भी खतरा रहता है। हालांकि अब इस खतरे को उत्तर मध्य रेलवे (एनसीआर) में टेंप्रेचर गन रोकेगी। इससे महज कुछ सेकेंड में ही एक्सेल और पहिए का तापमान माप लिया जाएगा। स्टेशन पर ट्रेन के रुकते ही रोलिंग स्टाफ पांच मिनट में ट्रेन के सभी एक्सेल का तापमान जांचेगा। इनकी रिपोर्ट के बाद ही ट्रेन आगे बढ़ेगी।
ट्रेन के एक्सेल के तापमान अधिक होने पर रोलिंग स्टाफ अलर्ट जारी करेगा : अगर ट्रेन के एक्सेल का तापमान निर्धारित मानक से अधिक है तो तत्काल रोलिंग स्टाफ इसके लिए अलर्ट जारी करेगा। आवश्यकता पड़ने पर कोच को काट कर अलग किया जाएगा। सुरक्षा और संरक्षा की दिशा में यह अहम पहल उत्तर मध्य रेलवे में प्रायोगिक तौर पर सफल रही है। अब इसका इस्तेमाल पूरे जोन में हो रहा है।
कोरोना काल में थर्मल स्क्रीनिंग में इन्फ्रारेड किरणाें का हुआ था प्रयोग : कोरोना काल में थर्मल स्क्रीनिंग में इन्फ्रारेड किरणों से तापमान मापने के लिए इस्तेमाल स्कैनर की सफलता के बाद टेंप्रेचर गन का प्रयोग बड़े स्तर पर शुरू कर दिया गया है। हालांकि यह टेंप्रेचर गन थर्मल स्क्रीनिंग से अलग है। सबसे खास बात कि यात्री गाड़ियों के अलावा मालगाड़ियों के वैगन के एक्सेल और पहिये का तापमान अब इसी टेंप्रेचर गन से मापा जा रहा है और महज पांच मिनट की जांच में पूरी ट्रेन के फिट अनफिट होने की जानकारी मिल जाती है।
पहले कैसे पता चलता था तापमान : ट्रेन जब स्टेशन पर पहुंचती थी तब पहिए और एक्सेल में खराबी और तापमान जांचने के लिए मेकैनिकल विभाग के रोलिंग स्टाफ के कर्मचारी आउटर के नीचे बैठकर ट्रेन के पहिए को देखते थे। पहिए गर्म होने पर यहां से धुआं उठता था। इसके अलावा यहां लगी ग्रीस भी पिघलने लगती थी, जिससे तापमान का अंदाजा लग जाता था। हालांकि रात में यह तकनीक काम नहीं करती थी।
क्या है एक्सेल, 60 डिग्री सेेल्सियस तापमान पर खतरा : ट्रेन के कोच में पहिए के पास लगे बाक्स को एक्सेल कहते हैं। इसमें गेयर बाक्स का तार होता है। इंजन से स्पीड बढ़ने के साथ-साथ एक्सेल से ही स्पीड कोच की गति बढ़ती है। एक्सेल का तापमान 60 डिग्री सेल्सियस से उपर जाते ही यह खतरनाक हो जाता है। 75 डिग्री पर आग लगने का खतरा होता है। जबकि पहिए का तापमान 120 डिग्री सेल्सियस होने तक ट्रेन आसानी से चलती है।
बोले, प्रयागराज मंडल के पीआरओ : प्रयागराज मंडल के पीआरओ अमित सिंह ने बताया कि टेंप्रेचर गन से यात्री ट्रेन के कोच और मालगाड़ियों के वैगन के साथ एक्सेल के पहिए का तापमान जांचा जा रहा है। पांच मिनट में ही ट्रेन के कोच फिट या अनफिट होने की रिपोर्ट मिल जाती है। यह रेल संरक्षा और सुरक्षा में बहुत कारगर साबित हो रहा है। अमित सिंह, मंडल पीआरओ, प्रयागराज