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टैक्स ऑडिट बनेगी व्यापारियों के गले की फांस, एक अप्रैल से 2017-18 के GST मामलों की होगी ऑडिट

पहले चरण में टैक्स ऑडिट के लिए हर जोन में 60 व्यापारियों का चयन होना है। इसमें डेढ़ करोड़ रुपये तक के सालाना टर्न ओवर के 30 डेढ़ से पांच करोड़ रुपये वार्षिक टर्नओवर के 18 और पांच करोड़ रुपये से ज्यादा सालाना टर्नओवर के 12 व्यापारियों का चयन होगा।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 13 Mar 2021 07:00 AM (IST)Updated: Sat, 13 Mar 2021 07:00 AM (IST)
टैक्स ऑडिट बनेगी व्यापारियों के गले की फांस, एक अप्रैल से 2017-18 के GST मामलों की होगी ऑडिट
कारोबारियों से इतने तरह के विवरण मांगे जाएंगे, जो उनके लिए उपलब्ध कराना मुश्किल होगा।

प्रयागराज, जेएनएन। वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) के वर्ष 2017-18 के मामलों की टैक्स ऑडिट एक अप्रैल से शुरू होगी। इसके लिए जोनवार व्यापारियों का चयन वाणिज्यकर विभाग मुख्यालय से होगा। चयनित व्यापारियों से स्थानीय स्तर पर विभाग द्वारा नोटिस भेजकर ब्योरा मांगा जाएगा। लेकिन, कारोबारियों से इतने तरह के विवरण मांगे जाएंगे, जो उनके लिए उपलब्ध कराना मुश्किल होगा। माना जा रहा है कि इस बार टैक्स ऑडिट कारोबारियों के गले की फांस बनेगी

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मुख्यालय से जोनवार कारोबारियों का होगा चयन

पहले चरण में टैक्स ऑडिट के लिए हर जोन में 60 व्यापारियों का चयन होना है। इसमें डेढ़ करोड़ रुपये तक के सालाना टर्न ओवर के 30, डेढ़ से पांच करोड़ रुपये वार्षिक टर्नओवर के 18 और पांच करोड़ रुपये से ज्यादा सालाना टर्नओवर के 12 व्यापारियों का चयन होगा। यह चयन एक वर्ष के लिए होगा। नोटिस एक अप्रैल से जारी होना शुरू होगी। लेकिन, नोटिस का जो खाका तैयार किया गया है, उसमें व्यापारियों को 41 प्रकार का ब्योरा देना होगा। 

व्यापारियों को देना होगा यह ब्योरा

नाम व पता, जीएसटीएन, व्यापार का मुख्य स्थल एवं उसका पूरा पता, सूबे में व्यापार के अन्य स्थल एवं पूरा पता, व्यापारी एक से अधिक राज्य में पंजीकृत है तो उसकी सूची, व्यापार का स्वामित्व, साझीदार, ङ्क्षहदू अविभाज्य परिवार, प्राइवेट, लिमिटेड, ट्रस्ट, सरकारी संस्थान, अन्य, व्यापार से जुड़े सभी व्यक्तियों के नाम, पता, टेलीफोन नंबर, बैंक का विवरण, व्यापारी द्वारा सप्लाई की गई वस्तुओं एवं सेवाओं का विवरण, प्रांतीय, अंतरप्रांतीय सप्लाई, प्रांतीय एवं अंतरप्रांतीय सप्लाई अलग-अलग, सप्लाई पर दिए गए टैक्स मसलन एसजीएसटी,सीजीएसटी और आइजीएसटी, आइटीसी से समायोजित टैक्स, नकद जमा टैक्स, कुल क्लेम की गई आइटीसी, विभिन्न आधारों पर वापस की गई आइटीसी, अस्वीकृत रिफंड की धनराशि, सूबे के अंदर और बाहर माल सप्लाई के लिए जारी ई-वे बिल की संख्या एवं धनराशि, निरस्त ई-वे बिल की संख्या एवं धनराशि आदि। उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार कल्याण समिति के संयोजक संतोष पनामा का कहना है कि टैक्स ऑडिट की प्रक्रिया बहुत जटिल होगी। व्यापारियों के लिए इतना विवरण मुहैया कराना संभव नहीं होगा।


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