लक्षण हैं फिर भी नहीं करा रहे जाच
कोरोना मरीजों की पहचान के लिए डोर टू डोर अभियान चलाया जा रहा है लेकिन जो मरीज लक्षण वाले मिल रहे हैं वह जांच नहीं कराना चाहते।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज : कोरोना मरीजों की पहचान के लिए डोर टू डोर अभियान चलाया जा रहा है। ऐसे लोगों को चिह्नित किया जा रहा है जिसमें कोरोना से संबंधित कोई लक्षण मिल रहे हों। इस कार्य में एक दिक्कत आ रही है। टीम द्वारा चिह्नित किए जा रहे अधिकांश लोग जांच कराने से ही कतरा रहे हैं। वह कोविड अस्पताल में भर्ती नहीं होना चाहते।
कोरोना के मरीजों की खोजबीन के लिए इन दिनों डोर-टू-डोर सर्वे कराया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग की टीम घर घर जाकर ऐसे लोगों को चिह्नित कर रही है जिनमें कोरोना के कोई लक्षण (बुखार, खासी, जुकाम या सास लेने में परेशानी) मिल रहे हैं। लक्षण वाले मरीजों को टीम की ओर से बताया जा रहा है कि वह जाच केंद्र पर जाकर कोरोना की जाच करा लें। आठ दिनों से चल रहे इस अभियान में करीब 250 लोगों को चिह्नित किया जा चुका है जिनमें यह लक्षण मिले हैं। हालांकि इसमें 100 से ज्यादा लोगों ने अभी तक कोरोना की जांच नहीं कराई है। उन्हें डर सता रहा है कि अगर रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो फिर उन्हें कोविड अस्पताल में भर्ती करा दिया जाएगा। अस्पतालों में अव्यवस्थाओं के कारण वह अस्पताल नहीं जाना चाह रहे हैं। लोगों की यह सोच विभागीय कवायद पर पानी फेर रही है।
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अगर लक्षण मिल रहे हों तो फिर कोरोना की जांच कराने में लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। यह खुद के साथ संपर्क में आने वालों के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है। डोर-टू-डोर सर्वे के दौरान जिनमें भी कोरोना के लक्षण मिल रहे हैं उन्हें हर हाल में कोरोना की जाच करानी ही होगी।
डॉ. ऋषि सहाय, नोडल अधिकारी, कोविड-19