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यूपीपीएससी के इतिहास में पहली बार परीक्षा नियंत्रक का निलंबन, गिरफ्तारी भी हुई

उप्र लोकसेवा आयोग की अंजू कटियार पहली अधिकारी हैं जिन्हें भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबित किया गया है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Tue, 04 Jun 2019 05:39 PM (IST)Updated: Wed, 05 Jun 2019 12:06 AM (IST)
यूपीपीएससी के इतिहास में पहली बार परीक्षा नियंत्रक का निलंबन, गिरफ्तारी भी हुई
यूपीपीएससी के इतिहास में पहली बार परीक्षा नियंत्रक का निलंबन, गिरफ्तारी भी हुई

प्रयागराज, जेएनएन। उप्र लोकसेवा आयोग (यूपीपीएससी) की परीक्षा नियंत्रक अंजू कटियार के निलंबन के साथ ही फिर इतिहास बना है। उप्र लोकसेवा आयोग की वह पहली अधिकारी हैं, जिन्हें भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबित किया गया है। यही नहीं, परीक्षा नियंत्रक की गिरफ्तारी यूपी पुलिस ने की है, डेढ़ साल से आयोग को खंगाल रही सीबीआइ भर्तियों में सुबूत इकट्ठा करती रह गई और पुलिस ने आरोपित को सींखचों के भेज दिया।

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एलटी ग्रेड परीक्षा में धांधली के आरोप में गिरफ्तार उप्र लोकसेवा आयोग की परीक्षा नियंत्रक अंजू कटियार को शासन ने निलंबित कर दिया। निलंबन की प्रक्रिया किसी भी अधिकारी के जेल जाने के 48 घंटे के भीतर अनिवार्य हो जाती है। पीसीएस अधिकारी अंजू कटियार की गिरफ्तारी के बाद से ही पीसीएस एसोसिएशन उनके बचाव में सक्रिय है। बीते दिनों पीसीएस एसोसिएशन ने बैठक कर एसटीएफ की कार्यप्रणाली पर सवाल भी उठाए थे। रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने परीक्षा नियंत्रक की गिरफ्तारी पर संतुष्टि जताई। इससे एसटीएफ को बल मिला है। हालांकि पीसीएस अधिकारियों का कहना है कि एसटीएफ ने जल्दबाजी में कदम उठाया है। इस मामले में अफसरों की दो सदस्यीय समिति तथ्यों को एकत्र कर रही है। यह तथ्य सरकार के समक्ष रखे जाएंगे। 

देश के सबसे अहम यूपीपीएससी में जिस तरह से परीक्षा नियंत्रक पर कार्रवाई हुई हैं, वैसी नजीर अन्य आयोगों में नहीं है। यह जरूर है कि असम लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष राकेश पॉल को भ्रष्टाचार के आरोप में ही असम पुलिस ने गिरफ्तार करके जेल भेजा था। इसके सिवा अन्य आयोगों में सीबीआइ ने ही कार्रवाई की है, संयोग से यूपीपीएससी की 538 भर्तियों की जांच सीबीआइ कर रही है लेकिन, वह डेढ़ साल में वह किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है। तमाम भर्तियों की सीबीआइ जांच से यूपीपीएससी पर पहला कलंक लगा, दूसरी घटना पिछले वर्ष जून में ही पीसीएस 2017 की मुख्य परीक्षा में प्रश्नपत्र बदलने पर हुई। इसमें आयोग को शर्मसार होना पड़ा था। अब अहम अफसर की गिरफ्तारी व निलंबन के बाद कलंक कथा की मानों हैट्रिक लग गई है।

सात साल पहले निदेशक संजय मोहन हुए थे गिरफ्तार

प्रयागराज में भ्रष्टाचार के आरोप में तत्कालीन शिक्षा निदेशक माध्यमिक संजय मोहन की आठ फरवरी 2012 को गिरफ्तारी हुई थी। उन पर टीईटी वर्ष 2011 में अंक बढ़वाने का आरोप था। भ्रष्टाचार के आरोप में उन्हें रमाबाई नगर की पुलिस ने कार्यालय से ही दबोचा था। संजय मोहन को जमानत पाने के लिए शीर्ष कोर्ट तक जाना पड़ा था।

अन्य पर गंभीर आरोप लगे, पद छिना लेकिन, गिरफ्तार न हुए

भर्ती आयोगों के अध्यक्ष, सदस्य व अन्य अफसरों पर तमाम गंभीर आरोप लगे। यूपीपीएससी के ही पूर्व अध्यक्ष अनिल यादव को हाईकोर्ट ने अयोग्य करार देकर हटा दिया। यहां के सदस्यों की योग्यता का प्रकरण इन दिनों हाईकोर्ट में विचाराधीन है। ऐसे ही उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष लालबिहारी पांडेय, माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष सनिल कुमार को भी कोर्ट के आदेश पर हटना पड़ा। उच्चतर आयोग के पूर्व कार्यवाहक सचिव संजय सिंह को भी बर्खास्त किया गया।

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