Sunder Lal Bahuguna स्मृति शेष : संगम की रेती पर प्रकृति से जुडऩे का दिया था मंत्र, 2001 कुंभ व 2007 अर्धकुंभ आए थे
नेहरू युवा केंद्र के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सक्रिय ओम प्रकाश मिश्रा बताते हैं कि 2001 के कुंभ मेले में संस्था की तरफ से शिविर लगाया गया था। उसमें सुंदरलाल बहुगुणा भी रुके थे। पंच परमेश्वर नामक कुटिया में उनका प्रवास तीन दिन का था।
प्रयागराज, जेएनएन। चिपको आंदोलन के प्रणेता और विख्यात पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा का संगमनगरी से भी नाता रहा है। वह वर्ष 2001 के कुंभ और 2007 के अद्र्ध कुंभ मेले में वह प्रयाग आए थे और नेहरू युवा केंद्र के शिविर में ठहरे थे। पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए रैली रैली निकालने के साथ शाम को घंटे भर उद्बोधन देते थे। बताते थे कि प्रकृति के साथ जुड़कर कैसे खुद का विकास किया जा सकता है।
नेहरू युवा केंद्र के शिविर में ठहरे थे, तीन दिन पंच परमेश्वर कुटिया में किया था प्रवास
नेहरू युवा केंद्र के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सक्रिय ओम प्रकाश मिश्रा बताते हैं कि 2001 के कुंभ मेले में संस्था की तरफ से शिविर लगाया गया था। उसमें सुंदरलाल बहुगुणा भी रुके थे। पंच परमेश्वर नामक कुटिया में उनका प्रवास तीन दिन का था। वह पर्यावरण संबंधी रैली निकालते और चिपको आंदोलन के बारे में विस्तृत जानकारी देते। शाम छह से सात बजे तक उनका उद्बोधन होता, इसमें वह नदी, जल, जंगल बचाने का आग्रह करते।
बहुत जल्दी लोगों से घुल मिल जाते थे
वर्ष 2007 में हुए अद्र्ध कुंभ मेले में भी आए थे। उनका व्यक्तित्व बहुत सरल और सहज था। इससे लोग उनके साथ बहुत जल्दी घुल मिल जाते थे। ओमप्रकाश मिश्र कहते हैैं कि सुंदर लाल बहुगुणा की प्रे्ररणा से ही उन्होंने रामासृजन जन कल्याण संस्थान का पंजीकरण कराया और प्रकृति संरक्षण की दिशा में पहल कर रहे हैैं।