Kumbh mela 2019 : धर्मांतरण के लिए धर्माचार्य नहीं, सरकार जिम्मेदार : स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती
जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि धर्मांतरण के लिए सरकार जिम्मेदार है न कि धर्माचार्य।
कुंभ नगर : सनातन धर्म का स्वरूप विशाल एवं कल्याणकारी है। यही ऐसा धर्म है जो सबके कल्याण की बात करता है। संपूर्ण सृष्टि की चिंता सनातन धर्म में है। इसे खत्म करने के लिए सदियों से हमले हो रहे हैं, तरह-तरह के कुचक्र रचे गए, लेकिन अपनी खासियत व संतों के त्याग से सनातन धर्म का अस्तित्व आज भी कायम है और हमेशा रहेगा। यह कहना है जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का। दैनिक जागरण प्रतिनिधि शरद द्विवेदी से विभिन्न मुद्दों पर खुलकर बात की, प्रस्तुत है प्रमुख अंश...।
सनातन धर्म क्या है, लोगों का विश्वास क्यों उठ रहा है?
सनातन का अर्थ है सदा रहने वाला। सनातन का अस्तित्व कभी खत्म नहीं हो सकता। इसका आधार वेद, पुराण हैं। हर व्यक्ति जन्मजात सनातनी है। पृथ्वी पर आने के बाद वह अलग-अलग जाति-वर्गों में बंटता है। और रही बात विश्वास की तो यह कहां उठ रहा है...? अगर विश्वास उठता तो प्रयाग में करोड़ों लोगों का जमघट होता! यहां व्यक्ति सुख-सुविधाओं से वंचित होकर अनेक कष्ट सहते हुए आता है। विदेशों में सनातन धर्मावलंबियों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है।
देश में हिंदू धर्माचार्यों की भरमार है, फिर भी धर्मांतरण हो रहा है, ऐसा क्यों?
देश में सिर्फ चार मुख्य धर्मगुरु हैं। वह हैं चारों पीठ के शंकराचार्य। धर्मांतरण रोकने के लिए शंकराचार्य धर्म का निरंतर प्रचार-प्रसार करते हैं। मठ-मंदिरों के जरिए समाज में धर्म से जोडऩे की मुहिम चल रही है। सही यह है कि गरीबों के उत्थान में सरकार विफल रही है, जिससे वे लालच में दूसरा धर्म अपना रहे हैं।
अब जाति देखकर संन्यास देने की परंपरा शुरू हुई है, यह कितनी उचित है।
संन्यास लेने वाले व्यक्ति की जाति नहीं देखनी चाहिए। परमात्मा की प्राप्ति के लिए घर, परिवार का त्याग करके संन्यास कोई भी ले सकता है। ऐसे व्यक्ति की पहचान जाति के आधार पर नहीं बल्कि उसके त्याग के आधार पर होनी चाहिए।
किन्नर संन्यासियों को साथ लेने का जूना अखाड़े का निर्णय उचित है?
मैं किसी अखाड़े के निर्णय पर कुछ नहीं बोलना चाहता। गंगा में स्नान करके भजन-पूजन करने का अधिकार नर-नारी, किन्नर सबको है। किन्नर अगर सनातन धर्म के मार्ग पर चलना चाहते हैं तो यह अच्छा है।
लोकसभा चुनाव करीब है, केंद्र की सरकार के काम को कैसे देखते हैं?
नरेंद्र मोदी सत्ता में आए तो लोगों को आशा जगी थी कि वह सनातन धर्म व ङ्क्षहदुओं के उत्थान के लिए काम करेंगे। उन्होंने ऐसा वादा भी किया था। वैसा हुआ नहीं। गंगा की दशा आज भी खराब है, गोमांस का निर्यात पहले की अपेक्षा आज बढ़ गया है। अयोध्या में राम मंदिर का मामला अभी तक लटका है।
राम मंदिर निर्माण के लिए आपने भी शिलान्यास की बात कही है, कैसे होगा?
क्यों नहीं होगा? देखिए, कोई भी राजनीतिक पार्टी मंदिर का निर्माण नहीं कर सकती। राजनीतिक दल सत्ता से बाहर रहकर कुछ कर नहीं सकते। सत्ता में आते हैं तो उन्हें संविधान की शपथ लेकर उसके अनुरूप काम करना होता है। ऐसे में संत ही मंदिर का निर्माण कराएंगे। मैं शिलान्यास करके मंदिर निर्माण की प्रक्रिया संभव कराऊंगा।