जिस माल को खरीदा नहीं उस पर भी टैक्स और जुर्माना, पोर्टल पर खरीद गलत दिखाने पर विभाग से आते हैं नोटिस
अक्सर व्यापारियों के साथ इस तरह की गड़बडिय़ां भी सामने आ रही हैं कि जीएसटीआर-1 में जीएसटी नंबर गलत भर जाने पर उनके लेजर में दूसरे द्वारा खरीदे गया माल दिखाई देने लगता है। जबकि व्यापारी को उस माल के बारे में पता भी नहीं होता है।
प्रयागराज, राजकुमार श्रीवास्तव। वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) में व्याप्त कतिपय विसंगतियां व्यापारियों के गले की फांस बनती जा रही हैं। कई बार व्यापारी द्वारा जिस माल को खरीदा भी नहीं गया होता है, वह भी जीएसटी पोर्टल पर उनकी खरीद लेजर में दिखाई देने लगता है। ऐसा होने पर संबंधित विभाग व्यापारियों को नोटिस भेजता। नोटिस जारी होने पर व्यापारी को टैक्स और जुर्माना भी अदा करना पड़ता है, क्योंकि लेजर में खरीद दिखाई देने के कारण अधिकारी उनकी दलील मानते नहीं हैं।
शुरू में ऐसी गड़बड़ी में सुधार के लिए थी व्यवस्था, बाद में कर दी गई समाप्त
व्यापारियों को माल खरीद दिखाने के लिए जीएसटीआर-1 भरना होता है। माल खरीद पर उसे इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) मिलती है। लेकिन, अक्सर व्यापारियों के साथ इस तरह की गड़बडिय़ां भी सामने आ रही हैं कि जीएसटीआर-1 में जीएसटी नंबर गलत भर जाने पर उनके लेजर में दूसरे द्वारा खरीदे गया माल दिखाई देने लगता है। जबकि व्यापारी को उस माल के बारे में पता भी नहीं होता है। न वह उस माल को खरीदा होता है न उसका भुगतान किया होता है। उसे आइटीसी का लाभ भी नहीं मिलता है, फिर भी संबंधित विभागों के अधिकारियों द्वारा व्यापारियों को नोटिसें जारी की जाती हैं। नोटिस जारी होने पर व्यापारी को टैक्स और जुर्माना भी देना पड़ता है।
जीएसटी काउंसिल और कमिश्नर को लिखी जा चुकी चिट्ठी
जीएसटी लागू होने के शुरू में करीब दो-तीन महीने तक लेजर में गलत खरीद दिखाने पर सुधार के लिए विकल्प दिया गया था लेकिन, बाद में इसे खत्म कर दिया गया। उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार कल्याण समिति के अध्यक्ष सतीश केसरवानी और संयोजक संतोष पनामा का कहना है कि विकल्प मुहैया कराने के लिए जीएसटी काउंसिल व वाणिज्यकर कमिश्नर को चिट्ठी लिखी जा चुकी है। मगर, कोई निर्णय नहीं लिया गया।
शीघ्र उपलब्ध कराया जाए विकल्प
दि टैक्स बार एसोसिएशन के मंत्री विपिन सिंह का कहना है कि रिवाइज रिटर्न की मांग की जा रही है। शीघ्र ही यह विकल्प मुहैया कराया जाना चाहिए। वहीं, विभागीय अधिकारियों का दावा है कि जीएसटी भरने में सुधार किया जा सकता है। वैसे ऐसा नहीं हो सकता है, फिर भी इसे चेक कराते हैं।