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चखा स्वावलंबन का स्वाद, आधी दुनिया हो रही आबाद Prayagraj News

कोरांव लेडिय़ारी खीरी बड़ोखर रतेवरा इलाके में इन दिनों स्वयं सहायता समूह के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं में स्वरोजगार की मिशाल देखने को मिल रही है जो दूसरी महिलाओं को भी प्रेरित करती हैैं। यहां के दर्जनों गांवों की महिलाओं की बचत ने उन्हें बैंकों की ओर मोड़ दिया है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Wed, 04 Nov 2020 03:20 PM (IST)Updated: Wed, 04 Nov 2020 04:57 PM (IST)
चखा स्वावलंबन का स्वाद, आधी दुनिया हो रही आबाद Prayagraj News
अपने बच्चों व परिवार का भी जीवन स्तर सुधार रही हैैं।

प्रयागराज, जेएनएन। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर बसा कोरांव का इलाका। प्रयागराज के यमुनापार का यह क्षेत्र सबसे पिछड़ा माना जाता है। रोजगार के क्षेत्र में तो यह बेहद पीछे है। यही नहीं बुनियादी सुविधाओं के मामले में भी पिछड़ा है। कोरोना संक्रमण क्या आया, इस क्षेत्र के लोग भी नए अवसर तलाशने में जुट गए। खासतौर पर यहां की महिलाएं स्वावलंबन से नए मुकाम हासिल कर रही हैैं। यहां की महिलाएं स्वरोजगार से समृद्धि की ओर से बढ़ रही हैैं। इससे वे अपना ही नहीं बल्कि अपने बच्चों व परिवार का भी जीवन स्तर सुधार रही हैैं।

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स्वरोजगार का उत्साह, खुले 3500 नए खाते

कोरांव, लेडिय़ारी, खीरी, बड़ोखर, रतेवरा इलाके में इन दिनों स्वयं सहायता समूह के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं में स्वरोजगार की मिशाल देखने को मिल रही है जो दूसरी महिलाओं को भी प्रेरित करती हैैं।  यहां के दर्जनों गांवों की महिलाओं की बचत ने उन्हें बैंकों की ओर मोड़ दिया है। आलम यह है कि एक वर्ष के दौरान रतेवरा मोड़ स्थित यूको बैंक की शाखा में 3500 खाते खोले गए। इनमें दो हजार से ज्यादा खाते महिलाओं और युवतियों के हैं। महिलाओं की बचत की आदत कोरोना संकट काल में ज्यादा पड़ी। इस संकट में महिलाओं ने भविष्य की चिंता करते हुए बचत की शुरुआत की। अपने व स्वजनों को फिजूल खर्च न करने के लिए प्रेरित किया। इस संबंध में शाखा प्रबंधक शरद पाल ने बताया कि इस क्षेत्र की महिलाओं ने अपने खाते खुलवा कर बचत करना सीखा। बचत हुई तो स्वयं सहायता समूह से जुड़कर अपना रोजगार शुरू किया और अब आत्मनिर्भर होने लगी हैैं।

बैंक सखी संतोषी पांडेय ने बताया कि प्रत्येक समूह में 12 से 14 महिलाएं जुड़ी हैं। रतेवरा करपिया में 42, टीकर में 22, मझिगवां में 12, सेमरी जिरौहा में 10, देवीबांध में 13, किहुनी खुर्द में 8, किहुनी कला में 9 स्वयं सहायता समूह गठित किए गए। इनमें लगभग दो हजार महिलाएं जुड़ गई हैैं। समूहों को बैैंक से ऋण दिया गया, जिससे ये महिलाएं स्वरोजगार कर रही हैैं। इसके अलावा 30 महिलाओं को किसान क्रेडिट कार्ड के रूप में 30 लाख रुपये स्वरोजगार के लिए दिए गए।

पिपरमेंट की खेती, चला रही दुकान

ये महिलाएं पिपरमेंट की खेती भी कर रही हैैं। बैैंक ने इसके लिए ऋण दिया है। इसी तरह सब्जी व फल का रोजगार कर रही हैैं। कई महिलाएं परचून की दुकान, जनरल स्टोर, सहज जन सेवा केंद्र भी चला रही हैैं। सिलाई-कढ़ाई केंद्र से लेकर वाहन भी चलवा रही हैैं। बैैंक से 1338 महिलाएं ऋण लेकर अपना स्वरोजगार कर रही हैैं। खास बात यह की कर्ज की किस्तों की रिकवरी शत-प्रतिशत है।

पशु पालन की ओर भी बढ़ा कदम

ग्राम संगठन महिला अध्यक्ष आशा देवी ने बताया कि एक वर्ष में 100 से ज्यादा महिलाओं का खाता खुलवाया। 50 महिला समूहों को पशुपालन, कृषि, मुर्गी पालन एवं स्वरोजगार के लिए सीसीएल ऋण उपलब्ध कराया जो छोटी-छोटी बचत करते हुए परिवार की सहायता कर रही है। महिला संगठन की कोषाध्यक्ष सुशीला पांडेय, सरोजा देवी, दर्शन देवी ने बताया कि जनधन खाता योजना एवं बचत खाता से महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं महिला सशक्तीकरण की प्रेरणा मिलती है।


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